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पुलिस हो तो ऐसी: इन वर्दी वालों ने बूढ़े कपल के साथ जो किया, उसे सैल्यूट!

घर पर बैठे-बैठे टीवी देखकर ये दोनों रोने लगे, पड़ोसियों ने पुलिस बुला ली, पुलिस पहुंची और फिर ये हुआ.

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आशीष मिश्रा
10 अगस्त 2016 (Updated: 9 अगस्त 2016, 04:21 AM IST) कॉमेंट्स
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दो बूढ़े-बूढ़ी साथ रहते हैं. 94 और 89 साल के. ख़बरों के लिए टीवी पर डिपेंड हैं. अकेले रहते हैं, टीवी देखते हैं, दुनिया से जुड़े रहने का एक यही साधन है उनके पास. और टीवी का आपको पता है, टीवी को दोष क्यों ही दीजिए ख़बरों का आपको पता ही है, कितनी निगेटिविटी भरी रहती है. इतनी नकारात्मकता देख रोने लगे. कहीं हमला, कहीं मारकाट, कहीं बच्चों पर हमले.
पड़ोसियों ने फोन कर दिया, पुलिस को, पुलिस आई. जोल और मिशेल के पास पहुंची यही नाम है इन दोनों का. रोम में रहते हैं. उनसे परेशानी पूछी तो पता लगा एक-दूसरे से तो वो बहुत प्यार करते हैं, लेकिन अकेलेपन से परेशान हैं. और खबरें ऐसी कि जिनको देखकर उम्मीद कहीं खो गई है. बस यही वजह है कि लगे रोने. तो पुलिस ने क्या किया? उनको ढाढ़स बंधाया. उनके लिए पास्ता बनाया और खिलाया.
13920911_1014694975305189_5738276146906733062_n अब देखिए हमको क्या समझना है. हमारे यूपी के पुलिस वाले तो दारू पीकर सड़क पर जानवरों की तरह आपस में भिड़े रहते हैं. वरना ड्यूटी को ताक पर रखकर रसायन के खुमार में मस्त हो जाते हैं. [facebook_embedded_post href="https://www.facebook.com/thelallantop/videos/1564901327150038/"] यूपी की ही खबर थी, जब बाप और गर्भवती मां को पुलिस उठा ले गई. बेचारी बच्ची घर में बुखार से मर गई. पुलिस की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती कि उस बच्ची के लिए कुछ करती. इंसानियत के नाते ही कर देती. CM अखिलेश, UP पुलिस ने मेरी 5 साल की बच्ची मार दी पर नहीं ऐसा कुछ न हुआ. पुलिस पर तो इल्जाम लगे कि जान-बूझकर उनने उस आदमी को पकड़ा ताकि उसकी जमीन छीनी जा सके. एक असहिष्णुता ये भी होती है. जो सुनकर आप भड़क जाते हैं न, वो ऐसे मौके पर ही दिखती है. जोल और मिशेल जिस वजह से रोते हैं, उम्मीद जो खो जाती है. दूसरा ये कि आजकल हर कोई लड़ रहा है, हर किसी से. पता नहीं क्यों. 9-10 महीने पहले एक औरत बीमार पड़ी अस्पताल में एडमिट हुई तो डच पुलिस वालों ने उसके घर पहुंचकर खाना बनाकर बच्चों को खिलाया और बर्तन मांजे थे. एक लड़ाई ये भी है, जब आप उम्मीद बचाने को लड़ते हैं. छोटी सी खबर है. सयानों को पुलिसवालों ने खाना बनाकर खिला दिया. अब कहिए इसमें क्या. तो ये कि अच्छी चीजें और बातें ज़रा सी ही होती हैं, बुरी बहुत सी. अच्छी को ना सहेजना जरुरी है. पास्ता तो खा-पीकर चुक गया लेकिन वो जो उम्मीद बची न वो बड़ी बात है, हमको भी उम्मीद बचाना सीखना चाहिए. dutch-cops-1024

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