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ट्रंप ने ब्लैकलिस्ट किया 'स्पॉटलाइट' वाले एडिटर का अखबार, बड़ी भूल!

डोनल्ड ट्रंप अभी अमेरिका के राष्ट्रपति कैंडिडेट भी नहीं बने पर तेवर देखिए.

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मार्टी बैरन, द वॉशिंगटन पोस्ट की टीम के साथ
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गजेंद्र
15 जून 2016 (Updated: 15 जून 2016, 12:43 PM IST) कॉमेंट्स
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अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि दो-तीन चैनल बीजेपी के पक्ष में खबरें चलाते हैं. अमित शाह पब्लिकली एक चैनल पर AAP का एजेंडा चलाने का आरोप लगाते हैं और उसे न देखने की अपील करते हैं. ममता बनर्जी चुनावी रैलियों में एक ग्रुप के एडिटर को नाम ले-लेकर कोसती हैं. राजनाथ सिंह से उनकी मुलाकात का जिक्र करती हैं. पक्षपात के आरोप लगाती हैं. भारत में अब कुल मिलाकर ऐसा सीन बन गया है कि नेताओं और मीडिया के बीच आरोपों का रिश्ता एकतरफा नहीं रह गया है. आप जजमेंटल होकर ये नहीं कह सकते कि दोनों पक्षों के सारे आरोप झूठे हैं या सच्चे हैं. लेकिन मीडिया के पक्षधर होने से नेताओं ने अपने लिए सहूलियत की एक खिड़की खोल ली है- जो हमारे पक्ष में नहीं है, उसे 'ब्लैकलिस्ट' कर दो. भारत में भी कई बड़े नेता, मतलब बहुत बड़े-बड़े नेता चुनिंदा पत्रकारों को ही इंटरव्यू देते हैं और चुनिंदा को बिल्कुल नहीं देते. इसी का विस्तार अब अमेरिका में दिखा है. डोनल्ड ट्रंप ने ऑस्कर जीतने वाली फिल्म 'स्पॉटलाइट' वाले एडिटर का अखबार बैन कर दिया गया है. मार्टी बैरन ही वे एडिटर हैं जिन्होंने जब 2001 में अमेरिकी अख़बार द बोस्टन ग्लोब के नए संपादक का कार्यभार संभाला तो आग्रह रखा कि लोकल खबरें ज्यादा की जाएं और ज़ोर लगाकर की जाएं. तब ग्लोब में एक टीम हुआ करती थी 'स्पॉटलाइट'. चार-पांच रिपोर्टर्स की ये टीम एक समय में एक स्टोरी पर काम करती थी. खोद डालती थी. कभी-कभी खबर फाइल करने में इन्हें छह महीने या एक साल तक लग जाता था इतनी इन-डेप्थ वे होती थीं. मार्टी ने इस टीम को सही दिशा दी. उन्होंने 80 के करीब बच्चों के यौन शोषण के आरोपी एक पादरी की खबर में स्पॉटलाइट को लगाया. 2002 के शुरू से टीम ने खोजी पत्रकारिता शुरू की. कई और रोमन कैथोलिक पादरियों के मामले सामने आए. धीरे-धीरे अन्य पीड़ित भी सामने आने लगे. फिर बोस्टन के अलावा अमेरिका के अन्य हिस्सों और आयरलैंड में चर्च दोष के घेरे में आया. Spotlight Investigation: Abuse in the Catholic Church नाम से सीरीज छपने लगी तो विश्व स्तर पर मसला बना. अन्य देशों से भी बच्चों के यौन शोषण के मामले सामने आए. 2003 में इस अख़बार को जर्नलिज़्म की दुनिया का शीर्ष पुरस्कार पुलित्ज़र प्राइज़ दिया गया, जन सेवा के लिए. 2015 में इस टीम और विषय पर अमेरिकी फिल्म स्पॉटलाइट रिलीज हुई जिसने बेस्ट फिल्म का ऑस्कर जीता. इसमें मार्टी की भूमिका लीव श्रैबर ने निभाई थी. https://www.youtube.com/watch?v=Zg5zSVxx9JM Also read: SPOTLIGHT में ऐसा क्या था खास, जो ऑस्कर मिला?2012 तक ग्लोब के एडिटर रहने के बाद वे द वॉशिंगटन पोस्ट के एडिटर बने. वॉशिंगटन पोस्ट वो अखबार है जो 47 पुलित्ज़र से सम्मानित है. वॉशिंगटन पोस्ट वो अख़बार है जिसने सबसे पहले वॉटरगेट कांड पर रिपोर्टिंग की थी जिसने अमेरिका की राजनीति और विश्व पत्रकारिता में भूचाल ला दिया था. जिस वजह से राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को इस्तीफा देना पड़ा था. लेकिन इन कार्यकारी संपादक मार्टी के इस अख़बार को डोनल्ड ट्रंप ने बैन कर दिया है. ट्रंप बाबू अमेरिका के राष्ट्रपति बनने की रेस में ऐसे तमाम मीडिया प्रतिष्ठानों को अपने चुनाव अभियान की कवरेज से बाहर रखते हुए चल रहे हैं जो उनकी आलोचना कर रहे हैं. पोस्ट इस ब्लैकलिस्ट में ताजा नाम है. हुआ ये था: कि रविवार सुबह को ऑरलैंडो में एक व्यक्ति ने गोलीबारी की जिसमें 49 लोग मारे गए और 53 घायल हुए. सोमवार सुबह पोस्ट ने ट्रंप की उस टिप्पणी को छापा जिसमें उन्होंने सुझाया कि ऑरलैंडो शूटिंग के संबंध में 'आंतकियों' से राष्ट्रपति बराक ओबामा की सहानुभूति है. ट्रंप ने कहा था, 'हमारा नेतृत्व ऐसा आदमी कर रहा है जो टफ नहीं है, स्मार्ट नहीं है या फिर उसके दिमाग में कुछ और है. और लोगों को यकीन नहीं होता कि उसके दिमाग में वो है. कि वो कट्‌टरपंथी इस्लामी आतंकवाद जैसे शब्दों का जिक्र नहीं कर सकता.' इस पर पोस्ट की हैडिंग थी - Donald Trump seems to connect President Obama to Orlando shooting यानी ट्रंप ओबामा को ऑरलैंडो शूटिंग से जोड़ते नजर आ रहे हैं. इसके बाद ट्रंप ने पोस्ट की कवरेज को त्रुटिपूर्ण बताते हुए उसके रिपोर्टर्स की अपने चुनाव अभियान में एंट्री पर रोक लगा दी.

इससे पहले ट्रंप व उनकी टीम ने नेशनल रिव्यू मैगजीन, द डे मुआं रजिस्टर, दे डेली बीस्ट, द हफिंगटन पोस्ट, पोलिटिको, बज़फीड, द यूनियन लीडर, यूनिविज़न, फ्यूज़न जैसे मीडिया संस्थानों को भी ब्लैकलिस्ट किया है.

मार्टी बैरन ने ट्रंप के इस कदम को गलत बताया. उन्होंने ट्विटर पर अपना वकतव्य प्रकाशित किया. उन्होंने लिखा:

'डोनल्ड ट्रंप द्वारा द वॉशिंगटन पोस्ट के प्रेस परिचय पत्रों को रद्द करने का फैसला मुक्त और स्वतंत्र प्रेस की भूमिका का तिरस्कार करने से कम कुछ भी नहीं है. जब कवरेज वैसी न हो जैसी संबंधित प्रत्याशी चाहता है तो न्यूज़ संगठन को बैन कर दिया जाता है. द वॉशिंगटन पोस्ट डोनल्ड ट्रंप को कवर करता रहेगा जैसे करता आया है - सम्मानपूर्वक, ईमानदारी से, सत्यता से, ऊर्जावान ढंग से और बेधड़क होकर. हमें अपनी कवरेज पर गर्व है और हम इस पर टिके रहेंगे.'

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