कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटीं सोनिया, प्रियंका ने कहा- "मुझे पता है, तुमने ये सब प्रेम के लिए किया"
सोनिया गांधी ने बताया था कि वो राजनीति में आने के खिलाफ थीं.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने 26 अक्टूबर से कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया. पार्टी की वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने 22 साल तक ये पद संभाला. खड़गे (Mallikarjun Kharge) को ये पद और पद की ज़िम्मेदारियां सौंपते हुए सोनिया ने कहा,
"मैंने पूरी क्षमता के साथ अपना कर्तव्य निभाया. आज, मैं इस ज़िम्मेदारी से मुक्त हो जाऊंगी. लग रहा है, मेरे कंधे से एक भार उतर गया है. बहुत हल्का महसूस कर रही हूं. ये एक बड़ी ज़िम्मेदारी थी. अब ये ज़िम्मेदारी खड़गे जी पर है."
इस मौक़े पर कई लोगों ने सोनिया गांधी को बधाई दी. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने भी अपनी मां को बधाई दी. जिस आधिकारिक कार्यक्रम में पद का ट्रांसफ़र हुआ, उसी की एक फोटो पोस्ट की और लिखा,
"मुझे तुम पर गर्व है मां. दुनिया चाहे कुछ भी कहे, या सोचे. मुझे पता है, तुमने ये सब सिर्फ़ प्रेम के लिए किया."
इससे पहले 17 अक्टूबर को हुए कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में खड़गे ने शशि थरूर को बड़े अंतर से हरा दिया था. 24 साल में ये पहली बार है जब गांधी परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति कांग्रेस का अध्यक्ष बना है. हालांकि, आलोचकों ने चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाया. कहा कि खड़गे की जीत निश्चित थी क्योंकि गांधी परिवार उनकी तरफ़ था. बहरहाल, हम प्रियंका गांधी के कैप्शन पर वापल आते हैं, जो है- 'मुझे पता है, तुमने ये सब सिर्फ़ प्रेम के लिए किया.'
अब ये तो ज़ाहिर है कि यहां इशारा किस तरफ़ है. कई बातें निहित हैं इसमें. सोनिया का राजीव गांधी को राजनीति में आने से मना करना, इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव का यहां आना, सोनिया का इसे लेकर पुरज़ोर विरोध, फिर राजीव गांधी की हत्या और राजीव गांधी की हत्या के बाद देश की राजनीतिक स्थिति.
‘राजनीति में आने के खिलाफ थी’इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 में इंडिया टुडे के एडिटर इन चीफ़ अरुन पुरी के साथ बातचीत में सोनिया गांधी ने बताया था कि वो राजीव गांधी को राजनीति में क्यों नहीं आने देना चाहती थीं. उन्होंने कहा,
"हां, मैं अपने पति के राजनीति में आने के ख़िलाफ़ थी. मेरे पास इसकी वजहें थीं. जब आप राजनीति में होते हो और आप ईमानदारी से राजनीति करना चाहते हैं, तो बाक़ी सारी बातें बाद में आती हैं. तो उन दिनों, राजीव फ्लाइट उड़ाते थे. हमारे पास काफी ख़ाली वक़्त होता था. छोटे-छोटे बच्चे थे. हम एक बहुत सुखी परिवार थे. मुझे लगता था कि अगर राजीव राजनीति में चले जाएंगे, तो ये सब चला जाएगा. लेकिन फिर जब मेरी सास की हत्या हुई, तब तो मैं बिल्कुल ही नहीं चाहती थी कि राजीव उनकी जगह लें. हो सकता है ये स्वार्थ से भरा फ़ैसला हो, लेकिन मुझे ये भी लगता था कि वो राजीव को भी मार देंगे. हमें बहुत सारी धमकियां भी मिल रही थीं. और, मैं सही भी साबित हुई. ऐसा ही हुआ.
लेकिन कुछ किया नहीं जा सकता था. राजीव पीछे नहीं हट सकते थे, क्योंकि वो पहले से राजनीति में थे."
राजीव गांधी की हत्या के बाद कुछ दिनों तक तो सोनिया गांधी दिखीं, फिर सात-आठ सालों तक नहीं दिखीं. 1998 में वो पार्टी की अध्यक्ष बनीं. जब इंडिया टुडे के एडिटर इन चीफ अरुण पुरी ने उनसे इन सात सालों के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा,
"मैंने ख़ुद के साथ 6 से 7 साल बिताए. तब कोई वजह नहीं थी कि मैं राजनीति में आती. मेरे बच्चों को मेरी ज़रूरत थी, लेकिन सिर्फ़ यही वजह नहीं थी. मैं किसी भी क़ीमत पर राजनीति में नहीं आना चाहती थी. लेकिन 6-7 साल बाद ऐसा वक़्त आया, जब कांग्रेस पार्टी मुश्किल दौर से गुज़र रही थी. लोग कांग्रेस छोड़ रहे थे. तब मुझे लगा कि मैं कहीं डर तो नहीं रही हूं. लगा कि मुझे कुछ तो करना ही चाहिए, जिससे पार्टी को कुछ मदद मिले. ऐसे मैं राजनीति में आई."
सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी की सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रही हैं. 1998 से 2017 तक और 2019 से 2022 तक. बीच में राहुल गांधी इस पद पर रहे थे.
राहुल गांधी ने बांधे सोनिया गांधी के जूते के फीते, वीडियो वायरल