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मज़दूरों से मिलने गए राहुल गांधी, लोग सोशल मीडिया पर उनके जूते की कीमत बताने लगे

मज़दूरों के पलायन और कोरोना से होती मौतों के बीच बात जूते की कीमतों पर हो रही है. मतलब वाह!

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राहुल गांधी के जूतों की कीमतों पर उठे सवाल
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आशीष मिश्रा
18 मई 2020 (Updated: 18 मई 2020, 01:55 PM IST) कॉमेंट्स
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शनिवार माने 16 मई को राहुल गांधी सड़कों पर थे. दिल्ली के आश्रम में सुखदेव विहार फ्लाईओवर के पास मजदूरों का हाल जानने निकले. बाद में वित्तमंत्री कहतीं मिलीं कि राहुल ने मजदूरों का समय खराब किया. कांग्रेस कहती मिली कि कार्यकर्ताओं ने मजदूरों को कार से घर भेजा.
फिर बारी आई सोशल मीडिया की. सोशल मीडिया में लोगों का ध्यान गया राहुल गांधी के जूतों पर. जूते का ब्रांड और कीमत सामने लाई गई. बताया गया कि राहुल गांधी ने करीब 14 हज़ार का जूता पहना था और गरीबों से बात करने पहुंचे थे. ये भी याद दिलाया गया कि राहुल गांधी नोटबंदी के समय 4000 रुपये निकालने लाइन में लगे थे. कुल जमा राहुल गांधी मज़दूरों का हाल लेने बाहर निकले तो आलोचना के शिकार हो गए. बीजेपी के समर्थक उन्हें इस बात पर घेर रहे हैं कि वो साढ़े तेरह हज़ार का जूता पहनकर बाहर गए. ये कोई पहली बार नहीं है, जब सोशल मीडिया पर नेताओं के कपड़ों-चश्मों, घड़ी की कीमत बताई गई है.
इसके पहले प्रधानमंत्री मोदी 26 दिसंबर 2019 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगा. एनुलर सूर्य ग्रहण देखने निकले थे और उनका चश्मा कीमत आंकने वालों का शिकार हुआ था. बताया गया था कि एक लाख 60 हज़ार का चश्मा है, Maybach का, जर्मन कंपनी का. बदले में कुछ लोगों ने कहा, चश्मा रेट्रो बफेलो हॉर्न ब्रांड का है. कीमत 3 हज़ार से 5 हज़ार के बीच है. वैसे ही इस बार भी हो रहा है. लोगों ने राहुल गांधी का बचाव करना भी शुरू कर दिया है, ये कहते हुए कि 13 हज़ार का जूता कोई बहुत महंगा नहीं होता है. इस पर इतनी हाय-तौबा मचाने की जरूरत नहीं है.
शेष ट्विटर पर जूतों पर इतनी महान बहसें चल रही हैं. दाम तय किये जा रहे हैं. जूते कीवर्ड बने हैं. उस सबके बीच मई की 40 पार गर्मी में चिलचिलाती गर्मी में लाखों मज़दूर टूटी चप्पलों या बेने गोड़े सैकड़ों मील चल रहे हैं. ये तथ्य है. इसे ट्विटर की कोई बहस नहीं बदल सकती.
एक तथ्य ये भी है कि अन्य वेबसाइट्स पर वही साढ़े तेरह हज़ार वाला जूता आधे दाम पर मिल रहा है, देख लीजिएगा. ये फैक्ट आपके हिस्से की राजनीति को सूट करे तो ट्विटर पर इसे भी काउंटर में इस्तेमाल कीजिएगा. और ये याद रखिएगा कि जब हमें बीमारी और पलायन पर बात करनी थी, हम एक नेता के जूते के दाम डिस्कस कर रहे थे.
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P.S.  नेता रनिंग शूज क्यों पहनते हैं?
जिम्मेदारियों से भागने में आसानी रहती है.
P.P.S: किसी के बारे में बुरा कहने से पहले, उसके जूते में पैर डालकर 10 कदम चल लेना चाहिए.
हो सकता है चलने में ही मजा आ जाए.

देखिये भारत में कोरोना कहां-कहां और कितना फैल गया है.

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