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कोर्ट में ऐसा क्या बोलीं रीयल गुंजन सक्सेना, जिससे फिल्म की मुश्किल बढ़ सकती है

'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' फिल्म के खिलाफ सरकार कोर्ट गई है.

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'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' फिल्म के कुछ सीन को लेकर वायुसेना में काफी नाराजगी दिखी है.
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अमित
15 अक्तूबर 2020 (Updated: 15 अक्तूबर 2020, 02:30 PM IST) कॉमेंट्स
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'गुंजन सक्सेना' फिल्म के एक सीन में पायलट गुंजन सक्सेना को नीचा दिखाने के लिए एक पुरुष ऑफिसर उसे पंजा लड़ाने का चैलेंज देता है और पंजा लड़ाकर उसे हरा देता है. ऐसा करके वह उसे कमजोर साबित करना चाहता है. इस सीन और कुछ अन्य बातों को इंडियन एयरफोर्स ने आपत्तिजनक और वायुसेना की इमेज खराब करने वाला बताया है. अब असल जिंदगी की गुंजन सक्सेना ने खुद फिल्म के कुछ सीन और उससे जुड़ी हकीकत को लेकर कोर्ट को जानकारी दी है.
दिल्ली हाई कोर्ट में 15 अक्टूबर, गुरुवार को केंद्र सरकार और फिल्म बनाने वाली कंपनी धर्मा प्रॉडक्शन के वकील के बीच बहस हुई. बहस में सरकारी वकील ने असल जिंदगी की गुंजन सक्सेना के हलफनामे का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके साथ कभी भी पंजा लड़ाने वाली घटना नहीं घटी.
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'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' फिल्म के कुछ सीन पर एयरफोर्स ने आपत्ति जताई है. (फोटोः नेटफ्लिक्स)

गुंजन सक्सेना ने कहा- मुझे बताया ही नहीं गया
वेबसाइट 'लाइव लॉ डॉट कॉम' के अनुसार, केंद्र की तरफ से पक्ष रख रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने कहा कि जैसा कि फिल्म के टाइटल से लगता है कि यह गुंजन सक्सेना की जिंदगी पर बनी फिल्म है. ऐसे में सिर्फ डिस्क्लेमर लगा देना नाकाफी है कि यह फिल्म काल्पनिक है. एएसजी ने कहा-
गुंजन सक्सेना ने हलफनामे में खुद माना है कि उन्हें कभी भी फिल्म के कथानक के बारे में आपत्ति दर्ज कराने का मौका नहीं दिया गया.साथ ही एयरफोर्स में कभी उनके साथ पुरुष साथियों द्वारा पंजा लड़ाए जाने जैसा वाकया पेश नहीं आया है.
एएसजी संजय जैन ने कहा कि यह फिल्म भारतीय वायुसेना की इमेज को खराब करती है, ऐसे में इस फिल्म में से सभी आपत्तिजनक सीन को तत्काल हटाया जाए.
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असल गुंजन सक्सेना (लेफ्ट) ने कोर्ट को बताया है कि उन्हें फिल्म पर आपत्ति जताने का कभी मौका नहीं दिया गया.

निर्माताओं के वकील ने कहा- फिल्म तो देखिए मी लॉर्ड
इधर फिल्म बनाने वाले धर्मा प्रॉडक्शन की तरफ से कोर्ट में मौजूद हरीश साल्वे ने कहा कि इस फिल्म को अगर पूरी तरह से देखा जाए, तो इसमें महिला सशक्तिकरण का संदेश है, न कि भारतीय वायुसेना की पुरुषवादी सोच को दिखाने की कोशिश की गई है. साल्वे ने अनुरोध  किया कि फिल्म के बारे में कोई भी फैसला करते हुए एक बार बेंच इस फिल्म को जरूर देखे.
कोर्ट ने फिल्म देखने की बात स्वीकार कर ली है. कोर्ट ने निर्माताओं और इंडियन एयरफोर्स से कहा है कि वो साथ बैठकर आपसी सहमति से मामले को हल कर लें, तो बेहतर है.

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