फेसबुक पर ट्रेंड कर रहे प्रिज्मा, चैलेंज एक्सेप्टेड और टिंबर हैं क्या
ट्रेंड देखकर अगर 'फीलिंग लॉस्ट' टाइप फील कर रहे हैं तो ये पढ़ लें.
फोटो - thelallantop
अगर आप फेसबुक पर हैं. आपको पता है सोशल मीडिया कित्ती जल्दी-जल्दी बदलता रहता है. दिनभर में बहत्तरों चीज़ें आती हैं. ट्रेंड बनती हैं. और गायब हो जाती हैं. पिछले पंद्रह-बीस दिनों से हमारी फेसबुक वॉल पर खाली दो ही चीज़ें दिख रही हैं. एक तो प्रिज्मा. दूसरी चैलेंज एक्सेप्टेड. महीना ख़त्म होते-होते एक और चीज़ जुड़ गई इस लिस्ट में. टिंबर. अगर आपकी टाइमलाइन में भी यही सब चल रहा है और आप एकदम क्लूलेस महसूस कर रहे हैं. तो घेरा बना कर बैठ जाओ. हम समझाते हैं कि क्या चल्ला है.फोटो एडिटिंग टूल नहीं, आर्टिस्ट है प्रिज्मा ऐप
अगर आपके ज्यादातर दोस्त आजकल ऑयल पेंटिंग जैसे दिखने लगे हैं. तो वो भी प्रिज्मा ऐप की चपेट में हैं. प्रिज्मा फोटो एडिटिंग सॉफ्टवेयर नहीं है. क्योंकि ये आपकी फोटो को एडिट नहीं करता. ये आपकी फोटो को देखकर एक नई फोटो बना देता है. दरअसल इस ऐप का अपना दिमाग है. मान लो इस ऐप के अंदर एक छोटा सा आदमी बैठा है. जो बहुत अच्छा आर्टिस्ट है. उसकी एक बड़ी सी फोटो लाइब्रेरी है. जब आप कोई फोटो इसको देते हैं. आप उससे मिलती-जुलती एक नई फोटो बनवाना चाहते हैं. ये आदमी उस फोटो की आउटलाइन पहचानता है. उस फोटो की क्वॉलिटी समझता है. उसके बाद दुनिया के 33
सबसे मशहूर आर्टिस्ट लोगों की पेंटिंग के तरीके से एक नई फोटो बना देता है. ये artificial intelligence का एक नमूना है. पहले तो प्रिज्मा केवल i-phone
वाले यूज़ कर रहे थे. भौकाल बना के रखे थे. अब गूगल प्ले स्टोर पर भी मिलने लगा, एंड्रायड वाले भी यूज कर रहे हैं. प्रिज्मा से फोटो बना कर ऐसा महसूस होता है कि खुद पिकासो ने आपकी फोटो बनाई है.
काली-सफ़ेद फोटू के लिए चैलेंज एक्सेप्टेड
एक और लूथ जो सब पाल कर बैठे हैं एक-दो हफ़्तों से. चैलेंज एक्सेप्टेड. हर कोई अपनी काली-सफ़ेद फोटो अपलोड करके लिख रहा है,
चैलेंज एक्सेप्टेड.
आप गलती से उनकी फोटो लाइक कर दो. आपके इनबॉक्स में मैसेज आ जाएगा. अब आपको चैलेंज किया गया है. आपको अपनी ब्लैक एंड वाइट फोटो डालनी है. और चैलेंज करने वाले को टैग करना है. फिर जो भी आपकी फोटो लाइक कर दे. या उस पर कमेंट कर दे. आपको उसके इनबॉक्स में यही वाला मैसेज चिपका देना है. बस एक बात समझ में नहीं आई. जो लोग दिन भर में 1008
फोटो खींचते हैं. हर 10
मिनट में नया फ़िल्टर ऐड करते हैं. हर आधे घंटे में अपनी डीपी बदलते हैं. उन लोगों के लिए एक काली-सफ़ेद फोटो फेसबुक पर लगा देना कौन बड़ा चैलेंज हुआ?
मोदी जी, टिंबर का कोई पेड़ नहीं होता
इसको टिंडर से कंफ्यूज ना किया जाए. ये कोई नए तरीके का डेटिंग ऐप नहीं है. ये प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात है. 31
जुलाई को जब मोदी देश से अपने मन की बात कर रहे थे. उन्होंने देशवासियों से कहा कि घर और फर्नीचर बनाने के लिए बहुत सारी टिंबर की लकड़ी विदेशों से मंगवानी पड़ती है. इसलिए देश के सारे किसान अपने खेत के चारों तरफ टिंबर के पेड़ लगाएं. इससे उनको और देश को काफी फायदा होगा. अब हुआ ये कि लोग खिल्ली उड़ाने लगे, कि लो प्रधानमंत्री को ये पता नहीं कि टिंबर का पेड़ नहीं होता. टिंबर पर जोक बनने लगे. इमली का बूटा, टिंबर का पेड़ जैसे. कहने लगे इसका मतलब मोदी जी के हिसाब से इस बार चीनी की खेती को बहुत फायदा हुआ है. सावन में प्लाइवुड और महोगनी के पेड़ों पर झूले लगेंगे. खुदाई में सीमेंट निकलेगा. और तेल की खानों से ऑलिव ऑयल निकलेगा.