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ज्ञानवापी मस्जिद केस पर आ गया वाराणसी कोर्ट का सबसे बड़ा फैसला

पिछले साल अगस्त में दिल्ली की महिला राखी सिंह और चार अन्य महिलाओं ने याचिका दाखिल की थी.

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Gyanvapi masjid row
ज्ञानवापी मस्जिद (फाइल फोटो)
12 सितंबर 2022 (Updated: 12 सितंबर 2022, 16:10 IST)
Updated: 12 सितंबर 2022 16:10 IST
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ज्ञानवापी मस्जिद परिसर (Gyanvapi Masjid) में श्रृंगार गौरी की नियमित रूप से पूजा करने की मांग वाली याचिका पर वाराणसी कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है. कोर्ट ने कहा कि याचिका सुनवाई के लायक है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 23 मई से वाराणसी कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. जिला अदालत ने 24 अगस्त को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने दलील थी मस्जिद परिसर में पूजा करने की मांग उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) कानून का उल्लंघन है. मुस्लिम पक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया.

वाराणसी कोर्ट ने क्या कहा?

वाराणसी कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. मुस्लिम पक्ष को तब तक लिखित बयान दाखिल करने को कहा गया है. ज्ञानवापी मस्जिद की मैनेजमेंट कमिटी 'अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद' ने कोर्ट में कहा था कि मस्जिद वक्फ की संपत्ति है. कमिटी ने उपासना स्थल कानून के आधार पर याचिका की वैधता को चुनौती दी थी. हालांकि कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई उपासना स्थल कानून के तहत नहीं रोकी जा सकती.

कोर्ट के फैसले के बाद याचिकाकर्ता महिलाओं में एक रेखा सिंह ने कहा कि उनके हक में फैसला आया है, उन्होंने इतिहास रच दिया है. याचिका दाखिल करने वाली महिलाओं ने कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद के पश्चिम की तरफ वाली दीवार पर देवी श्रृंगार गौरी की तस्वीर है और पूजा करने के लिए वहां तक उन्हें जाने की इजाजत मिलनी चाहिए.

कोर्ट के फैसले से पहले वाराणसी में धारा-144 लागू की गई थी. जिला अदालत परिसर में 250 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. 

ज्ञानवापी मस्जिद पर याचिका 

पिछले साल अगस्त में दिल्ली की महिला राखी सिंह और चार अन्य महिलाओं ने याचिका दाखिल की थी. ये महिलाएं एक दक्षिणपंथी समूह विश्व वैदिक संस्थान संघ से जुड़ी हुई हैं. याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर श्रृंगार गौरी और दूसरी मूर्तियों की नियमित पूजा करने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि देवी-देवताओं की मूर्ति प्लॉट नंबर 9130 में है जो विवादित नहीं है. साथ ही अदालत से सर्वे कराने की भी मांग की गई थी.

वाराणसी कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इसी साल अप्रैल में मस्जिद परिसर के सर्वे का आदेश दिया था. सर्वे का काम 16 मई को पूरा हुआ था. हालांकि अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद ने इस सर्वे को गैर-कानूनी बताया था. कमिटी का कहना था कि सिविल कोर्ट का आदेश उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के खिलाफ है.

सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने में एक पत्थर की आकृति मिली थी. हिंदू पक्ष ने उस आकृति के 'शिवलिंग' होने का दावा किया था. कोर्ट ने मस्जिद को सील करने का आदेश दिया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में नमाज जारी रखने का फैसला सुनाया था. लेकिन वजूखाने को सील ही रखा गया.

दी लल्लनटॉप शो: ज्ञानवापी मस्जिद इतिहास पर इतिहासकारों की क्या राय?

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