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'चलो रे लोकतंत्र उठाओ कहार, संसद रोकने की रुत आई'

इन्ही चक्करों में 3 साल से जीएसटी बिल अटका हुआ है. गुनहगार कोई एक पॉलिटिकल पार्टी नहीं, कई हैं.

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विकास टिनटिन
20 दिसंबर 2015 (Updated: 21 दिसंबर 2015, 07:46 AM IST) कॉमेंट्स
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संसद का सेशन और टीवी पे न्यूज चैनल दोनों चल रहे हों. तब एक लाइन सबसे ज्यादा बार देखने को मिलती है. 'हंगामे के बाद संसद स्थगित'. मतलब बात चाहे इत्ती सी हो या बहुत बहुत बड़ी. संसद का रुकना तय है. ये कौन हैं जो हर बार इत्ता हंगामा ले आता है. सांसद किसी अच्छे बिल पर सहमति का कोटा भले ही पूरा न कर पाते हों. लेकिन संसद रोकने के लिए हंगामे का कोटा हर बार पूरा हो जाता है. ये मानिए एक मिनट संसद न चलने से करीब ढाई लाख रुपये का नुकसान होता है. हम आपको बताते हैं 26 नवंबर से शुरू हुए शीतकालीन सत्र में संसद किन वजहों से अब तक हुई है ठप. पहली वजह: 2 दिसंबर 2015. कांग्रेस राज्यसभा सांसद कुमारी सैलजा से मंदिर में जाति पूछने का मुद्दा था. कांग्रेस सांसद बौखला गए. जमकर किया हंगामा. स्पीकर को राज्यसभा रोकना सही लगा. तो रोक दी. रिपीट पहली वजह: 3 दिसंबर 2015. पीयूष गोयल ने कुमारी सैलजा के मंदिर में जाने को बयान को 'निर्मित भेदभाव' कहा था. अब बारी इस बयान पर भड़कने की थी. तो अगले दिन भी हंगामा हुआ. कांग्रेस सांसद हंगामा करते हुए राज्यसभा में वेल तक आ गए. हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही रोक दी गई. दूसरी वजह: 4 दिसंबर 2015. हरियाणा में दो दलित बच्चों को जलाकर मार दिया गया था. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने इसे परिवारिक मामला कहा. बस फिर क्या था. राज्यसभा में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने दबाके हंगामा किया. विपक्ष भी हंगामे के सुर में सुर मिला बैठी. संघ हेड मोहन भागवत के राम मंदिर में दिए बयान पर भी बवाल हुआ. राज्यसभा की कार्यवाही उस रोज दो बार रोकनी पड़ी.
अच्छी खबर ये है कि संसद चल रही है. इसका क्रेडिट मुझे नहीं, सभी दलों को जाता है: पीएम नरेंद्र मोदी, 4 दिसंबर 2015
तीसरी वजह: 8 दिसंबर 2015. नेशनल हेराल्ड. किसी से न डरने वाली इंदिरा गांधी की बहू सोनिया और राहुल गांधी दोनों को 19 दिसंबर को कोर्ट में हाजिर होना है. नेशनल हेराल्ड, जिसमें 1938 में नेहरू के शुरू किए न्यूजपेपर के घाटे, फायदे के चक्कर में कई कंपनियां बनाई गईं. कांग्रेस से फंड दिया गया. मालिक राहुल गांधी भी हुए. पर संपत्ति निकली करोड़ों में. अब जब कोर्ट गरम हुई कि हाजिर हो. तो कांग्रेस तिलमिला गई. बोली- विपक्ष को सरकार घेर रही है. लोकसभा, राज्यसभा में खूब जुबानी लड़ाई हुई. लगा हाथ हंगामा. रिपीट तीसरी वजह: 9 दिसंबर 2015. नेशनल हेराल्ड पर कांग्रेस का हंगामा बुधवार को भी रहा. विपक्ष नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'सरकार को डराया जा रहा है. संसद में जो हो रहा है वो सरकार की नीयत का विरोध है.' राज्यसभा में भी हंगामा धूम-धड़ाके के साथ चालू रहा. राज्यसभा की कार्यवाही तीन बार रोकी गई. चौथी वजह: दिल्ली की शकूर बस्ती में रेलवे ने ठंड में 500 झुग्गियां गिरा दी. सबने कही, दिल्ली सरकार है जिम्मेदार. केजरीवाल बोले- रेलवे हमारे नहीं, केंद्र सरकार के अंडर आती है. राहुल, केजरीवाल सब भिड़ लिए. 14 दिसंबर को सब आपस में ही भिड़ लिए. स्पीकर को लगा, यार ये ऐसे नहीं मानेंगे. रोक दो संसद कुछ देर के लिए. हू केयर्स. रिपीट दूसरी वजह: 14 दिसंबर 2015. पंजाब में दलितों की हत्या. मायावती का विरोध इस दिन भी कायम था. राज्यसभा स्थगित की गई. पांचवीं वजह: पाकिस्तान से लौटीं सुषमा और हंगामा. सुषमा पाक गई थीं पाक. वहां से लौटीं तो हरे रंग की साड़ी पहनने, उर्दू बोलने पर विपक्ष का हंगामा. सुषमा ने सफाई दी. उनकी सफाई से हमेशा की तरह विपक्ष ने मुंह फुला लिया. थोड़ी देर के लिए लोकसभा स्थगित कर दी गई. छठी वजह: 15 दिसंबर 2015. केजरीवाल और मोदी सरकार का तोता. सीबीआई ने मारा छापा चीफ सेक्रेटरी राजेंद्र कुमार के दफ्तर पर. केजरीवाल बोले, ये तो मुझे घेर रहे हैं कायर मोदी. दोनों पार्टी के लोग आपस में टीवी चैनलों के माइक अड़ा के भिड़ लिए. हंगामे की संसद जाने की टिकट तो लगती नहीं है. तो ये वाला पहुंचा संसद. यूं तो टोटल चार सांसद हैं 'आप' के. पर बाकी पब्लिक भी हंगामे में साथ हो ली. बस फिर क्या. संसद 12 बजे तक के लिए स्थगित ब्रेकिंग चल गई चैनल में. सातवीं वजह: 17 दिसंबर 2015. अरुणाचल प्रदेश में गवर्नर, कांग्रेस सरकार और बागी विधायकों ने जो बवाल मचाया हुआ है. उसके चक्कर में राज्यसभा और लोकसभा स्थगित कर दी गईं. रिपीट सातवीं वजह: 18 दिसंबर 2015. अरुणाचल वाला बवाल थमा ही नहीं. तो सांसद कैसे थम जाते. तो इस दिन भी बवाल जारी रहा. हंगामा जारी रहा. और फाइनली स्थगित लाइन फिर चल गई न्यूज चैनलों में. आठवीं वजह: 21 दिसंबर 2015. डीडीसीए में वित्त मंत्री अरुण जेटली पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. इस बात को लेकर ही सोमवार को कई बार राज्यसभा की कार्यवाही रोकनी पड़ी. स्थगित की गई. ये हाल तब है, जब सभी राजनीतिक पार्टियों की आपस में बैठक हो चुकी है कि संसद चलने देनी है.

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