मज़दूरों से मिलने गए राहुल गांधी, लोग सोशल मीडिया पर उनके जूते की कीमत बताने लगे
मज़दूरों के पलायन और कोरोना से होती मौतों के बीच बात जूते की कीमतों पर हो रही है. मतलब वाह!

बाद में वित्तमंत्री कहतीं मिलीं कि राहुल ने मजदूरों का समय खराब किया. कांग्रेस कहती मिली कि कार्यकर्ताओं ने मजदूरों को कार से घर भेजा.The pain of the people can only be understood by leaders who care. Here are a few glimpses of Shri @RahulGandhi
— Congress (@INCIndia) May 16, 2020
interacting with migrant labourers in Delhi.#RahulCaresForIndia
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फिर बारी आई सोशल मीडिया की. सोशल मीडिया में लोगों का ध्यान गया राहुल गांधी के जूतों पर. जूते का ब्रांड और कीमत सामने लाई गई.
बताया गया कि राहुल गांधी ने करीब 14 हज़ार का जूता पहना था और गरीबों से बात करने पहुंचे थे.₹13,500 का जूता पहन के राहुल गांधी पहुंचे थे गरीब मजदूर और प्रवासियों का हाल जानने वाह रे वाह #CongressCheatedMigrants
— Nikhil Singh Banty 🇮🇳 (@nikhil_banty) May 18, 2020
@beingarun28
@AbhijatMishr
@Durgeshsinghbjp
@amitmalviya
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ये भी याद दिलाया गया कि राहुल गांधी नोटबंदी के समय 4000 रुपये निकालने लाइन में लगे थे.13000 रुपए का जूता पहनने वाला गरीब।। गरीबों का मजाक उड़ाते हुए,, याद है ₹4000 मात्र और 1 फटा कुर्ता था इनके पास।। जहां कांग्रेस की और राहुल गांधी सोनिया गांधी की सरकार है वहां यह कुछ नहीं करते और प्रियंका गांधी लेटर पर लेटर लिखे जाती हैं आदित्यनाथ जी को।। pic.twitter.com/qEDcHE8iQI
— Ritesh Pal (@RiteshP55743682) May 18, 2020
कुल जमा राहुल गांधी मज़दूरों का हाल लेने बाहर निकले तो आलोचना के शिकार हो गए. बीजेपी के समर्थक उन्हें इस बात पर घेर रहे हैं कि वो साढ़े तेरह हज़ार का जूता पहनकर बाहर गए. ये कोई पहली बार नहीं है, जब सोशल मीडिया पर नेताओं के कपड़ों-चश्मों, घड़ी की कीमत बताई गई है.भारत का सबसे गरीब बेटा 13499 के जूते पहनकर एक गरीब से मिलता हुआ।
ये वही लोग है जो नोटबन्दी के समय 4000 रुपये निकालने के लिए अपने जीवनकाल में एक ही बार ATM की लाइन में लगे थे। #सोनिया_जवाब_दो
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— Arun Yadav (@beingarun28) May 18, 2020
इसके पहले प्रधानमंत्री मोदी 26 दिसंबर 2019 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगा. एनुलर सूर्य ग्रहण देखने निकले थे और उनका चश्मा कीमत आंकने वालों का शिकार हुआ था. बताया गया था कि एक लाख 60 हज़ार का चश्मा है, Maybach का, जर्मन कंपनी का.
बदले में कुछ लोगों ने कहा, चश्मा रेट्रो बफेलो हॉर्न ब्रांड का है. कीमत 3 हज़ार से 5 हज़ार के बीच है. वैसे ही इस बार भी हो रहा है. लोगों ने राहुल गांधी का बचाव करना भी शुरू कर दिया है, ये कहते हुए कि 13 हज़ार का जूता कोई बहुत महंगा नहीं होता है. इस पर इतनी हाय-तौबा मचाने की जरूरत नहीं है.Like many Indians, I was enthusiastic about #solareclipse2019
Unfortunately, I could not see the Sun due to cloud cover but I did catch glimpses of the eclipse in Kozhikode and other parts on live stream. Also enriched my knowledge on the subject by interacting with experts. pic.twitter.com/EI1dcIWRIz
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— Narendra Modi (@narendramodi) December 26, 2019
शेष ट्विटर पर जूतों पर इतनी महान बहसें चल रही हैं. दाम तय किये जा रहे हैं. जूते कीवर्ड बने हैं. उस सबके बीच मई की 40 पार गर्मी में चिलचिलाती गर्मी में लाखों मज़दूर टूटी चप्पलों या बेने गोड़े सैकड़ों मील चल रहे हैं. ये तथ्य है. इसे ट्विटर की कोई बहस नहीं बदल सकती.
एक तथ्य ये भी है कि अन्य वेबसाइट्स पर वही साढ़े तेरह हज़ार वाला जूता आधे दाम पर मिल रहा है, देख लीजिएगा. ये फैक्ट आपके हिस्से की राजनीति को सूट करे तो ट्विटर पर इसे भी काउंटर में इस्तेमाल कीजिएगा. और ये याद रखिएगा कि जब हमें बीमारी और पलायन पर बात करनी थी, हम एक नेता के जूते के दाम डिस्कस कर रहे थे.

वही Asics Gel Kayano 24 Mens Running Shoes कम दामों में
P.S. नेता रनिंग शूज क्यों पहनते हैं?
जिम्मेदारियों से भागने में आसानी रहती है.
P.P.S: किसी के बारे में बुरा कहने से पहले, उसके जूते में पैर डालकर 10 कदम चल लेना चाहिए.
हो सकता है चलने में ही मजा आ जाए.
देखिये भारत में कोरोना कहां-कहां और कितना फैल गया है.