सेक्स टॉय के इस्तेमाल का गांधीवादी तरीका
यूनिवर्सिटी कैंपस वालों की वाट लगी पड़ी है. जानिए पूरा मामला.
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फोटो - thelallantop
कैंपस में एक नया कानून आया है. इस कानून के आने से चेंज ये हुआ कि कैंपस में मस्त बंदूक लेकर घूमो. चौड़ में बुलेट राजा बनके टहिलो. कोई कुछ नहीं कहेगा. मतलब पढ़ने जा रहे हो, ये क्या कम है! लेकिन इस लॉ के लागू होने से कुछ स्टूडेंट्स और प्रोफेसर्स छो (गुस्से) में आ गए. प्रोटेस्ट भी ऐसा कि बालक एंड बालिकाएं डिल्डो (सेक्स टॉय) लेकर कैंपस पहुंच लिए. लॉजिक दिया,
'हम मूर्खता के साथ मूर्खता से लड़ रहे हैं.'
अब ये भी तो सुन लो कि मूर्खता क्यों है. वो यूं कि जब स्टूडेंट्स कैंपस में खुले सांड की तरह घूमेंगे, तो क्या वो फ्री माइंड से पढ़ पाएंगे. पता लगे, चल रही है साइकोलॉजी की क्लास और बैकग्राउंड में ये खौफ कि कोई साइकोलॉजी का पार्किंग स्थल खोपड़ी न उड़ा दे. इसके लिए बाकायदा एक कैंपेन Co*ks Not Glocks चल रहा है. Glocks यानी गन.
प्रोटेस्ट के दौरान की तस्वीर
अब जब इस कैंपेन के हवन में सामग्री डालने वाली रैली निकाली गई, तब करीब 4 हजार से ज्यादा डिल्डो का 'छिड़काव' हुआ. लोगों के बीच डिल्डो बांटे गए. कुछ धोंधू कंफ्यूज भी रहे कि लड़कियां डिल्डो लेकर क्यों घूम रही थीं. https://twitter.com/AlexSamuelsx5/status/768207482225164289
स्टूडेंट बियानका कहती हैं, 'मुझे बड़ा ही अनसेफ सा फील हो रहा है. ऐसा होगा कि आपको पता भी नहीं चलेगा, आपके बगल में बैठा स्टू़डेंट गन लिए बैठा है. कैंपस में आप सीखने आते हैं. जिंदगी से डरने नहीं.' 2015 में इस गन लॉ के खिलाफ पहले भी डिल्डो प्रोटेस्ट हो चुका है. एक अच्छी बात ये है कि प्रो गन ग्रुपवालों ने डिल्डो प्रोटेस्टर्स का समर्थन सा ही कर दिया है. बोल रहे हैं कि फ्रीडम ऑफ स्पीच है भियां + बहिन, जिसको जिस तरीके से प्रोटेस्ट करना है, करे.
...क्योंकि बाबा रामदेव कह गए हैं, बेटाह करने से होता है.
(ये स्टोरी ज्योति ने लिखी है.)