किसान आंदोलन: अखिलेश को हिरासत में लिए जाने के बाद बीजेपी ने दलों पर बड़ा आरोप लगा दिया
किसान यात्रा के लिए जा रहे थे अखिलेश, पुलिस ने रोका तो धरने पर बैठ गए
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किसान आंदोलन की आग दिल्ली से यूपी पहुंच चुकी है. सपा नेता अखिलेश यादव को हिरासत में लिया गया है.
यूपी में सोमवार को किसान आंदोलन की आग तेज होती दिखी. समाजवादी पार्टी भी मैदान में कूद पड़ी. अखिलेश यादव किसान यात्रा की शुरुआत करने कन्नौज जा रहे थे. लेकिन उन्हें लखनऊ में घर के सामने ही हिरासत में ले लिया गया. प्रशासन ने उनके घर के बाहर पहले ही बैरिकेडिंग कर दी थी. अखिलेश उसी के पास धरने पर बैठ गए. अखिलेश का आरोप है कि प्रशासन ने उनकी गाड़ियों को जब्त कर लिया है.
इससे पहले, समाजवादी पार्टी ने किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए किसान यात्रा की घोषणा कर दी थी.
अन्नदाता से अन्याय के खिलाफ अंतिम सांस तक संघर्षरत रहेंगे समाजवादी।
' किसान यात्रा ' को रोकने के लिए दमन की हर सीमा पार कर रही है सत्ता।
किसानों की आवाज़ बुलंद करने निकले राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को असंवैधानिक तरीके से सीएम के आदेश पर रोके जाना घोर निंदनीय! pic.twitter.com/WuoLYUdWnE
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) December 7, 2020

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव को किसान यात्रा पर जाने से पहले यूपी पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
अखिलेश यादव कन्नौज में किसान मार्च करने जा रहे थे लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी. जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्र ने कहा कि अभी कोरोना वायरस खत्म नहीं हुआ है लिहाजा भीड़ जुटाने की अनुमति किसी भी स्थिति में नहीं दी जा सकती. सपा मुखिया को पत्र भेजकर इस पर अवगत करा दिया गया है. प्रशासन का कहना है कि अगर फिर भी भीड़ जुटती है तो कार्रवाई की जाएगी.
12 दल कर रहे किसानों आंदोलन का सपोर्ट
किसान आंदोलन की आग देश के कई इलाकों में फैल चुकी है. केंद्र द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों का 12 से ज्यादा सियासी दलों ने समर्थन कर दिया है. किसानों के साथ सरकार की 5 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. इसके बाद, किसानों ने मंगलवार 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है.
विपक्षी दलों पर बरसी सरकार
बीजेपी नेता और कैबिनेट मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को विपक्षी दलों को आड़े हाथ लिया. उ
कहा है कि किसान आंदोलन में सभी विपक्षी पार्टियां कूद पड़ी हैं. उन्होंने कहा
हम आज कांग्रेस, एनसीपी से किसान सुधारों पर उनके बेशर्मी भरे दोहरे मापदंड पर जवाब चाहते हैं. जो मोदी सरकार ने किया है, ये दल अपनी सरकार वाले राज्यों में वही कर रहे थे. आज उनका राजनैतिक वजूद खतरे में है. वो अपनी जमीन खोते जा रहे हैं. किसान अपने आंदोलन को अराजनैतिक रखना चाहते हैं, लेकिन विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार के खिलाफ वहां अपना भाग्य आजमाने पहुंच गई हैं.
कांग्रेस पार्टी ने खुद अपने 2019 के मेनिफेस्टो में APMC एक्ट को खत्म करने की बात कही थी. शरद पवार ने 2010 में खुद देशभर के सीएम को चिट्ठी लिखकर मंडी एक्ट में सुधार की बात लिखी थी. आज अखिलेश यादव भी किसान आंदोलन में शामिल होने की बात कर रहे हैं, जबकि मुलायम सिंह ने खुद किसानों के हित के लिए मंडी समिति में सुधार लाने की बात कही थी. अरविंद केजरीवाल किसानों के हक की बात कर रहे हैं, और खुद पिछले महीने किसान बिलों को नोटिफाई कर चुके हैं. यह उनकी राजनीति है.

रविशंकर प्रसाद ने सीधे तौर पर कहा है कि विपक्षी पार्टियां दोहरे मापदंड अपना रही है.
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मनमोहन सिंह से लेकर राहुल गांधी और योगेंद्र यादव को मौके के हिसाब से पलट जाने वाला बताया. उनका कहना था कि ये पहले कुछ और कह रहे थे, और अब कुछ और बोल रहे हैं.
ममता बोलीं - कानून वापस लो, या बाहर जाओ
किसान आंदोलन को पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने भी हाथोहाथ लिया है. उन्होंने भी अपनी रैली में इसका जिक्र किया. पश्चिमी मिदनापुर मे एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा
केन्द्र की बीजेपी सरकार जल्द ही कृषि कानून वापस ले या सत्ता से बाहर जाए. मैं बीजेपी के कुशासन पर शांत रहने या उसको सहने के बजाय जेल में रहना पसंद करूंगी.ममता बनर्जी ने कहा कि वह कभी बंगाल पर भगवा दल का कब्जा नहीं होने देंगी और साथ ही लोगों से अपील की कि वे राज्य में ऐसे प्रयासों का विरोध करें.