'अकबर को महान बताने वाली किताबें जला देंगे', महाराणा प्रताप से तुलना पर भड़के राजस्थान के शिक्षा मंत्री का बयान
Rajasthan Education Minister on Akbar: राजस्थान के सीएम Bhajan Lal Sharma की सरकार में शिक्षा मंत्री Madan Dilawar ने कहा कि Akbar को महान बताने वाली किताबें जला दी जाएंगी. उन्होंने कहा कि Rajasthan के लिए उन लोगों से बड़ा कोई दुश्मन नहीं है जो अपनी स्कूली किताबों में अकबर की तारीफ करते हैं. और उसे महान बताते हैं.

राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने 1 सितंबर को एक विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मुगल सम्राट अकबर (Mughal Emperor Akbar) का महिमामंडन करने वाली और उन्हें महान बताने वाली किताबों को जला दिया जाएगा. मदन दिलावर, उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में आयोजित भामाशाह सम्मान समारोह में बोल रहे थे.
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा,
अकबर की तुलना महाराणा प्रताप से करना और उसे महान बताना मूर्खता थी. ये मेवाड़ और राजस्थान के आन-बान-शान के प्रतीक महाराणा प्रताप का अपमान है. महाराणा प्रताप हमारे संरक्षक थे. जिन्होंने कभी भी झुकना मंजूर नहीं किया. वहीं अकबर ने अपने फायदे के लिए कई लोगों की हत्या करवा दी.
उन्होंने आगे कहा कि मेवाड़ और राजस्थान के लिए उन लोगों से बड़ा कोई दुश्मन नहीं है जो अपनी स्कूली किताबों में अकबर की तारीफ करते हैं. और उसे महान बताते हैं. शिक्षा मंत्री ने स्कूली सिलेबस में बदलाव को लेकर कहा कि उन्होंने सभी किताबें देख ली हैं. अभी तक किताबों में ऐसा नहीं है.यदि होगा तो सब किताबें जला देंगे. उन्होंने आगे कहा,
मैं आपके सामने शपथ लेकर निवेदन करता हूं कि राजस्थान की किसी किताब में कभी भी अकबर जैसे लुटेरे और आक्रमणकारी को सम्मान नहीं दिया जाएगा. वह तो लुटेरा और आक्रांता था. वह महान कैसे हो सकता है. ऐसे व्यक्ति को सम्मान देने वाले कभी ऊपर नहीं आ पाएंगे. पाताल में जाएंगे.
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हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर की सेनाओं के बीच लड़ा गया था. इस युद्ध में अकबर की सेना का नेतृत्व आमेर के मान सिंह प्रथम ने किया था. इस युद्ध में मेवाड़ की सेना की हार हुई. फिर भी महाराणा प्रताप इस युद्ध से बच निकले. और मुगल साम्राज्य के खिलाफ अपना वीरतापूर्ण प्रतिरोध जारी रखा. इस युद्ध को महाराणा प्रताप के प्रतिरोध और बहादुरी के लिए याद किया जाता है. महाराणा प्रताप ने अपनी आखिरी सांस तक मुगल साम्राज्य और अकबर के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंके रखा. और मुगल शासकों की अधीनता स्वीकार नहीं की.
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