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हिंदू संगठन के लोगों का मर्डर करने वाला पाशा न दे पाया पुलिस को झांसा

पुलिस ने दो मर्डर केस की जांच के लिए हिरासत में लिया था. पर पूछताछ में पता चला 5 मर्डर किए बैठा है.

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अविनाश जानू
23 अगस्त 2016 (Updated: 23 अगस्त 2016, 09:34 AM IST) कॉमेंट्स
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जब मैसूर पुलिस ने 34 साल के आबिद पाशा को गिरफ्तार किया, तो उनको लगा था कि दो बड़े क्राइम केस के बारे में उनको बहुत कुछ पता चलने वाला है. वो दोनों केस थे- 13 मार्च को हुए बजरंग दल के एक्टिविस्ट राजू का मर्डर और दूसरा, जून 2011 का एक फेमस मर्डर केस जिसमें विग्नेश और सुधीन्द्र नाम के दो लड़कों को किडनैप कर उनका मर्डर कर दिया गया था. पर मैसूर पुलिस को तब झटका लगा, जब उन्हें पता चला कि ये पाशा जिसे वो गिरफ्तार कर लाए हैं, वो 5 और मर्डर केस में भी शामिल रहा है. पाशा ने जो खुलासा किया है, उसके हिसाब से 2008 से 2011 के बीच पाशा 4 मर्डर की एक सीरीज में शामिल रहा है. फिर 2014 में भी उसने एक मर्डर किया था. पुलिस के चौंकने का बड़ा रीजन ये भी है कि इस 2014 वाले केस में तो उसे सस्पेक्ट भी नहीं बनाया गया था. पाशा और कुछ दूसरे लोगों का एक गिरोह मिलकर बहुत से लोगों को निशाना बना रहा था. ये बहुत क्लियर नहीं है अभी कि ये लोग जिस संगठन से जुड़े हुए हैं, उसका काम क्या है. पर पिछले आठ सालों में इन लोगों ने हिंदू संगठनों से जुड़ाव के चलते कई लोगों को मारा है. सिटी पुलिस ने कहा है कि पाशा और इस ग्रुप ने केवल BJP को ही टारगेट नहीं किया. मैसूर में बजरंग दल और RSS मेंबर्स को भी निशाना बनाया है. और इन्होंने साठ-गांठ की थी मंगलुरू के एक एक्टिविस्ट ग्रुप से. जिनके साथ मिलकर ये राइट विंग एक्टिविस्टों को निशाना बनाया करते थे. एक अफसर ने बताया कि कर्नाटक में BJP के सत्ता में आते ही इन लोगों ने राइट विंग के लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था.

जिन मर्डर केस में पाशा रहा है शामिल-

शशिकुमार को सैलून में घुसकर मार डाला

वो कुछ मर्डर जिनमें पाशा सेंटर में था, उनमें से एक है शशिकुमार का. शशिकुमार बजरंग दल का एक कार्यकर्ता थे और मैसूर में उनका एक सैलून भी था. एंगल ये था स्टोरी का कि शशिकुमार का रिलेशन किसी लड़की के साथ था. एक गैंग ने हमला किया और उन्हें उनके सैलून में ही मार डाला. उस दिन तारीख थी 12 जुलाई, 2008. BJP सरकार ने इस मामले में CID जांच के आदेश दिए थे. पर केस सुलझ नहीं सका और इस वजह से इस केस में पाशा को भी गिरफ्तार नहीं किया जा सका था.

स्कूटर से खींचकर कर दिया मर्डर

इनका अगला टारगेट मैसूर के उदयगिरी का BJP लीडर आनंद पई थे. पाशा के गैंग ने कथित तौर पर पई पर हमला किया, जो कि विक्रांत टायर फैक्ट्री में काम करते थे और अपने एक साथी रमेश के साथ स्कूटर पर जा रहे थे. तारीख थी 9 जून 2009. रमेश की इस हमले में मौत हो गई, पर जो असली टारगेट थे आनंद पई, उन्हें कुछ चोटें आईं, पर वो बच गए.

BJP नेता को निशाना बनाया, पर वो बच निकले

2009 में मैसूर में जब एक मंदिर और मस्जिद को लेकर साम्प्रदायिक झड़पें चल रही थीं. उस वक्त जुलाई में इस गैंग ने वी. गिरिधर पर अटैक किया. जो उस वक्त BJP के मैसूर युवा मोर्चा के प्रेसीडेंट थे. गिरिधर को इस हमले में बहुत सीरियस चोटें आईं और वो 41 दिन तक अस्पताल में रहे. इस गैंग ने कम्युनल एलीमेंट ने BJP के नेताओं को टारगेट किया था, ताकि वो स्टेट में BJP सरकार के लिए समस्या पैदा कर सकें. अब गिरिधर BJP के SC मोर्चा के स्टेट सेक्रेट्री हैं.

दो भाइयों को बनाया निशाना

2009 में उन्होंने इस शक पर दो भाइयों पर अटैक किया, जो बुक स्टॉल चलाते थे. और इस ग्रुप को शक था कि शहर के दक्षिणपंथी ग्रुप्स को ये दोनों भाई फंड करते थे. इस हमले में एक भाई हरीश की मौत हो गई थी.

फिर किया एक दूध वाले का मर्डर

21 मई 2010 को मैसूर से थोड़ी ही दूर पर पाशा के गांव के एक दूध वाले को भी मारने का आरोप है. उसके बारे में भी यही कहा जा रहा है कि उसके भी एक मुस्लिम औरत से रिलेशन थे. मैसूर के पुलिस कमिश्नर बी. दयानंद ने कहा,
'2008 से 2010 के बीच पाशा इतने सारे केस में शामिल रहा, पर कभी भी पकड़ा नहीं गया. न ही कभी किसी को उस पर शक हुआ. वो तो अभी उसके पकड़े जाने के बाद ये सारी बातें सामने आई हैं. ऐसा नहीं है कि इनमें शामिल रहने वाले लोगों में वो अकेला ही रहा हो. उसके साथ और भी बहुत से लोग इसमें शामिल थे जिनको गिरफ्तार किया जाना अभी बाकी है.'

डबल मर्डर केस के बाद से पुलिस को थी तलाश

पाशा का नाम सबसे पहले 2011 के एक डबल मर्डर केस में सामने आया था, जब जून, 2011 में विग्नेश और सुधीन्द्र नाम के दो लड़कों को अगवा कर लिया गया था और किडनैप करने वालों ने 5 करोड़ की फिरौती की मांग की थी. जब इसके किडनैपर्स को लगा कि पुलिस को उनका पता लग चुका है और वो पीछे लगी हुई है, तो इन्होंने दोनों को मार दिया था. इसमें पांच लोग गिरफ्तार किए गए थे और पहली बार पाशा का नाम सामने आया था. पुलिस और तब की भाजपा सरकार ने उसकी पहचान कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी नाम के एक ग्रुप के सदस्य के रूप में की थी. इस ग्रुप ने 2009 में तमिलनाडु और केरल के बहुत सारे ग्रुप्स के साथ जुड़कर पॉपुलर फ्रंट नाम का एक कट्टरवादी पॉलिटिकल ग्रुप बना लिया था. पाशा अपने परिवार सहित हुंसुर से मैसूर आ गया और जैसा उसने बयान में कहा उसके हिसाब से उसने एक मुस्लिम औरत परवीन ताज उर्फ मुन्नी का भी मर्डर किया जो कि 8 जुलाई 2014 को मारी गई थी. रीजन था ये शक कि वो मुस्लिम लड़कियों से प्रॉस्टिट्यूशन कराती थी. बजरंग दल के के. राजू के मर्डर के बाद ही उस पर पुलिस का ध्यान गया. राजू को पाशा ने एक टी-स्टाल पर दिनदहाड़े मारा था. पुलिस के हिसाब से रीजन ये था कि राजू भी मंदिर-मस्जिद के विवाद वाले केस में इंवाल्व था. और ये भी एक फैक्ट था कि राजू डबल मर्डर केस का एक गवाह था.

कैसे पकड़ाया?

जब मैसूर पुलिस ने पाशा के लिए जगह-जगह छापेमारी शुरू की तो एक वक्त ऐसा आया जब पता चला कि राजू के मर्डर से जुड़े कुछ लोग पुणे के एक मदरसे में हैं, तो वहां उन्होंने छापा मारा. तीन लोगों को पकड़ा भी, पर पाशा बच निकला था. वो मैसूर लौटा तो आखिरकार पुलिस ने उसे 7 अगस्त को पकड़ लिया. कमिश्नर दयानंद ने कहा,
'पुलिस पाशा के उन कट्टरपंथी संगठनों से रिलेशन की छानबीन कर रही है. उस पर ये भी आरोप है कि उसने छोटा शकील के साथियों के साथ मिलकर मंगलुरु के दो दक्षिणपंथी नेताओं का मर्डर कर दिया था.'
पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून के तहत पाशा पर मुकदमा दर्ज किया है.

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