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कोविशील्ड बनाने वालों ने दी सफाई- "पैकेट पर साइड इफेक्ट छपे थे", लेकिन देखे किसने?

कोविशील्ड बनाने वाले सीरम इंस्टीट्यूट ने सफ़ाई दी है कि पैकेट पर साइड-इफ़ेक्ट लिखे थे, वैक्सीन बनाना 2021 में ही बंद कर दिया था.

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सीरम इंस्टीट्यूट ने सफ़ाई तो दी है, लेकिन वो बहुत साफ़ नहीं. (फ़ोटो - PTI)
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सोम शेखर
9 मई 2024 (Published: 01:26 PM IST)
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सोमवार, 29 अप्रैल को ख़बर आई कि कोविशील्ड के गंभीर साइड-इफ़ेक्ट्स हो सकते हैं. ब्रिटिश-स्वीडिश फ़ार्मा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका ने बाक़ायदा कोर्ट में ये बात क़ुबूली (Covishield Side Effects) और इस ख़बर से व्यापक चिंता पसर गई. तब से एक के बाद एक घटनाएं घट रही हैं. बीते रोज़, 8 मई को एस्ट्राज़ेनेका ने फ़ैसला किया कि वो दुनिया भर में अपनी कोविड-19 वैक्सीन ख़रीदना-बेचना बंद कर रहे हैं. भारत में इस वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ने एस्ट्राज़ेनका के साथ मिलकर बनाया था. अब उनकी तरफ़ से भी बयान आ गया है. उनका कहना है कि उन्होंने 2021 के दिसंबर में ही वैक्सीन का उत्पादन बंद कर दिया था. ये भी कहा कि वैक्सीन के सारे साइड-इफ़ेक्ट्स पैकेट्स के ऊपर लिखे हुए थे.

सीरम के एक प्रवक्ता ने कहा,

साल 2021 और 2022 में भारत ने टीकाकरण का दर उच्चतम था. साथ ही नए वेरिएंट के आने के साथ, पिछले टीकों की मांग काफ़ी कम हो गई. नतीजतन, दिसंबर 2021 से हमने कोविशील्ड बनाना और बेचना बंद कर दिया था.

देश के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के तहत भारत में बड़े पैमाने पर दो वैक्सीन इस्तेमाल की गई थीं. कोवैक्सिन और कोविशील्ड. इनमें से सीरम ने कोविशील्ड बनाई थी और कोवैक्सिन भारत बायोटेक ने. तुलना करें, तो कोविशील्ड ज़्यादा इस्तेमाल की गई. जनवरी 2021 तक क़रीब 170 करोड़ डोज़. कुल 220 करोड़ खुराकों का 79%.

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साइड इफ़ेक्ट्स को लेकर सीरम ने कहा है,

हमने शुरू से ही पैकेजिंग में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) से लेकर थ्रोम्बोसिस समेत तमाम दुर्लभ से दुर्लभ दुष्प्रभावों का खुलासा किया था.

TTS से प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है और ख़ून का थक्का जम जाता है.

इंडियन एक्सप्रेस की एनोना दत्त की रिपोर्ट के मुताबिक़, कोविशील्ड के पैकेट पर 2021 की दूसरी छमाही में चेतावनी जोड़ दी गई थी. लिखा गया था कि जो लोग भी क्लॉटिंग (थ्रोम्बोसिस) और ऑटोइम्यून विकारों से ग्रसित हों, उन्हें वैक्सीन के इस्तेमाल से बचना चाहिए. उनके परिवार को भी बचना चाहिए.

हालांकि, इसमें एक पेच है. TTS और अन्य दुर्लभ दुष्प्रभावों से जिन लोगों की मृत्यु हुई है, उनकी दलील है कि टीकाकरण अभियान के दौरान जिन्हें भी टीके लगे, उन्हें तो पैकेज इंसर्ट दिखाया नहीं गया. वो तो सेंटर पर जाते थे, टीका लगाने वाला पेटी में से निकालकर टीका लगा देता था. उसके क्या प्रभाव हो सकते हैं, उसके बारे में उन्हें कोई सूचना नहीं थी.

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सीरम ने तो सीधा बयान दिया, मगर एस्ट्राज़ेनेका का रुख कुछ और है. भले ही उन्होंने स्वीकार किया कि बहुत ही दुर्लभ मामलों में उनकी वैक्सीन के दुष्प्रभाव हो सकते हैं और उन्होंने वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई बंद कर दी है. लेकिन कंपनी अब कह रही है कि साइड-इफ़ेक्ट्स का इस फ़ैसले से कोई लेना-देना नहीं है. कंपनी का दावा है कि बाज़ार के गणित की वजह से ऐसा किया जा रहा है. बाज़ार में कई दूसरी, एडवांस्ड वैक्सीन मौजूद हैं, जो वायरस के अलग-अलग वैरिएंट से लड़ सकती हैं.

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