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कर्नाटक के इस थाने को चूहों से बचाने के लिए बिल्लियां तैनात की गई हैं!

चूहों ने थाने में पुलिसकर्मियों की नाक में दम कर रखा था. वे न सिर्फ पूरे थाने में दौड़ लगाते फिरते थे, बल्कि जरूरी फाइलों को भी कुतरने लगे थे.

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Karnataka police station deploy cats
कर्नाटक के एक थाने में बिल्लियां लाई गईं (सांकेतिक तस्वीर: आजतक)
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सुरभि गुप्ता
27 जून 2022 (Updated: 28 जून 2022, 12:07 PM IST) कॉमेंट्स
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कर्नाटक के एक पुलिस थाने में बिल्लियां तैनात की गई हैं, ताकि चूहों के आतंक को कम किया जा सके. जी हां, चूहों ने थाने में पुलिसकर्मियों की नाक में दम कर रखा था. चूहे न सिर्फ पूरे थाने में दौड़ लगाते फिरते थे, बल्कि थाने में रखी जरूरी फाइलों को भी कुतरने लगे थे. फिर क्या था, इस समस्या के समाधान के लिए थाने में बिल्लियां लाई गई हैं. 

रिपोर्ट्स के मुताबिक मामला कर्नाटक के गौरीबिदनूर रूरल पुलिस स्टेशन का है. बेंगलुरु शहर से लगभग 80 किमी दूर स्थित ये पुलिस स्टेशन 2014 में बनाया गया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस स्टेशन के सूत्रों ने कहा कि चूहों ने थाने में रखी फाइलों को कुतरना शुरू कर दिया था. इसलिए उन्हें इस समस्या का समाधान करने के लिए थाने में बिल्लियां रखनी पड़ी हैं. 

थाने में बिल्लियों को लाने से कम हुआ चूहों का खतरा

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए गौरीबिदनूर रूरल पुलिस स्टेशन के सब-इन्स्पेक्टर विजय कुमार ने कहा, 

यहां पास में एक झील है और ऐसा लगता है कि चूहों ने हमारे स्टेशन को रहने के लिए एक बेहतर जगह पाया है. जब थाने में एक बिल्ली को लाया गया, तब चूहों का खतरा कम हो गया और हम हाल ही में एक और बिल्ली ले आए हैं. अब तक बिल्लियां तीन चूहों को मार चुकी हैं.

उन्होंने आगे कहा,

चूहे पूरे पुलिस स्टेशन में और उन सेल्स और कमरों में दौड़ते रहते हैं, जहां फाइलें रखी हैं. हम दो बिल्लियों को दूध और खाना देते हैं, जो अब पुलिस स्टेशन में एक परिवार की तरह हो गई हैं.

चूहे और मच्छरों से निपटने के लिए काफी रकम खर्च करते हैं कई विभाग

रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक में कई विभाग चूहे और मच्छरों के खतरे को रोकने के लिए काफी रकम खर्च करते हैं. एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) के सवाल से पता चला है कि कर्नाटक एग्जामिनेशन अथॉरिटी चूहे और मच्छरों के खतरे को रोकने के लिए सालाना लगभग 50,000 रुपये खर्च करता है.

एक और आरटीआई के सवाल में पता चला था राज्य सरकार ने 2010-15 के बीच चूहों को पकड़ने के लिए 19.34 लाख रुपये खर्च किए थे.
 

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