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देश के राष्ट्रपति का घर सिर्फ दिल्ली में नहीं है, जानिए और ठिकाने

दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के अलावा देश में दो और भी हैं

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शिव
20 जून 2017 (Updated: 20 जून 2017, 13:46 IST)
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20 जुलाई को देश के नए राष्ट्रपति का नाम पता चल जाएगा. इसी दिन प्रेसिडेंट इलेक्शन का रिजल्ट आना है. इस रेस में नाम कई हैं. एनडीए की तरफ से बिहार के गवर्नर रामनाथ कोविंद का नाम आगे किया गया है और माना जा रहा है कि इन्हीं के नाम पर सहमति बन जाएगी. इसी बीच ये खबर भी तैर रही है कि कोविंद को पिछले महीने यानी मई में राष्ट्रपति के दूसरे ऑफिशियल पते यानी शिमला के प्रेसिडेंशियल रिट्रीट में एंट्री नहीं मिल पाई थी. अब उन्हीं का नाम इस पद के लिए सबसे आगे माना जा रहा है. इसी बहाने जान लीजिए अपने राष्ट्रपति के देश में तीन ऑफिशियल पतों के बारे में.

राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन:

1911 में जब राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया तो साथ ही वायसराय के लिए दिल्ली में एक घर की भी ज़रूरत महसूस की गई. इसकी ज़िम्मेदारी उस समय के ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लैंडसियर लुटियंस को सौंपी गई. इसे बनाने में करीब 1 करोड़ 70 लाख रुपये खर्च हुए. ऐसा पहले विश्व युद्ध के कारण हुआ था. आज यही खर्च करीब 500 गुना ज्यादा होगा.


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अशोका हॉल, राष्ट्रपति भवन

चार मंज़िला इस इमारत में करीब 340 कमरे हैं. राष्ट्रपति भवन के ऑफिशियल फंक्शन दरबार हॉल में होते हैं. बताया जाता है कि इसे बनाने में इंडिया का ही मटीरियल यूज किया गया है. केवल दरबार हॉल में  इटैलियन मारबल लगाया गया है. यहां फर्श का कार्पेट पर्सियन स्टाइल की तर्ज पर करीब 500 मजदूरों ने लगभग 2 साल तक काम करके बनाया था. 1980 में राष्ट्रपति भवन के रख-रखाव पर सालाना करीब 2 करोड़ रुपये खर्च होते थे, वहीं आज ये 100 करोड़ से भी अधिक है.  

दिल्ली में राष्ट्रपति भवन अपने मुगल गार्डन के लिए भी जाना जाता है. करीब 15 एकड़ में फैला है. सर एडविन लुटियंस ने जिस तरह से राष्ट्रपति भवन को दो आर्किटेक्चर स्टाइल इंडियन और वेस्टर्न में बनाया, उसी तरह मुगल गार्डन भी इंग्लिश और इंडियन स्टाइल का ब्लैंड है. अभी तक मुगल गार्डन लोगों के लिए फरवरी से मार्च में खोला जाता है. लेकिन अब इसे अगस्त से मार्च के बीच खोला जाएगा.

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इस गार्डन की सबसे बडी़ खासियत यहां के गुलाब हैं. करीब 159 तरह की किस्में हैं. कुछ गुलाबों के नाम नेशनल और इंटरनेशनल फेम के लोगों जैसे राजा राममोहन राय और मदर टेरेसा के नाम पर भी रखा गया है. यह वही राष्ट्रपति भवन है जहां एपीजे अब्दुल कलाम भी रहे हैं जो सिर्फ दो कमरों में 5 सालों तक रहकर चले गए. उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि उनके रिश्तेदार अगर यहां आते थे तो वो उनको बाहर होटल में रुकवाते थे.


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म्यूज़ियम, राष्ट्रपति भवन

प्रेसिडेंशियल रिट्रीट,हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश की समर कैपिटल शिमला में एक पहाड़ी है मशोबरा. यहीं पर है देश के राष्ट्रपति का दूसरा पता. प्रेसिडेंशियल रिट्रीट नाम से इस पैलेस को गवर्नर जनरल लॉर्ड डल्हौजी ने 1850 में बनवाया था. परंपरा के अनुसार राष्ट्रपति इस घर में हर साल रहने के लिए आते हैं. जब तक भारत आज़ाद नहीं हुआ था तब तक भारत के वायसराय यहां रहते थे. पूरी तरह से लकड़ियों से बना हुआ ये पैलेस शिमला से करीब 7 किमी. दूर और लगभग 7000 फीट की ऊंचाई पर है. लकड़ी पर धज्जी कलाकारी की गई है.


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प्रेसिडेंशियल रिट्रीट

यहां 16 कमरे हैं और यह करीब 300 एकड़ के फॉरेस्ट एरिया से घिरा हुआ है. राष्ट्रपति इसमें गर्मियों में करीब दो हफ्तों के लिए रहते हैं. इस दौरान राष्ट्रपति का कोर सचिवालय भी यहां शिफ्ट हो जाता है. बाकी के दिनों में जब भी कोई विदेशी वीआईपी गेस्ट शिमला आता है तो भारत सरकार उसे यहीं रुकवाती है. प्रेसिडेंशियल रिट्रीट मूल रूप से अभी भी शिमला की कोटी रियासत के राजा की प्रॉपर्टी है जिसे उन्होंने जीवन भर के लिए भारत सरकार को लीज़ पर दे रखा  है. आज़ादी के बाद इंदिरा गांधी और राजीव गांधी यहां छुट्टियां मनाने के लिए आया करते थे.
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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

आजादी से पहले यहां वायसराय गर्मी के दिनों में आते थे. 1903 तक यहां ट्रेन नहीं चलती थी और वायसराय को कलकत्ता से यहां पहुंचने में काफी दिक्कत होती थी. फिर यहां ट्रेन शुरू हुई. यहीं पर बार्नेस कोर्ट भी है जहां पर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद शिमला समझौता हुआ था. यह हिमाचल के राज्यपाल का निवास है.

सिकंदराबाद का राष्ट्रपति निलयमः

देश में राष्ट्रपति के निवास स्थानों में से यह सबसे नया है. बात 1955 की है जब आज़ादी के बाद दक्षिण भारत में अलगाववादी प्रवृत्तियां सिर उठा रही थीं. दक्षिण भारत में लगातार एक सेंटिमेंट बढ़ रहा था कि वो उत्तर भारत से ही देश को चलाया जा जाता है. उस समय तमाम तरह के नारों के बीच ये बात प्रचारित की जा रही थी कि भारत के राष्ट्रपति के सारे घर नॉर्थ इंडिया में ही हैं.


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राष्ट्रपति निलयम, सिकंदराबाद

साउथ इंडिया में राष्ट्रपति मेहमान के रूप में ही आते हैं. 1955 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसी के चलते तेलंगाना में ये राष्ट्रपति भवन बनवाने की बात कही. इसी के चलते राष्ट्रपति निलयम अब देश के राष्ट्रपति का तीसरा ऑफिशियल पता बना. इससे पहले राष्ट्रपति राजभवन में रुकते थे.


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राष्ट्रपति निलयम

दरअसल जिस जगह और जिस बिल्डिंग को राष्ट्रपति निलयम बनाया गया, उसे 1860 में हैदराबाद के निज़ाम नाज़िर उद्दौला ने बनवाया था. जिसे बाद में ब्रिटिश रेज़ीडेंट का घर बना दिया गया. रेज़ीडेंट ब्रिटिश ऑफिसर होता था जिसे अंग्रेज़ अलग- अलग रियासतों में नियुक्त करते थे ताकि उन रियासतों पर नज़र रखी जा सके. इस बिल्डिंग में राष्ट्रपति और उनके स्टाफ के लिए 16 कमरे हैं.  इसके अलावा डाइनिंग हॉल और दरबार हॉल भी है. राष्ट्रपति निलयम सिर्फ एक मंज़िला इमारत है. उस समय अंग्रेज़ वायसराय जब भी दक्षिण भारत की विज़िट पर जाते थे तो यहीं रुकते थे. करीब 101 एकड़ में फैले राष्ट्रपति निलयम में हर्बल गार्डन भी है जिसमें करीब 116 तरह पौधे हैं.




वीडियो भी देखें-
https://www.youtube.com/watch?v=QfvdYOzUoQs
https://www.youtube.com/watch?v=pbbI6e9hUXs
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