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पंजाब के पूर्व मंत्री घोटाले के केस में अरेस्ट, जानिए पूरा केस क्या है?

पेड़ों की कटाई में कमीशन लेने का आरोप

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Sadhu Singh Dharamsot arrested
साधु सिंह धर्मसोत (फोटो- आजतक)
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ज्योति जोशी
8 जून 2022 (Updated: 8 जून 2022, 10:40 AM IST) कॉमेंट्स
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मंगलवार, 7 जून को पंजाब में पूर्व मंत्री साधु सिंह धर्मसोत (Sadhu Singh Dharamsot) को भ्रष्टाचार (Corruption) के आरोप में गिरफ्तार किया गया. हैरानी की बात है उनकी गिरफ्तारी की भविष्यवाणी मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhawant Mann) ने अप्रैल में ही कर दी थी. और दो महीने से भी कम समय में मान की बात सच हो गई.

भगवंत मान ने 14 अप्रैल को कहा था-

जल्द ही साधु सिंह धर्मसोत पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट या सेशन कोर्ट में आवेदन दाखिल कर जेल में VIP ट्रीटमेंट के लिए आग्रह करेंगे.

बता दें धर्मसोत को दो घोटालों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है जिसका नेतृत्व उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में किया था. वो स्कॉलरशिप घोटाले में आरोपी थे. साधु सिंह धर्मसोत को इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. इसके अलावा उन पर पेड़ों की कटाई में कमीशन लेने का भी आरोप है. आइए इन दोनों घोटालों के बारे में विस्तार से जानते हैं-

स्कॉलरशिप घोटाले में क्या हुआ?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन प्रशासनिक सचिव कृपा शंकर सरोज ने 2020 में धर्मसोत पर घोटाले का आरोप लगाया था. सरोज ने 21 अगस्त, 2020 को तत्कालीन मुख्य सचिव विनी महाजन को चिट्ठी लिखी.

सरोज ने आरोप लगाते हुए लिखा था-

PMS-SC योजना के तहत केंद्र ने फरवरी-मार्च 2019 में पंजाब को 303 करोड़ रुपये भेजे थे. उसमें 39 करोड़ रुपये से जुड़े रिकॉर्ड गायब हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक बाद में सरोज का तबादला कर दिया गया. फिलहाल वो एनआरआई मामलों के विभाग में काम करते हैं. 

उस दौरान केंद्र ने कथित घोटाले की जांच के आदेश दिए थे लेकिन मामले में कोई प्रगति नहीं हुई. खुलासे के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने राज्य के चीफ सचिव विनी महाजन से मामले की जांच करने को कहा.

महाजन ने आरोपों की जांच के लिए जसपाल सिंह, केएपी सिन्हा और विवेक प्रताप सिंह को मिलाकर तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया था. दो महीने बाद उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में मंत्री को तो बरी कर दिया था, लेकिन कई निजी संस्थानों को नियमों का उल्लंघन कर 7 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था.

बाद में धर्मसोत को अमरिंदर के उत्तराधिकारी चरणजीत सिंह चन्नी ने अपने मंत्रिमंडल से हटा दिया.

वनविभाग वाला घोटाला क्या है?

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक साधु सिंह धर्मसोत पर आरोप है कि विकास के नाम पर काटे जाने वाले हर एक पेड़ की कटाई पर वो ठेकेदार से 500 रुपये रिश्वत लेते थे. बता दें साधु सिंह धर्मसोत कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में वन मंत्री थे. ये आरोप सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. तब शिरोमणि अकाली दल के साथ ही आम आदमी पार्टी ने भी साधु सिंह धर्मसोत को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग को लेकर आंदोलन किया था.

वीडियो : पंजाब में हो रही लगातार हत्याओं के कारण उठ रहे हैं AAP सरकार पर सवाल!

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