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उत्तराखंड UCC: लिव इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, शादी और तलाक को लेकर भी सुझाव

Uttarakhand के Chief Minister Pushkar Singh Dhami ने आज Uniform Civil Code (यूनिफॉर्म सिविल कोड) बिल विधानसभा में पेश किया. विधानसभा से पास होने के बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा. इसके कानून बनने से राज्य में क्या बदलेगा?

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 Uniform Civil Code bill was tabled in the Uttarakhand Assembly
उत्तराखंड विधानसभा में विपक्षी दल बिल पर चर्चा करने की मांग कर रहे हैं | फोटो: ANI
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अभय शर्मा
6 फ़रवरी 2024 (Updated: 6 फ़रवरी 2024, 04:26 PM IST) कॉमेंट्स
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता कानून (UCC) का ड्राफ्ट राज्य की विधानसभा में पेश कर दिया है. धामी ने कहा कि इस बिल में सभी धर्मों और सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है. देश की आजादी के बाद से UCC पर ड्राफ्ट लाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है(Uniform Civil Code bill tabled in Uttarakhand Assembly).

बिल पेश करने से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जिस पल का लंबे समय से इंतजार था, वो पल आ गया है. न केवल प्रदेश की सवा करोड़ जनता बल्कि पूरे देश की नजरें उत्तराखंड की ओर लगी हुई हैं. उनके मुताबिक ये कानून महिला उत्थान को मजबूत करने का कदम है, जिसमें हर समुदाय, हर वर्ग, हर धर्म के बारे में विचार किया गया है.

उत्तराखंड में UCC की एक्सपर्ट कमेटी ने जो बिल तैयार किया है, उसमें लगभग 400 सेक्शन है. इस ड्राफ्ट में प्रदेशभर से ऑनलाइन और ऑफलाइन 2.31 लाख सुझावों को शामिल किया गया है. इस बिल को यूनिफॉर्म के बजाय ‘कॉमन सिविल कोड’ नाम दिया गया है.

विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने बिल को लेकर कहा है कि CM धामी BJP नेताओं को खुश करने के लिए ये बिल लेकर आए हैं. रावत ने कहा कि कांग्रेस समेत विपक्ष को बिल की कॉपी ही नहीं दी गई है. बिल की कॉपी न होने की स्थिति में इस पर चर्चा करना संभव नहीं है.

वहीं, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बिल को मुसलमानों के खिलाफ साजिश बताया है. उन्होंने आरोप लगाया कि नए बिल के जरिए मुसलमानों को उनके मजहब से दूर करने की साजिश की जा रही है. ओवैसी ने कहा कि जब जनजातियों को इस बिल से बाहर रखा गया है, तब यह यूनिफॉर्म सिविल कोड कैसे हो सकता है.

UCC ड्राफ्ट में शादी को लेकर सुझाव

# सभी धर्म और जातियों में लड़की के विवाह की आयु 18 वर्ष होगी.

# बहुविवाह प्रथा पर रोक लगेगी.

# विवाह का रजिस्ट्रेशन (लोकल बॉडी में) कराना अनिवार्य होगा.

# कोर्ट के अलावा हर प्रकार के तलाक पर रोक रहेगी.

Copy of Common Civil Code of Uttarakhand Government
उत्तराखंड सरकार के कॉमन सिविल कोड की कॉपी

# पुनर्विवाह के लिए किसी भी प्रकार की शर्त पर रोक रहेगी (जैसे हलाला, इद्दत).

# वर्जित विवाह परिभाषित किए गए.(सगे और चचेरे, ममेरे भाई बहन से विवाह वर्जित होगा, लेकिन यदि किसी धर्म में पहले से ही इसका रिवाज और मान्यता है तो उन्हें ऐसे विवाह की इजाजत होगी.)

# मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार होगा और गोद लेने की प्रक्रिया सरल होगी.

# पति और पत्नी दोनों को तलाक की प्रक्रियाओं तक समान पहुंच प्राप्त होगी.

Uniform Civil Code bill tabled in Uttarakhand Assembly
उत्तराखंड सरकार के कॉमन सिविल कोड की कॉपी
लिव इन रिलेशनशिप के लिए नियम

# लिव इन रिलेशनशिप में रहने से पहले रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा.

# रजिस्ट्रेशन के टर्मिनेशन का भी रजिस्ट्रेशन होगा. 

# लिव इन रिलेशनशिप के दौरान अगर कोई संतान पैदा होती है, तो उसके हितों का संरक्षण करना होगा और उसे माता-पिता का नाम भी देना होगा.

अन्य नियम

# नए कानून के मुताबिक सभी को एडॉप्शन का अधिकार मिलेगा. साथ ही किसी बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया आसान बनाई जाएगी.

# नए कानून में कहा गया है कि अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा.

# नए कानून के ड्राफ्ट में ये भी कहा गया है कि माता-पिता की संपत्ति में पुत्र और पुत्री को समान अधिकार होगा.

ये भी पढ़ें:- यूनिफॉर्म सिविल कोड पर संविधान सभा की बहस में क्या हुआ था?

जनजातियों को कानून से रखा जाएगा बाहर

राज्य की जनजातियों पर कॉमन सिविल कोड लागू नहीं होगा. मतलब उत्तराखंड में निवास करने वाली कोई भी जनजाति इस क़ानून से मुक्त रहेगी. जनजाति समुदाय की राज्य में पांच प्रकार की जनजातियां है जिनमें थारू, बोक्सा, राजी, भोटिया और जौनसारी समुदाय शामिल हैं.

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