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अमेरिका में जो बिल पास हुआ है, वो बहुत से भारतीयों को भी खुश कर देगा

मामला अमेरिका में बसने से जुड़ा है

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ग्रीन कार्ड से संबंधित इस बिल का पॉपुलर नाम S.386 है. हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स से ये बिल पहले पास हो गया था. अब सीनेट ने भी मंजूरी दे दी है. (सांकेतिक फोटो- PTI)
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अभिषेक त्रिपाठी
3 दिसंबर 2020 (Updated: 3 दिसंबर 2020, 06:07 PM IST) कॉमेंट्स
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सीनेट, अमेरिकी संसद का उच्च सदन है. इसने एक बिल पास किया है, जो भारत समेत कई देशों के लिए अहम है. इस बिल का नाम है- 'फेयरनेस फॉर हाई-स्किल्ड इमिग्रेंट्स एक्ट'. ये रोजगार आधारित इमिग्रेंट वीज़ा यानी ग्रीन कार्ड के बारे में है. इसके जरिये देशों के लिए हर साल जारी होने वाले ग्रीन कार्ड की सीमा को समाप्त कर दिया गया है. आसान शब्दों में कहें तो अब हर साल ज़्यादा लोगों को ग्रीन कार्ड इश्यू हो सकेंगे. इससे अमेरिका में बसने का ख्वाब देख रहे लोगों का इंतजार खत्म हो सकेगा.   ग्रीन कार्ड क्या होता है? किसी दूसरे देश से जाकर अमेरिका में बसे लोगों को वहां काम करने, रहने के लिए एक कार्ड दिया जाता है. इसे यूएस परमानेंट रेज़िडेंट्स कार्ड कहा जाता है. कार्ड का रंग हरा होता है, इसलिए यह ग्रीन कार्ड कहलाने लगा. ग्रीन कार्डधारी व्यक्ति अमेरिका में रह सकता है, नौकरी कर सकता है. ग्रीन कार्ड की वैलिडिटी 10 साल की होती है. इसके बाद इसे रिन्यू कराना होता है या फिर नया जारी होता है. अभी तक क्या नियम था? अमेरिका में हर देश को ग्रीन कार्ड का सालाना 7-7 फीसदी का कोटा मिलता है. यानी हर साल, हर देश से आने वाले  सात फीसदी लोगों को ग्रीन कार्ड मिलेगा. बाकी लोग वेटिंग लिस्ट में जाते थे. ऐसा करते-करते वेटिंग लिस्ट काफी लंबी हो गई. एक अनुमान के मुताबिक, अमेरिका में करीब 20 लाख लोग ग्रीन कार्ड की वेटिंग लिस्ट में हैं. उदाहरण से समझिए मान लीजिए अमेरिका ने तय किया कि 2020 में 100 ग्रीन कार्ड जारी करेंगे. अब तमाम देशों के लोगों ने अप्लाई किया. इसमें से हर देश के सात-सात लोगों को ही कार्ड दिए जाएंगे. बाकी लोग गए वेटिंग लिस्ट में. मान लीजिए भारत के 11 लोगों ने अप्लाई किया. सात को कार्ड मिला, बाकी चार वेटिंग लिस्ट में. अब ये सात वाली लिमिट हटा दी गई है. अब मेरिट के आधार पर ग्रीन कार्ड मिलेगा. यानी अगर भारत से ज़्यादा कुशल वर्कफोर्स अमेरिका जा रही है, तो भारत के खाते में 100 में से 15-20 ग्रीन कार्ड भी आ सकते हैं. इसी तरह, फैमिली बेस्ड वीज़ा का भी नियम बदला है. ये वो वाला वीज़ा है, कि मेरी बीवी अमेरिका में रहती है तो पारिवारिक कारणों से मुझे भी उसके साथ रहने की परमिशन दी जाए. इस तरह के वीज़ा पर भी पहले हर देश के लिए सात फीसदी सालाना की लिमिट थी, जिसे बढ़ाकर अब 15 फीसदी कर दिया गया है. इस बिल का अमेरिका में पॉपुलर नाम S.386 है. अमेरिका के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स से ये बिल जुलाई में ही पास हो गया था. अब वहां से उच्च सदन सीनेट ने भी इसे मंजूरी दे दी है.

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