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CM बनने की दौड़ में कैसे पिछड़े नितिन पटेल, जानो हर पोल पट्टी

ऐलान हो चुका है. ब्रेकिंग खबर तो पढ़ ली होगी. जो नहीं पता वो यहां पढ़ लो.

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PM मोदी के साथ नितिन पटेल.
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कुलदीप
5 अगस्त 2016 (Updated: 5 अगस्त 2016, 01:01 PM IST) कॉमेंट्स
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गुजरात के उप मुख्यमंत्री का पद संभालने के लिए तैनात कर दिए गए हैं नितिन पटेल. ये खबर हर तरफ चल चुकी है. वक्त आ गया है कि उनके बारे में सब कुछ जान लो. गुरुवार को गुजरात के सीनियर बीजेपी नेता यहां अलग-अलग मुखमुद्राओं में आते-जाते दिखे. हर टाइप के सूत्र बता रहे थे कि सीएम नितिन पटेल ही होंगे. बस ऐलान होना बाकी था. उनके हाव भाव भी एकदम मुख्यमंत्रियों वाले हो गए थे. वे इन दो दिनों में सारे फैसलों में शामिल थे, जबकि दूसरे मंत्रियों और सीनियर विधायकों को दूर रखा गया. सचिवालय में पहले ही कानाफूसी होने लगी कि नितिन पटेल को आनंदीबेन का उत्तराधिकारी चुन लिया गया है. फैसला आया तो उनको डिप्टी सीएम की कुर्सी मिली.

नितिन पटेल कौन हैं

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नितिन पटेल अभी गुजरात सरकार में हेल्थ मिनिस्टर थे. पेश से उद्योगपति हैं. मेहसाणा से चुनकर आते हैं. पॉलिटिक्स के पुराने चावल हैं. सन नब्बे में पहली बार विधायक चुने गए थे.

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नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी गुजरात के CM के बतौर इनकी चर्चा चल रही थी. लेकिन तब नरेंद्र मोदी ने आनंदीबेन को चुना था. गुजरात मंत्रियों में आनंदीबेन के बाद सबसे सीनियर वही हैं.

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नितिन पटेल के पक्ष में यह बात रही कि वो खुद पाटीदार समुदाय से आते हैं. गुजरात में पाटीदारों की असरदार हैसियत है और वे बीजेपी के पारंपरिक वोटर माने जाते रहे हैं. लेकिन हार्दिक पटेल के पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद उनकी बड़ी संख्या बीजेपी से नाराज है. ऐसे में एक गैर-पटीदार को कुर्सी देना एक बड़ा खतरा मोल लेना होता. पार्टी हाईकमान ने उन्हें ही पाटीदार आंदोलन से निपटने की जिम्मेदारी दी थी. नितिन ही उस सात मंत्रियों वाली टीम के मुखिया थे, जिसने पटेलों की आरक्षण की मांग पर विचार किया था.
गुजरात के सवर्ण, पटेल और ओबीसी बीजेपी के वोटर माने जाते हैं, जबकि दलित और ज्यादातर मुसलमान कांग्रेस के साथ रहते हैं. गुजरात में पटेलों की आबादी करीब 14 फीसदी है और दलितों की करीब 7 फीसदी है.

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60 साल के नितिन पटेल मेहसाणा के विसनगर से हैं. मेहसाणा गुजरात के पटीदार आंदोलन का बड़ा गढ़ रहा है. पाटीदार आंदोलन जब चरम पर था तो मेहसाणा में उनके दफ्तर पर भी हमला हो गया था.

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आनंदीबेन ने नितिन पटेल का नाम आगे किया था CM पद के लिए. लेकिन अमित शाह की पहली पसंद विजय रुपानी थे. नितिन के पास गुजरात की RSS यूनिट का समर्थन है. तो इनको डिप्टी बना दिया गया.

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नितिन पटेल का एक बयान बड़ा चर्चित है, जिसमें वो मोदी की तीसरी आंख का जिक्र कर रहे हैं. इसी साल जनवरी में उन्होंने कहा था, ‘पाकिस्तान अकसर भारत विरोधी काम करता है, लेकिन भारत को झुकाने की हिम्मत उनके अंदर नहीं. अगर जंग हो गई तो भारतीय सेना मिनटों में पाकिस्तान को धूल चटा देगी. प्रधानमंत्री जी का स्वभाव तो सभी जानते हैं. जब तक वे चुप है, तब तक ठीक है. उनकी तीसरी आंख खुल गई तो लोग जानते ही हैं कि फिर क्या होगा?.'

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