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समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का निधन, मुरादाबाद के हॉस्पिटल में ली अंतिम सांस

Shafiqur Rahman Barq का 94 साल की उम्र में निधन हो गया. वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे. इस महीने की शुरुआत में उनकी तबियत काफी बिगड़ गई थी.

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Shafiqur Rahman Barq, Samajwadi Party, Sambhal
समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का 94 साल की उम्र में निधन हो गया (PTI)
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रविराज भारद्वाज
27 फ़रवरी 2024 (Updated: 27 फ़रवरी 2024, 11:43 AM IST) कॉमेंट्स
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उत्तर प्रदेश के संभल (Sambhal, UP) से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क (Shafiqur Rahman Barq) का 94 साल की उम्र में निधन हो गया. वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे. लोकसभा में सबसे अधिक उम्र के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क की इस महीने की शुरुआत में ही तबियत काफी बिगड़ गई थी, जिसके चलते उन्हें मुरादाबाद स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां उन्होंने अंतिम सांस ली.

इंडिया टुडे से जुड़े अनूप कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर्स ने उन्हें किडनी में इन्फेक्शन की समस्या बताई थी. उनके निधन पर समाजवादी पार्टी की तरफ से शोक जताया गया है. पार्टी ने X पोस्ट कर लिखा,

“समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता, कई बार के सांसद जनाब शफीकुर्रहमान बर्क साहब का इंतकाल, अत्यंत दुखद. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे . शोकाकुल परिजनों को यह असीम दुख सहने का संबल प्राप्त हो. भावभीनी श्रद्धांजलि.”

पांच बार रहे सासंद

शफीकुर्रहमान बर्क की बात करें तो वो पांच बार सांसद रह चुके थे. वो SP के फाउंडर मेंबर भी कहलाते थे. उन्होंने मुरादाबाद लोकसभा सीट से साल 1996, 1998 और 2004 में SP के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले बर्क ने सपा छोड़ दी और BSP में पहुंच गए. पार्टी भी बदली और सीट भी. इस बार मुरादाबाद की बजाय संभल से चुनाव लड़ा और यहां से भी जीते. 

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हालांकि जीत के बाद भी बसपा में ज़्यादा समय टिके नहीं. 2014 के आम चुनाव से पहले घर वापसी कर ली. संभल से ही टिकट मिला लेकिन मोदी लहर के बीच बर्क को हार का सामना करना पड़ा. 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बर्क ने एक बार फिर सपा छोड़ दी. हालांकि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने फिर से SP में वापसी कर ली. 2019 के चुनाव में उन्होंने फिर से SP के टिकट पर संभल से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. बर्क चार बार संभल सीट से विधायक चुने जा चुके थे. वो साल 1974, साल 1977, साल 1985 और साल 1991 में विधायक चुने गए थे. 

बयानों को लेकर रहे चर्चा में

शफीकुर्रहमान बर्क़ की पहचान मुसलमानों के हितों को लेकर हमेशा मुखर रहने वाले नेता के तौर पर रही है. वो लगातार अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में रहते थे. जून 2019 में बर्क ने ये कहकर विवाद छेड़ दिया था कि वंदे मातरम कहना इस्लाम के ख़िलाफ़ है. उन्होंने कहा था,

“मैं भारत के संविधान का पालन करूंगा. लेकिन जहां तक वंदे मातरम का सवाल है तो ये इस्लाम के ख़िलाफ़ है और मैं इसका पालन नहीं करूंगा.”

बताते चलें कि शफीकुर्रहमान बर्क बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक भी रहे थे. शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहमान बर्क भी समाजवादी पार्टी के विधायक हैं. साल 2022 में उन्होंने SP के टिकट पर मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से जीत हासिल की थी.

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