आप पलायन चिल्ला रहे हैं, किसानों से पूछिए मुद्दा क्या है
इसी शामली में किसानों के पैसे चीनी मिलों में फंसे हैं. लेकिन उनकी समस्याओं पर कोई सूची नहीं जारी करता.
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घर बेचने का इश्तेहार, जो कैराना से पलायन का प्रतीक बन गया है.
किसान परेशान, नहीं किसी को फिक्र
किसानों के करोड़ों रुपये शुगर मिलों में फंसे पड़े हैं. लेकिन मिलें भुगतान नहीं कर पा रही हैं. इस वजह से किसान बैंकों का कर्ज नहीं चुका पा रहे हैं. 'इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में शामली के किसान मोहकम सिंह बताते हैं कि वह 22 भैंसागाड़ी गन्ना शुगर मिल में चीनी पैराई सत्र 2015-16 के लिए पहुंचा चुके हैं. एक गाड़ी में करीब 18 क्विंटल गन्ना मिल में पहुंचाया गया. जिस मिल में ये गन्ना पहुंचा, उसका नाम है सर शादीलाल इंटरप्राइजेज लिमिटेड. उत्तर प्रदेश सरकार के एसएपी (state advised price) के मुताबिक 280 रुपये क्विंटल के हिसाब से कीमत दी जानी चाहिए थी, जिसके हिसाब से 70 साल के मोहकम सिंह के करीब 400 क्विंटल गन्ने की कीमत हुई 1.12 लाख रुपये. जो अभी तक नहीं मिले.44 हजार रुपये के बाद मिल ने पैराई रोक दी. भुगतान न होने से उनके पोते-पोती की मार्च से स्कूल फीस जमा नहीं हो पा रही है, जो तीन हजार रुपये हर माह जमा होते हैं.सिंह कहते हैं कि नेता लोग कैराना से पलायन का मुद्दा उठा रहे हैं यहां गन्ना किसान पिस रहे हैं. भुगतान को लेकर किसी को फिक्र नहीं है. भुगतान को लेकर बात होनी चाहिए, ताकि हमारी परेशानियां दूर हो सकें.
तीन मिलों पर बकाया, नहीं हो रहा भुगतान
मोहकम सिंह अकेले किसान नहीं हैं, जो भुगतान न होने का दर्द झेल रहे हैं. शामली के करीब 76, 500 किसान ऐसे हैं, जो 193.11 लाख कुंतल गन्ना जिले की तीन मिलों को पहुंचा चुके हैं. जिनमें सर शादीलाल इंटरप्राइजेज लिमिटेड के अलावा बजाज हिन्दुस्थान और राणा शुगर्स लिमिटेड शामिल हैं. एसएपी अधिकारी के मुताबिक गन्ने की कीमत 538.46 करोड़ रुपये है. जिनमें से 300 करोड़ रुपये अभी तक बकाया हैं. किसानों का कहना है कि यहां की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से गन्ने पर निर्भर है. भुगतान न होने से सब कुछ प्रभावित हो जाता है, लेकिन सब कैराना से पलायन-पलायन चिल्ला रहे हैं. क्योंकि उससे उन्हें अगले साल विधानसभा चुनाव में फायदा लेना है. इस चिल्ल-पों में असल परेशानी को दबा दिया गया है.'ये घर बिकाऊ है' तस्वीर का सच
शामली के कांधला के रहने वाले गौरव जैन ने एफआईआर कराई है. अपनी शिकायत में गौरव ने बताया कि उसके परिवार का नाम पलायन करने वालों की लिस्ट में लिखा गया है. ये सरासर झूठ है. गौरव बताते हैं कि मैं उस वक्त हैरान रह गया जब मीडिया में अपने घर की तस्वीर मीडिया में वायरल होती देखी. तस्वीर में घर की दीवार पर लिखा था 'ये घर बिकाऊ है.' जो किसी अनजान ने मेरे घर की दीवार पर लिख दिया. मैं 2010 में अपने बेहतर करियर के लिए गाजियाबाद में शिफ्ट हुआ था. इसके बाद मेरे पेरेंट्स, पत्नी और बच्चे भी गाजियाबाद शिफ्ट हो गए. मेरे पिता का नाम भी लिस्ट में शामिल किया गया, जबकि वो एक मेडिकल शॉप चलाते हैं. इस फर्जीवाड़े की जांच होनी चाहिए. शामली डीएम सुजीत कुमार का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है.