24 जून 2016 (Updated: 24 जून 2016, 01:31 PM IST) कॉमेंट्स
Small
Medium
Large
Small
Medium
Large
कहते हैं कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती. एक ना एक दिन मेहनत का फल मिलता जरुर है. ये और बात है कि तब तक फल खाने को आपके दांत बचें न बचें. ऐसा ही कुछ हुआ राजस्थान के एक 81 साल के रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर के साथ. जिन्हें उनका गोल्ड मेडल कॉलेज ख़त्म होने के 47 साल बाद मिला. वो भी पूरे सम्मान के साथ.
नाम है. अजीत सिंह. ऐसा नहीं है कि सिंह साहब को उनका गोल्ड मेडल बड़ी आसानी से मिल गया. इसके लिए उन्हें कोर्ट में लम्बा संघर्ष करना पड़ा. मामला कुछ ऐसा है कि 1979 में आईएएस बनने वाले अजीत सिंह जी ने 1969 में राजस्थान यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की. अपने कॉलेज में टॉप भी किया. लेकिन उन्हें यूनिवर्सिटी ने सेकंड रैंक की डिग्री दी.
किसी सवाई सिंह नाम के स्टूडेंट को गोल्ड मेडल दिया गया. अजीत सिंह ने इसके खिलाफ आवाज़ उठाया और जा पहुंचे सीधे कोर्ट के दरवाज़े पर. अपने केस की खुद ही पैरवी की उनने. पहले डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मुकदमा गया और फिर हाईकोर्ट. और लड़ाई लड़ने के बाद 2003 में कोर्ट का फैसला उनके हक में आया. कोर्ट ने यूनिवर्सिटी को जमकर झाड़ा. और यूनिवर्सिटी को हुक्म दिया कि मिस्टर सिंह को उनका गोल्ड मेडल दे दिया जाए. फिर भी उन्हें उनका हक नहीं मिला. 2003 में फैसला आने के बाद भी मेडल मिलने में 13 साल लग गए.
कॉलेज प्रशासन का कहना है कि फैसले के एग्जक्यूशन में 12 साल लग गए और 8 महीने फार्मेलिटिज में देरी हुई है. लेकिन अंत में जीत उनकी हुई और अंत में अजीत जी को उनका गोल्ड मेडल और फर्स्ट रैंक वाला सर्टिफिकेट मिल ही गया.
इस सबमें सबसे मज़ेदार बात ये है कि अजीत जी को 81 साल की उम्र में अपने से छोटी उम्र के 64 साल के राजस्थान विश्वविधालय के कुलपति जेपी सिंघल से गोल्ड मेडल और डिग्री मिली.
ये खबर हमारे साथ इंटर्नशिप रहे रमन (नॉट राघव) ने की है