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उन्मुक्त चंद: वो प्रतिभाशाली क्रिकेटर जो दूसरा कोहली नहीं बन पाया

घरेलू करियर के 8 साल बाद भी अपनी जगह तलाश रहा है.

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फोटो - thelallantop
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प्रवीण
16 फ़रवरी 2018 (Updated: 17 फ़रवरी 2018, 03:02 PM IST) कॉमेंट्स
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2008 में दिल्ली की एक मिडिल क्लास फैमिली का लड़का इंडिया को अंडर -19 वर्ल्ड कप जिता लाता है. चार साल बाद दिल्ली का ही एक दूसरा लड़का इंडिया को ये कप दिलाता है. पहला विराट कोहली है. दूसरा उन्मुक्त चंद है. दोनों गजब के बल्लेबाज. मगर जहां कोहली ने ये कप जीतने के 6 महीने के भीतर टीम इंडिया में जगह पा ली, वहीं उन्मुक्त  6 साल बाद भी सीनियर टीम तक नहीं पहुंच पाए हैं. अंडर-19 कप जीतने से पहले तक का दोनों का करियर ग्राफ एक स्पीड से बढ़ा. तो आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्मुक्त वहां नहीं पहुंच पाए, जहां वो हो सकते थे. उन्मुक्त की पहचान एक स्टाइलिश और आक्रामक बैट्समेन के रूप में बनी. ज्यादातर मौकों पर ओपनिंग करते हैं. दिल्ली में स्कूल लेवल पर क्रिकेट की सीखने वाले इस बल्लेबाज ने तेजी से करियर की सीढ़ियां चढ़ीं. 2010 में दिल्ली की रणजी टीम में शामिल हुए और वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, विराट कोहली और दिल्ली से निकले तमाम सीनियर खिलाड़ियों ने उन्मुक्त के टैलेंट को सराहा. उन्मुक्त ने दिल्ली रणजी में डेब्यू करते हुए 5 मैचों में 400 रन मार दिए. इसके बाद हर बड़े टूर्नामेंट में उन्मुक्त खेलते नजर आए. घरेलू क्रिकेट में अच्छा खेलते हुए 17 साल के उन्मुक्त को इंडिया की अंडर-19 टीम की कमान सौंपी गई.
साल 2012 में ऑस्ट्रेलिया में हुए अंडर-19 वर्ल्ड कप में उन्मुक्त ने इंडिया को जीत दिलवाई थी. कंगारूओं के खिलाफ फाइनल खेलते हुए कप्तान उन्मुक्त ने 111 रनों की नाबाद पारी खेली और दुनिया के बड़े-बड़े धुरंधरों ने उन्मुक्त में इंडिया का क्रिकेट फ्यूचर देखा. मोहम्मद कैफ (2000), विराट कोहली (2008) के बाद उन्मुक्त तीसरा नाम था जिसकी कप्तानी में भारत ये कप जीता. अब पृथ्वी शॉ (2018) का नाम भी इसमें जुड़ चुका है.
Book उन्मुक्त के क्रिकेट करियर में ये वर्ल्ड कप बहुत बड़ा उछाल था. इस पर खुद उन्मुक्त ने एक किताब लिख दी. टाइटल है- द स्काई इज द लिमिट, माई जर्नी टू वर्ल्ड कप. जिसकी प्रस्तावना वेस्टइंडीज के लेजेंड्री बल्लेबाज सर विवियन रिचर्ड्स ने लिखी और कवर पेज पर कोहली का उन्मुक्त के बारे में एक कमेंट था- A very special player.जिस खिलाड़ी को कोहली ने स्पेशल प्लेयर बताया, वो 2017-18 के रणजी सीजन में कोई कमाल नहीं कर पाया. चार मैचों की 6 पारियों में उन्मुक्त ने 128 रन बनाए. इसके बाद सैय्यद मुश्ताक़ टी-20 ट्रॉफी में उन्मुक्त को ड्रॉप कर दिया गया. यही नहीं, 2011 में दिल्ली डेयरडेविल्स के साथ डेब्यू करने वाले उन्मुक्त को इस सीजन यानी 2018 में आईपीएल में कोई खरीददार नहीं मिला. Chand फिर हफ्ते भर बाद बुलावा आया विजय हज़ारे ट्रॉफी में खेलने का. उन्मुक्त अपना किटबैग उठाए ग्राउंड पर पहुंच गए. अगले दिन यूपी के साथ मैच था. डॉक्टरों ने रेस्ट करने की सलाह दी. मगर दिल्ली के इस ओपनर ने इसकी परवाह नहीं की. ओपनिंग करने उतरे उन्मुक्त के जबड़े पर पट्टी बंधी थी जिसे देखकर अनिल कुंबले का 2002 का वेस्टइंडीज के खिलाफ एंटीगा टेस्ट याद आया जब वो मुंह पर पट्टी बांध कर बॉलिंग करते दिखे थे. यहां इस मैच में उन्मुक्त ने 116 रनों की जाबड़ पारी खेली. इस पर ये बल्लेबाज बोला,"मेरा जबड़ा दर्द कर रहा था मगर जब तक मेरे हाथ और पैर चलते रहे, मैं खेलता रहा." इसके बाद भी दो और हाफ सेंचुरी उन्मुक्त के बल्ले से निकलीं. यहां खेले 6 मैचों में उन्मुक्त ने 319 रन मारे हैं. Chand1 अब जब आईपीएल में जगह नहीं मिली है तो उन्मुक्त अगले 7 महीने किसी भी बड़े इवेंट में नहीं खेलेंगे. एक इंटरव्यू में उन्मुक्त ने कहा है कि वो एक ही गेंद को 12 तरह से खेलने की एक नई शैली ईजाद कर चुके हैं. इस बार आईपीएल में उन्हें नजरांदाज किया गया है मगर अगली बार उन्हें खरीदने की टीमों में होड़ होगी. अपने इस प्लैन के बारे में आगे बताते हुए उन्मुक्त ने कहा है कि अभी तक सचिन तेंडुलकर ही इकलौते बल्लेबाज रहे हैं जो एक गेंद को 5 तरीके से खेलते थे. मगर वो इससे भी आगे जाने की तैयारी सक चुके हैं. तमाम बड़े बल्लेबाजों की बैटिंग के वीडियोज देखकर और कोहली, सहवाग, कपिल देव और युवराज सिंह से सलाह लेकर उन्मुक्त ने अपनी बैटिंग पर काम किया है.
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