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रतन टाटा के अलावा और कौन-कौन PM केयर्स में काम करेगा? सब जानिए

PM केयर्स फंड की शुरुआत साल 2020 में कोविड महामारी के समय में हुई थी.

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रतन टाटा. (तस्वीर- रॉयटर्स)
21 सितंबर 2022 (Updated: 21 सितंबर 2022, 19:05 IST)
Updated: 21 सितंबर 2022 19:05 IST
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प्रतिष्ठित उद्योगपति रतन टाटा को पीएम केयर्स फंड का ट्रस्टी बनाया गया है. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की तरफ से इसकी पुष्टि की गई है. PMO की तरफ से इसे लेकर बयान जारी किया गया है. इसके मुताबिक, रतन टाटा के अलावा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज केटी थॉमस, लोकसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर करिया मुंडा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी PM Cares फंड के ट्रस्टीज़ में शामिल हैं.

एक दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर्स फंड के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के साथ बैठक की थी. इस दौरान बोर्ड में शामिल ट्रस्टीज को एक प्रेजेंटेशन दिया गया था. इसमें फंड की मदद से कई कार्यक्रम शुरू करने की जानकारी दी गई. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मीटिंग में रतन टाटा भी मौजूद थे.

उनके अलावा देश के पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक राजीव महर्षि, इन्फोसिस फाउंडेशन की पूर्व चेयरमैन सुधा मूर्ति, टीच फॉर इंडिया के को-फाउंडर आनंद शाह को भी ट्रस्टी के तौर पर बोर्ड में शामिल किया गया है. बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि ये नए ट्रस्टी और सलाहकार अपनी भागीदारी से पीएम केयर्स फंड के संचालन के लिए बेहतर दृष्टिकोण प्रदान करेंगे.

रतन टाटा को पीएम केयर्स फंड का ट्रस्टी बनाने का फैसला कई मायनों में अहम है. काफी समय से फंड पर सवाल उठते रहे हैं. PM केयर्स फंड राइट टू इंफॉर्मेशन यानी RTI के दायरे में नहीं आता है. इस वजह से आरोप लगते हैं कि पीएम केयर्स फंड पारदर्शी नहीं है. किसी को नहीं पता कि इसका पैसा कहां, कैसे खर्च हो रहा है. विपक्षी दल ही नहीं दूसरे क्षेत्रों के प्रतिष्ठित नाम भी पीएम केयर्स फंड पर सवाल उठा चुके हैं. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन लोकुर ने कहा था कि पीएम केयर्स फंड का हिसाब-किताब पारदर्शी नहीं है.

पीएम केयर्स फंड को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस लोकुर ने भी गंभीर सवाल उठा दिए हैं

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