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केशव प्रसाद मौर्य बोले- अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण जारी है, अब मथुरा की बारी है

एक हिंदूवादी संगठन ने मथुरा की शाही मस्जिद में भगवान कृष्ण की मूर्ति लगाने का ऐलान भी कर दिया है

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पंचायत आजतक के 'कौन बनेगा मुख्यमंत्री' सेशन में केशव प्रसाद मौर्य ने राहुल गांधी, अखिलेश यादव और विपक्ष पर जमकर निशाना साधा.
केशव प्रसाद मौर्य की फाइल फोटो.
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डेविड
1 दिसंबर 2021 (Updated: 1 दिसंबर 2021, 09:24 AM IST)
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केशव प्रसाद मौर्य. उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम. उन्होंने एक दिसंबर को एक ट्वीट किया,
"अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है. मथुरा की तैयारी है #जय_श्रीराम #जय_शिव_शम्भू #जय_श्री_राधे_कृष्ण."
केशव प्रसाद मौर्य अपने ट्वीट में जिक्र कर रहे हैं कि अब मथुरा की तैयारी है. इससे कुछ घंटे पहले जी न्यूज से बातचीत में उन्होंने कहा था,
"जिस प्रकार से अयोध्या में श्रीरामलला की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण होने से पूरे देश में ही नहीं, पूरी दुनिया के रामभक्तों में खुशी है. वैसे ही त्रिलोकी के नाथ यानी बाबा विश्वनाथ का काशी में भव्य मंदिर का कॉरिडोर बना है. हम लोग राम जन्म भूमि आंदोलन के समय और 6 दिसंबर के बाद नारे लगाते थे कि अयोध्या हुई हमारी, अब काशी-मथुरा की बारी, तो काशी और अयोध्या अब हमारी है और अब कृष्णजन्मभूमि की बारी है."
हालांकि, उन्होंने आगे ये भी जोड़ा कि चुनाव और अयोध्या-मथुरा काशी दोनों अलग-अलग बातें हैं. चुनाव और आस्था के केंद्रों का आपस में कोई मेल नहीं होता है. लेकिन विपक्षी इन्हें चुनाव से जरूर जोड़ने की कोशिश करते हैं. आपको बतादें कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनकर तैयार हुआ है. 600 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट के तहत काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार किया गया है. पीएम मोदी 13 दिसंबर को इसका उद्धाटन करेंगे. मथुरा में बढ़ रहा है विवाद! मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद कृष्ण जन्मस्थान मंदिर के बिल्कुल नजदीक है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मथुरा में हिंदूवादी संगठनों ने शाही ईदगाह में 6 दिसंबर को भगवान कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा की है. इस ऐलान के बाद मथुरा में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. पुलिस का कहना है कि किसी भी तरह के कार्यक्रम के लिए कोई इजाजत नहीं दी गई है और न ही दी जाएगी. ईदगाह में प्रतिमा की स्थापना की धमकी तब दी गई थी, जब स्थानीय कोर्ट ने 17वीं शताब्दी की मस्जिद को हटाने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई की थी. धमकी के बाद मथुरा में कौमी एकता मंच के सदस्यों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से 6 दिसंबर को सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया है. मंच के संस्थापक मधुवन दत्त चतुर्वेदी ने कहा, "शाही ईदगाह और श्री कृष्ण जन्मस्थान संस्थान के प्रबंधकों के बीच साइन हुए समझौते को करीब 53 साल बीत गए हैं. हमें इसे नहीं तोड़ना चाहिए." मामला सुप्रीम कोर्ट में वहीं 53 साल पुराने समझौते का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट से इस समझौते की SIT जांच की मांग की गई है. आजतक के संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका में कहा गया कि हिंदुओं के साथ धोखा करके कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की संपत्ति बिना किसी कानूनी अधिकार के शाही ईदगाह को दे दी गई, जो गलत है. जिस समझौते के तहत जमीन दी गई, वह समझौता क्षेत्राधिकार के बिना किया गया था और इसलिए यह किसी पर भी बाध्यकारी नहीं है. याचिका में कोर्ट से इस समझौते को अवैध घोषित करने की मांग की गई है. क्या है समझौता? मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद कृष्ण जन्मभूमि से सटी हुई है. 1935 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बनारस के हिंदू राजा को इस ज़मीन के कानूनी अधिकार सौंप दिए थे. 1951 में तय हुआ कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बनाकर वहां दोबारा भव्य मंदिर का निर्माण होगा. मगर इससे पहले ही 1945 में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने एक रिट दायर कर दी. इसका फैसला 1953 में आया. इसके बाद श्रीकृष्ण मंदिर निर्माण हुआ. फिर 1964 में संस्था ने पूरी ज़मीन पर नियंत्रण के लिए सिविल केस दायर किया. मगर 1968 में मुस्लिम पक्ष ने ही समझौता कर लिया. समझौते के तहत मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्ज़े वाली कुछ जमीन छोड़ दी. इस समझौते के खिलाफ ही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है, जहां याचिका दायर करने वाला पक्ष दावा कर रहा है कि समझौते में श्री कृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की जमीन शाही ईदगाह मस्जिद को दे दी गई थी.

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