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जावड़ेकर के बारे में सारा मीडिया आपको झूठ बता रहा है

खबरें तैर रहीं हैं, शिक्षा मंत्री ने गलती कर दी, उनको इतिहास नहीं पता, लेकिन ये सब झूठ है. सच यहां है.

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आशीष मिश्रा
23 अगस्त 2016 (Updated: 23 अगस्त 2016, 09:47 AM IST) कॉमेंट्स
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इंटरनेट की गलियों में एक 57 सेकंड का वीडियो धक्के खा रहा है. वही वीडियो एम्बेड कर तमाम न्यूजिये खबरें चला रहे हैं कि लेओ देश के एचआरडी मिनिस्टर बोदा हैं.

पहले पढ़िए प्रकाश जावड़ेकर ने क्या कहा है

1857 में जो लड़ाई शुरू की, नब्बे साल वो लड़ाई चली, और ब्रिटिश को बाहर कर दिया. और देश आजाद हो गया, उन सभी सेनानियों को हम नमन सलाम करते हैं. हम प्रणाम करते हैं. कितने वीर नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, पंडित नेहरू, भगत सिंह, राजगुरु, सभी जो फांसी पर चढ़े, क्रांतिवीर सावरकर जी, बाकी महान स्वतंत्रता सेनानी, कितने लाठियां खाई, कितनी गोलियां खाईं, कितने प्रदर्शन हुए, कितने जेल गए, कितने फांसी पर लटके...

अब देखिए प्रकाश जावड़ेकर ने क्या कहा है

https://twitter.com/ANI_news/status/767979885230891008
57 सेकंड बाद वीडियो कट जाता है. लेकिन अगर आप जरा सा भी ध्यान दें तो सीधा है कि वो महापुरुषों को याद कर रहे थे इसी क्रम में नाम ले रहे थे, और कहीं भी उनका आशय ये नहीं था कि बोस या नेहरु को शहीद कह रहे हों. या ये कह रहे हों कि उन्हें फांसी पर लटकाया गया था. ये जरूर है कि उनके बोलने का तरीका अटपटा था. वाक्य बहुत बड़ा था जिसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. उनने कहा था ...सरदार पटेल, पंडित नेहरु, भगत सिंह, राजगुरु, सभी जो फांसी पर चढ़े, और उसके बाद कई लोगों को याद किया. जहां कहीं भी इस चीज को बताया गया है. सभी जो  को गायब कर दिया है. 

अब देखिए खबरें क्या चल रही हैं 

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अब देखिए ट्विटर क्या कह रहा है 

12 कुछ खबर वाले दो पग और आगे निकल गए. उनने ये बात उठा दी कि इनने नेताजी बोस को शहीद कैसे कह दिया जबकि उनकी मौत की बात पर कई तरह की बातें चलती हैं, कुछ कन्फर्म नहीं है. लेकिन ऐसा कुछ है नहीं.

राहत इन्दौरी कहे हैं,

सियासत में जरूरी है रवादारी समझता हैवो रोजा तो नहीं रखता पर इफतारी समझता है.

आपकी पॉलिटिक्स अपनी जगह है. स्मृति ईरानी पर निशाने साधे जाते थे. वो टाइम आ गया है. जब ये साबित करने की कोशिशें चलती हैं कि मंत्रियों को देश का आगा-पीछा नहीं पता है. राजनाथ भी इसके लपेटे में आए हैं जब उन्हें हाफ़िज़ सईद के आतंकी होने न होने की बात नहीं पता थी. लेकिन जबरिया तो ये नहीं करना चाहिए. आंख में लात डालने के प्रयास नहीं होने चाहिए, न जीती मक्खी निगलनी चाहिए. आप वीडियो सुन लीजिए, टेक्स्ट पढ़ लीजिए, ज़रा सा कॉमन सेंस इस्तेमाल कर लीजिए आपको पता लग जाएगा सारी बात गुब्बारा है. दरअसल जावड़ेकर ने ऐसा कुछ कहा ही नहीं है. जैसा फैलाया गया है.

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