अब सुट्टेवाले सीन पर एंटी-स्मोकिंग डिस्क्लेमर न उछलेगा
श्याम बेनेगल कमेटी ने सिफारिश की है, सब कुछ सही रहा तो बीड़ी-तमाखू वाले सीन पर वार्निंग से पिंड छूटेगा.
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Source- filimside
कैसा लगता है जब फिल्म देखते-देखते अच्छे भले सीन में वार्निंग आ जाती है. एंटी-स्मोकिंग डिस्क्लेमर. धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. तमाखू न खाओ मर जाओगे. माने आप फिल्म में डूबे हुए हैं. और अचानक से उठाकर बाहर पटक दिया जाए. ऐसा लगता है चलते-चलते गच्च से गोड़ गू में गड़ गया.
इस एंटी-स्मोकिंग डिस्क्लेमर से छुट्टी मिलने वाली है. श्याम बेनेगल कमेटी ने एक सिफारिश की है. कहा, भाई ये डिस्क्लेमर बस एक बार दिखा दो, फिल्म के शुरू में. हर इंडियन भाषा में दिखा दो. वॉइस ओवर भी चला दो. फिर बार-बार फिल्म के बीच में न लाओ. लगता है भात में कंकर फंस गया है.
कमेटी ने कहा, सुट्टेबाजी के अगेंस्ट काम होना चाहिए. बाकायदे शॉर्ट फिल्में बने, बड़े-बड़े हीरो-हीरोइन काम करें. और तो और फिल्म में जो हीरो-हीरोइन सुट्टा पीते दिखने वाला हो वो एक वीडियो के जरिये पहले ही एंटी-स्मोकिंग पर मैसेज देता दिखा दिया जाए. फिर फिल्म के बीच में उसे नॉर्मल ही सिगरेट-बीड़ी पीता दिखाया जाए. बीच में डिस्टर्ब न हों दर्शक. काहे के इससे फिल्म की क्रिएटिव वैल्यू पर असर पड़ता है.बॉलीवुड वाले खुद उस डिस्क्लेमर से चटे रहते हैं. 'अग्ली' फिल्म रिलीज हुई थी जब, उसके पहले अनुराग कश्यप कोर्ट पहुंच गए थे कहे ये जो हर टोबैको वाले सीन के टाइम डिस्क्लेमर देना पड़ता है. ये हम न देंगे. लेकिन कोर्ट ने उनको बैरंग लौटा दिया. कुछ लोग कहते हैं, तमाखू-सुट्टा के टाइम जो वार्निंग आती है, उसमें का बुराई है? यार मौके पर बताना चाहिए कि ये हेल्थ के लिए खतरनाक है. ये तो अच्छी बात है. तो सुनो, फिल्म में मडल होते भी तो दिखाते हैं, आदमी पिक्चर देख के किसी को माड्डाले ऐसा तो नहीं होता? जो टिकस लेके पिच्चर देखने जाता है, उसके का इतनी बुद्धि नहीं होती? और ये बताओ मोहल्ले में जब कोई बीड़ी फूंकता है, छोटा बच्चा उसको देखता है तो क्या कोई वैधानिक चेतावनी लगी रहती है. और सुनो, सबसे खतरनाक है इस मुल्क में प्यार करना. बहुत जान जाती हैं, इश्क वाले सीन पर ये कब लिखा होता है कि वैधानिक चेतावनी-