मुस्लिम बच्चे पढ़ने में आगे जा रहे हैं, जैन हो रहे हैं फिसड्डी
आ गए धर्म के हिसाब से पढ़ाई-लिखाई के आंकड़े. ईसाई नौजवानों में बेरोजगारी सबसे ज्यादा.
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फोटो क्रेडिट- सुमेर सिंह राठौड़
धर्म के हिसाब से पढ़ाई-लिखाई और बेरोजगारी के आंकड़े आ गए हैं. पता चला है कि भारत में 5 से 19 साल के स्टूडेंट्स की पॉपुलेशन 30 फीसदी बढ़ गई है. ये हुआ है 2001 से 2011 के बीच. पर अलग-अलग धार्मिक समूहों में पढ़ाई का बड़ा अंतर अभी भी बना हुआ है. कुछ में बढ़त तो है पर बहुत ही सुस्त.
मुस्लिमों ने राष्ट्रीय औसत को मात दी मुस्लिमों में 5 से 19 साल के स्टूडेंट्स की पॉपुलेशन 44 परसेंट बढ़ी है. जो राष्ट्रीय औसत से 14 परसेंट ज्यादा है. उसमें भी लड़कियों का आंकड़ा 53 परसेंट है. जिसके बाद अब 5 से 19 साल के 63 परसेंट मुस्लिम बच्चे स्कूल जाने लगे हैं.
कौन- कौन कितना पढ़ा-लिखा है हिन्दुओं में ये नंबर 73 परसेंट है. जैन समुदाय इसमें 88 परसेंट के साथ सबसे ऊपर है. उसके बाद ईसाइयों की बारी आती है. जिनमें 5 से 19 की एज के स्कूल जाने वाले स्टूडेंट्स 80 परसेंट हैं.
पढ़ाई तो बढ़ी, बेरोजगारी नहीं घटी 20 से 29 साल की उम्र के बेरोजगारों की संख्या 20 परसेंट है. ईसाई युवाओं में बेरोजगारी का स्तर 26 परसेंट के साथ सबसे ज्यादा है. ये चौंकाने वाली बात है, क्योंकि पिछली जनगणना के हिसाब से ईसाई सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा धार्मिक समूह था. जिनमें 5 से 19 साल के स्टूडेंट्स 71 परसेंट थे.
ईसाई, सिख और जैन का प्रदर्शन निराशाजनक धार्मिक समूह जिन्होंने भारत में पढ़ाई-लिखाई को बहुत बढ़ावा दिया वो हैं ईसाई, सिख और जैन. इन लोगों ने 2001 की जनगणना के बाद से अपनी पढ़ाई-लिखाई में बहुत कम बढ़ोत्तरी दर्ज की है. यहां तक कि जैन समुदाय के पढ़ाई के आंकड़ों में 10 परसेंट की गिरावट आई है.