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मस्क के ब्लू टिक का ये छुपा हुआ खेल अब सामने आया, पैसे लेकर....

ट्विटर को ख़ुद समझ नहीं आ रहा कि कौन क्या है?

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लेगसी ब्लू टिक और ब्लू टिक में अंतर बूझो
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14 दिसंबर 2022 (Updated: 14 दिसंबर 2022, 19:31 IST)
Updated: 14 दिसंबर 2022 19:31 IST
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एलन मस्क और ट्विटर ब्लू टिक. वो टिक अब जो ब्लू भी नहीं रहा. कई रंग के आ गए. अपने न्यूज़रूम में कई लोगों को मिला. संपादक मंडली को भी. रिपोर्टर मंडली को भी. फिर ट्विटर ध्यान से देखा. पता चला कि ट्विटर पर मिलने वाला ब्लू टिक भी अलग-अलग तरह का हो गया है. ब्लू, लेगसी ब्लू और ट्विटर ब्लू. और, रायता केवल इतना नहीं है. इन तीनों के अलावा भी दो और टिक हैं. पचरंगा अचार-सा हो गया. इन सभी टिकों का क्या सीन क्या है, वो बताए देते हैं.

ब्लू टिक के शुरूआती रुझान

मस्क जब से ट्विटर के मालिक बने हैं, तभी से कुछ न कुछ हो रहा है. कभी कंपनी से छंटनी, कभी अकाउंट सस्पेंशन, कभी 8 डॉलर में प्रीमियम पर बवाल. हालांकि, 8 डॉलर में मिलने वाला ये ट्विटर ब्लू का सब्क्रिप्शन अभी भारत में नहीं आया है, लेकिन अब इसके शुरुआती रुझान आने लगे हैं.

अब कुछ लोगों के ट्विटर अकाउंट पर बने ब्लू टिक को क्लिक करें, तो एक मैसेज अंग्रेजी में लिखा मिलता है - 

"ये एक लेगसी वेरिफ़ाइड खाता है. ये नोटेबल हो भी सकता है और नहीं भी."

लेकिन कुछ और हैं, जिस पर क्लिक करें तो ये वाला मैसेज नहीं, थोड़ा अलग मैसेज लिखा मिलता है.

"ये अकाउंट वेरिफ़ाइड है क्योंकि ये किसी सरकारी, न्यूज़, इंटरटेनमेंट या किसी अन्य नामी कैटगरी के तहत नोटेबल है."

माने, दो तरह के वेरिफ़ाइड अकाउंट -  

लेगसी, जो नोटेबल हो भी सकता है और नहीं भी. 

और दूसरा, नोटेबल है ही. नोटेबल बोले तो ध्यान देने योग्य. 

अब यहां पर शुरू होती है कन्फ्यूजन की शुरुआत. जिन अकाउंट को हमने केस स्टडी की तरह देखा, उन पर ये नोटेबल या नॉन-नोटेबल का सत्य शाश्वत नहीं. अलग-अलग डिवाइस पर अलग-अलग मैसेज दिख रहे थे.

जिन अकाउंट को हमने अपने डिवाइस में खोला था, दूसरे डिवाइस से देखने पर हमें अलग कहानी दिखी. जो अकाउंट एक डिवाइस में नोटेबल दिख रहे थे, वो दूसरे डिवाइस में नॉन-नोटेबल दिख रहे थे. इसको आप अपने एंड पर चेक कर सकते हैं. बस 2-4 ब्लू टिक को अलग-अलग अकाउंट और डिवाइस पर जाकर देखिए. (हमारे संपादकों के भी अकाउंट देख सकते हैं  - विंक, विंक)

सरकार के अकाउंट भी कंफ्यूज़ करेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अकाउंट नोटेबल दिखाया. मेरे फोन से भी, फ़्लैटमेट के फोन से भी. यानी इससे पहले वाली पंक्ति पर जो निष्कर्ष हमने निकाला (और आपको चेक करने को भी कहा) वो ग़लत हो गया. ऐसा नहीं है कि अपने फोन से देखो तो नोटेबल और किसी और से देखो तो लेगसी. वो हर जगह एक था.

लेकिन कहानी प्रधानमंत्री की कुर्सी से आगे जाते ही कंफ्यूज़िंग हो जाती है. देश के गृह मंत्री अमित शाह का ट्विटर अकाउंट देखा, तो वो निकला लेगसी. (इस स्टोरी के लिखे जाने तक तो यही स्थिति थी)

ब्लू.. कितने तरह का ब्लू?

पता चला कि मस्क ने 12 दिसंबर को ही मस्क ने ये स्थिति साफ़ की है. एक ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए लिखा था,

"कुछ ही महीनों में हम सभी लेगसी ब्लू टिक्स हटा देंगे. जिस तरह से उन्हें वेरिफ़ाई किया गया है, वो तरीक़ा बहुत भ्रष्ट और बेतुका था."

वैसे तो मामला बहुत साफ़ है नहीं, लेकिन जितना हमें समझ आ रहा है कि ये लेगसी वाले ब्लू टिक एक तरह से अंडरटेकिंग में है. जैसे दसवीं के बाद कई CBSE स्कूलों में साइंस लेने के लिए एक पेपर करवाया जाता है, जिसे पास करके स्कूल के सामने 'साबित' करना होता है कि वो साइंस पढ़ने 'लायक़' है. और, हर व्यक्ति को वो टेस्ट नहीं देना होता. ज़्यादातर स्कूलों में ये क्राइटीरिया दसवीं के नंबर पर तय होता है. मसलन, दसवीं में 9.2 CGPA से कम आया, तो अंडरटेकिंग इग्ज़ाम देना होगा. ज़्यादा आया, तो नहीं देना.

तो ये लेगसी वेरिफ़ाइड वाला मामला असल में अंडरटेकिंग है. बकौल मस्क, ये अकाउंट्स उनके आने से पहले वेरिफ़ाई हुए थे और वेरिफ़ाई होने का तरीक़ा बेतुका था. तो बहुत संभावना है कि जो लोग लेगसी वाली कैटगरी में हैं, उनका ब्लू टिक चला जाएगा.

लेकिन मस्क के बोले से ये तो साफ होता नहीं है कि जो अकाउंट कंफ्यूज़ कर रहे हैं, उनका क्या होगा? पहले क्या दूर होगा? कंफ्यूज़न या ब्लू टिक?

ट्विटर के ब्लू सब्सक्रिप्शन वाला ब्लू टिक. सो जैसा मस्क ने ऐलान किया था, 8 डॉलर में ब्लू टिक वाला. ये वही वाला है. जिन देशों में ट्विटर की पेड वेरिफ़िकेशन सर्विस ट्विटर ब्लू शुरू हो गई है, वो ये ख़रीद सकते हैं. हमारे देश में भी एक दिन के लिए शुरू हुई थी. 11 नवंबर को भारत में ट्विटर ब्लू लॉन्च किया गया. कुछ ही घंटे हुए और फ़र्जीवाड़े की ख़बरें आने लगीं. छोटे फर्जीवाड़े नहीं, हैवी लेवल. ‘700 दो, ब्लू टिक लो’ योजना के तहत किसी ने सीधे ट्विटर के नाम पर चूना लगाया, तो किसी ने मुफ़्त में दवाई बांटने के नाम पर. लेकिन फिर ट्विटर वालों ने इसे होल्ड पर डाल दिया. हालांकि, जितनों ने उस समय वेरिफ़ाई करवा लिया, उनका अभी तक वेरिफ़ाइड है.

अब ये गोल्ड और ग्रे वाला टिक क्या है?

बिज़नेस टुडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़, ट्विटर में अब तीन तरह के चेकमार्क होंगे. नीला, ग्रे और गोल्ड. सरकार से संबद्ध वाले खातों के लिए ग्रे चेकमार्क होगा. गोल्ड टिक मिलेगा विज्ञापनदाताओं को. और, ब्लू टिक की राजनीति तो हमने आपको बता ही दी.

ट्विटर का तुक है कि चूंकि अब कोई भी वेरिफ़ाइड बैज ख़रीद सकता है, तो सबमें एक साफ़ फ़र्क़ दिखना चाहिए. 

हालांकि, ये गोल्ड टिक भारत के कुछ पत्रकारों के अकाउंट्स पर भी दिख रहा है. जैसे, द प्रिंट के एडिटर-इन-चीफ़ शेखर गुप्ता और इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई के अकाउंट्स पर गोल्ड टिक दिख रहा है. साथ ही ANI समेत कुछ न्यूज़ एजेंसी के अकाउंट्स पर भी.

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