गुजरात के नए CM विजय रूपानी का पूरा हिसाब-किताब यहां
पार्टी वर्कर्स के बीच तगड़ी पकड़ रखते हैं विजय.
Advertisement

फोटो - thelallantop
फरवरी में इनको पार्टी का गुजरात का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से आनंदीबेन के खट-पट की खबरें पहले से ही आ रही थीं. कहना है लोगों का, इसी खटपट की वजह से आनंदीबेन की विदाई हुई.
वैसे इन्होंने पाटीदार कम्युनिटी के ही एक लीडर R. C. फालदू को रिप्लेस किया था. और ये उस समय हुआ था, जब हार्दिक पटेल पाटीदारों के आरक्षण को लेकर आंदोलन चला रहे थे और BJP सरकार के लिए मुसीबत बने हुए थे. उस नियुक्ति को उस वक्त बनिया कम्युनिटी के लीडर के रूप में पार्टी के इन पर विश्वास जताने की तरह से लिया गया था.
वैसे विजय 'जैन बनिया' हैं. रूपानी उस बड़ी बनिया कम्युनिटी में नहीं आते. 'जैन बनिया' पूरे गुजरात में बस एक परसेंट हैं. जबकि पूरे गुजरात में बनियों की जनसंख्या 3 परसेंट है. दूसरी पिछड़ी जातियों और पटेल नेताओं से अलग रूपानी ने खुद को BJP में स्थापित किया है.

अमित शाह और आनंदीबेन के साथ
लोगों का कहना है कि यही विजय के लिए फायदेमंद साबित होगा. कुछ लोग उन्हें अमित शाह का करीबी भी मानते हैं. इनके मुख्यमंत्री बनने को लोग इस तरह से भी देख रहे हैं कि इस तरह से अमित शाह का गुजरात के अंदर दखल और ज्यादा बढ़ जाएगा. माने कई लोग दबी जबान से कह रहे हैं कि अब सब सीधे वहीं से कंट्रोल होगा.

प्रधानमंत्री मोदी के साथ सेल्फी मोड में
रूपानी इससे पहले कैबिनेट मिनिस्टर थे. उनके पास ट्रांसपोर्ट, लेबर और एम्प्लॉयमेंट के पोर्टफोलियो थे. राज्य में BJP प्रेसिडेंट के रूप में पाटीदार आंदोलन के समय पर पार्टी कैडर को मजबूत करने और पार्टी के साथ बनाए रखने के लिए इनकी तारीफ की जाती है. रूपानी के पास लोकल बॉडी इलेक्शन में BJP की बेहद गंदी परफॉरमेंस के बाद गुजरात में दिसम्बर 2017 में होने वाले स्टेट इलेक्शन के हिसाब से पार्टी को तैयार करने की चुनौती भी है.
लंबा सफर तय किया है यहां पहुंचने को
रूपानी BJP के महासचिव बनने से पहले ABVP के बैकग्राउंड से आते हैं और अपने टाइम पर एक्टिव स्टुडेंट यूनियन लीडर हुआ करते थे.उन्होंने पहले बीए किया, फिर LLB. यानी आर्ट्स और लॉ ग्रेजुएट दोनों हैं. इन्होंने पॉलिटिक्स की शुरुआत की थी, स्टूडेंट पॉलिटिक्स से. फिर RSS ज्वाइन किया और उसके बाद 1971 में जनसंघ. इनका एक लड़का है और एक लड़की. कभी-कभी ऑटो में भी बैठ के सफर कर लेते हैं -

ऑटो में विजय रुपानी