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घर-ऑफिस के बगल में मोबाइल टावर हो, तो जान लो सुप्रीम कोर्ट का फैसला

इस फैसले से आपका बहुत फायदा हो सकता है.

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मोबाइल टावर. सांकेतिक तस्वीर.
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प्रज्ञा
12 अप्रैल 2017 (Updated: 12 अप्रैल 2017, 08:50 AM IST)
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हरीश चंद्र तिवारी. उम्र 42 साल. हरीश का नाम इतिहास में दर्ज हो गया. उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है.
पहली बार किसी मोबाइल टावर को नुकसान पहुंचाने वाले रेडिएशन की वजह से बंद करने का आदेश दिया गया है.
हरीश का दावा था कि उनके काम करने की जगह के पास लगे BSNL टावर से उन्हें कैंसर हो गया. वो पिछले साल टावर हटाने की अपील लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक,
हरीश ग्वालियर की दाल बाजार में प्रकाश शर्मा के घर पर काम करते हैं. प्रकाश के पड़ोसी की छत पर बीएसएनएल का टावर 2002 में लगाया गया था. हरीश का कहना है कि पिछले 14 सालों से टावर से निकलने वाला इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक रेडिएशन उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है. ये टावर प्रकाश के घर से 50 मीटर से भी कम दूरी पर है.
रिहायशी इलाकों में लगे मोबाइल टॉवर
रिहायशी इलाकों में लगे मोबाइल टावर

कोर्ट का ये फैसला उन तमाम लोगों को मदद करेगा, जो रिहायशी इलाकों से टावर हटाने की लड़ाई लड़ते आए हैं. अब तक सरकारें और सेलुलर ऑपरेटर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से ये तर्क आता था कि इसका कोई सबूत नहीं है कि इन किरणों से कैंसर होता है.
ये फैसला जस्टिस रंजन गोगोई और नवीन सिन्हा की बेंच ने दिया है. उन्होंने आदेश दिया,
'BSNL का ये टावर 7 दिनों के अंदर उस जगह से हट जाना चाहिए.'
कोर्ट ने पिछले साल 18 मार्च को इस केस की सुनवाई शुरू की थी. और याचिकाकर्ता को ऐसे डॉक्यूमेंट फाइल करने के लिए कहा था, जो ये दिखाते हैं ऐसे टावर इंसानों और जानवरों के लिए घातक हैं.
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम ने कोर्ट के सामने पेश किए एफिडेविट में कहा था,
'अक्टूबर 2016 में इसने देश भर के 12 लाख टावरों में से 3 लाख 30 हजार टावर की जांच की थी. इनमें से 212 टावर तय लिमिट से ज्यादा रेडिएशन छोड़ रहे हैं. उनकी कंपनियों पर 10 लाख का जुर्माना ठोंका गया है. अलग-अलग कंपनियों से हमने 10 करोड़ की पेनाल्टी रकम वसूली है.'

सरकार कहती आई है कि मोबाइल टॉवर से नुकसान होने का कोई सुबूत नहीं है.
सरकार कहती आई है कि मोबाइल टावर से नुकसान होने का कोई सुबूत नहीं है.

मोबाइल टॉवर से कितनी दूरी पर बनें घर?
2014 में डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम ने गाइडलाइन जारी की थी कि,
अगर कोई मोबाइल टॉवर जमीन पर या किसी छत पर लगाया गया है तो टॉवर के पहले एंटीना की ऊंचाई की बराबरी पर कोई घर नहीं होना चाहिए.
अगर किसी पोल पर एंटीना लगाया जा रहा है तो उसकी ऊंचाई जमीन से कम से कम 5 मीटर होनी चाहिए.
अगर एक टॉवर में एक ही दिशा में 6 एंटीना लगाए गए हैं तो उसके सामने 55 मीटर के दायर में कोई भी इमारत नहीं होने चाहिए.

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इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड (EMF) में रहने के नुकसान:
फिनलैंड के वैज्ञानिक दारिउश लसिंस्की ने 2014 में बताया था,
मोबाइल फोन का लंबे समय तक इस्तेमाल करने और टावर के आस-पास के इलाकों में लगातार 10 साल औसतन 30 मिनट रहने से ब्रेन कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है.
लसिंस्की उस एक्सपर्ट कमिटी के हिस्सा थे, जिसे वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की कैंसर रिसर्च एजेंसी ने बनाया था.
WHO ने मोबाइल फोन टावर से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन को 2(B) कैटेगरी में रखा है. इस कैटेगरी में वो चीजें आती हैं, जो कैंसर होने का कारण बनती हैं.


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