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BJP कैंडिडेट रमेश बिंद का सैकड़ों ब्राह्मणों को पिटवाने वाले बयान का सच क्या है?

वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा ना उगल पा रही है, ना निगल पा रही है.

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स्थानीय लोग बता रहे हैं कि वीडियो इसी साल जनवरी का है, जब बिंद बसपा में थे
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सुमित
29 अप्रैल 2019 (Updated: 29 अप्रैल 2019, 06:33 AM IST)
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कहे गए शब्द ऊर्जा हैं, और ऊर्जा यानि एनर्जी कभी ख़त्म नहीं होती. किसी ना किसी फ़ॉर्म में इस अनंत ब्रह्माण्ड में विचरती रहती है. जो कहा, वो घूम फिर के वापस भी आना है. ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि आइंस्टीन ने कहा था भई. हो सकता है आइंस्टीन को अंदाज़ा हो कि बरसों बाद कई लट्ठ-सेवक, गौ-सेवक बन जाएंगे. और फिर लोकसभा चुनाव 2019 भी लड़ेंगे. लेकिन किसे मालूम था कि भदोही से भाजपा प्रत्याशी रमेश बिंद इसी 'अक्षय ऊर्जा' का शिकार होंगे.

अभी हाल ही में भाजपा में शामिल हुए रमेश बिंद का एक वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो में भयानक गांधी विरोध है. मार धाड़ ऐक्शन से भरपूर. अब तहलका इसलिए मच रहा है कि कुछ दिन पहले तक रमेश बिंद थे बहुजन समाज पार्टी में. अब आ गए हैं भाजपा में. भदोही से लोकसभा प्रत्याशी बना दिए गए. वैसे तो भदोही बिंद बहुल क्षेत्र है. लेकिन ब्राह्मणों का वोट भी तो चाहिए ना. और जो वीडियो सामने आया है वो देखकर तो ब्राह्मण लोग बिंद साहब को देखते ही दौड़ा लेंगे. रमेश बिंद मझवां विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे हैं.

ये रहा वो वायरल वीडियो :-

क्या बोला गया है वायरल वीडियो में, जिस पर इतना विवाद उठा है:-


पड़री थाने में खन्नू बिंद की हत्या. पुलिस वाले ने बूट से मारा था. मैंने ऐसे नहीं पड़री थाना फुंकवा दिया था. ऐसे ही मैंने थानेदार को जीप में बैठा कर के नहीं फुंकवा दिया था. खन्नू बिंद को पुलिसवाले ने मारा बूट से और उसको यहाँ (गुप्तांग की ओर हाथ से इशारा) लग गया था. और जब उसकी वहां पे मौत हुई थी तब मैंने थाना फुंकवाने का काम किया था. कहने का मतलब अगर हमारे बिंद समाज के ऊपर जुल्म, ज्यादती, अन्याय, अत्याचार कोई करता है तो, जब पहले कोई करता था तो बात अलग थी. लेकिन अब अगर एक ब्राह्मण अगर एक बिंद को पीटता है तो अइसे, खोला ई जनेउआ पहिने बा कि नाहीं (इसने जनेऊ पहना है कि नहीं) रोक कर एक तरफ़ बिंद पिटाई शुरू कर देते हैं. ऐसे नहीं वहां मिर्जापुर में वो सब कांपते हैं रमेश बिंद के नाम से. अगर एक बिंद को वो सब मारते हैं तो कम से कम सैकड़ों ब्राह्मण को पीटा जाता है तब वो सब ठीक होते हैं.

यहां कहा जा रहा है कि 'अइसे, जनेऊ पहिना है कि नाहीं' देखकर ब्राह्मणों को पीटा जाता था
यहां कहा जा रहा है कि 'अइसे, जनेऊ पहिना है कि नाहीं' देखकर ब्राह्मणों को पीटा जाता था

कहां हुई थी ये मीटिंग :-

हमारे भदोही संवाददाता दिनेश के अनुसार जिस मीटिंग का वीडियो वायरल हो रहा है, वो इसी साल जनवरी की है. भदोही के बवई इलाके में लोहिया इंटर कॉलेज के परिसर में ही मीटिंग हुई. अखिल भारतवर्षीय बिंद जातीय महासम्मेलन के नाम से हुई थी मीटिंग. जिसमें पूर्व सांसद और इस कॉलेज को चलाने वाले पूर्व सांसद रामरती बिंद भी मौजूद थे. बिंद समाज की समस्याओं पर कुल 7 बिंदुओं की चर्चा के लिए दलित नेता इकट्ठे हुए थे.

किस घटना की बात हो रही है वायरल वीडियो में:-

मिर्ज़ापुर से आज तक के संवाददाता सुरेश ने बताया कि जिस घटना का वीडियो में ज़िक्र है, वो मिर्ज़ापुर के पड़री थाने की है. साल था 2006. बिंद समुदाय के कुछ लोगों में ज़मीन को लेकर विवाद हुआ. इस विवाद में खन्नू बिंद की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. कुछ का कहना है कि बिंद की हत्या हुई, लेकिन पुलिस डायरी में खन्नू बिंद की मौत की वजह 'सांप के काटने से मौत' बताई गई है. हिरासत में हुई इसी मौत के बाद बिंद समुदाय ने सड़क जाम की, और जब पुलिस की जीप पहुंची तो जीप जला दी गई थी.

सवर्ण विरोधी नेता के तौर पर स्थापित हैं रमेश बिंद:-

रमेश बिंद के वायरल वीडियो में जैसा सुनाई दे रहा है कि 'ऐसे ही नहीं वहां मिर्ज़ापुर में ब्राह्मण कांपते हैं रमेश बिंद के नाम से'. स्थिति तक़रीबन ऐसी है भी. रमेश बिंद सवर्ण विरोधी नेता के तौर पर जाने जाते हैं. इलाके में जातीय झगड़े झंझट होते रहते हैं जिनमें भाई साहब बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं.

हालांकि डॉक्टर रमेश बिंद ने वीडियो को डॉक्टर्ड बताया है. मतलब फ़र्जी. कहा है कि वीडियो में ना मैं हूं, ना मेरी आवाज़.
अभी कुछ ही दिन पहले बसपा से भाजपा में आए बिंद के इस वीडियो से बवाल खड़ा हो गया है. बसपा से लोकसभा टिकट ना मिलने पर बिंद ने पार्टी छोड़कर केसरिया बाना पहन लिया है. लेकिन किसी ने सच कहा था कि स्वर्ग और नरक कुछ नहीं होता. जो किया उसे यहीं भुगत के जाना है. कल तक सवर्ण विरोध की राजनीति कर रहे बिंद को अब कहना पड़ रहा है कि 'अगर कोई सबूत दे कि मैंने कभी किसी ब्राह्मण को परेशान किया है तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा'

चुनाव बाद दो ही चीज़ें याद रखी जानी हैं. एक तो नेता के बिगड़े बोल और दूसरा टाइमिंग के साथ मारा गया गोल. बिंद जी दोनों वजहों से याद किए जाएंगे. लेकिन इस मीडियाई दौर में बयान और भाषण दोनों तोल-मोल के दिए जाने चाहिए. नहीं तो जनता बेभाव के वापस लौटाती है.



वीडियो देखें:-


राज ठाकरे की मुंबई सभा में उनके समर्थक इतने उत्तेजित क्यों हो गए थे?

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