PM साहब कौन सा सुरमा लगाया कि गौ-गुंडे नजर आ गए!
खुद के बारे में कहा कि मैं तो आलोचना के साथ ही बड़ा हुआ हूं.
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टाउनहाल मीटिंग में पीएम मोदी
'गौरक्षा के नाम पर कुछ लोग अपनी दुकानें खोल बैठे हैं, मुझे बहुत गुस्सा आता है. कुछ लोग जो असमाजिक कामों में लिप्त रहते हैं, वे गौरक्षक का चोला पहन लेते हैं, राज्य सरकारें ऐसे लोगों का डॉजियर तैयार करें. अधिकतर गायें कत्ल नहीं की जातीं, पॉलीथिन खाने से मरती है.ऐसे समाजसेवक प्लास्टिक फेंकना बंद करा दें, गाय की रक्षा होगी.'वैसे ये सच है कि जब नरेंद्र मोदी को लगा मामला हाथ से निकला रहा है. जी हां मामले से मेरा मतलब गुजरात से है. तो मोदी जी ने ये बयान दिया है. वैसे आपको याद दिला देते हैं, माने गौरतलब है कि अभी चार दिन पहले गुजरात इलेक्शन पर RSS के सर्वे की एक रिपोर्ट आई थी. जिसमें कहा गया था कि अगर अभी के हालातों में गुजरात में चुनाव कराए जाएं तो BJP को 182 सीटों वाली गुजरात असेंबली में मात्र 60 से 65 सीट्स ही मिलेंगी. अभी के हालात माने गुजरात में तेजी से तमाम आंदोलन चल रहे हैं. हार्दिक पटेल का उठाया पाटीदार आंदोलन अभी भभक ही रहा था कि अचानक से दलितों की पिटाई के बाद वहां दलित आंदोलन ने सरकार की नींद उड़ा रखी है. ऐसे में कहीं से तो डैमेज कंट्रोल होना ही था. हो सकता है कि इस पर कुछ लोग कहें कि PM साहब वाकई इस बात पर दुखी हो सकते हैं तो मेरा ऐसे लोगों से पूछना चाहिए कि गौरक्षकों की गाय को लेकर लोगों को पीटने की घटनाएं आज की तो नहीं हैं. सालों से ऐसी खबरें ही नहीं वीडियो भी आते रहे हैं. पर आज तक कभी कोई बयान क्यों नहीं आया? अखलाक को पीट कर मार दिया गया पर कोई ऐसा बयान नहीं आया. अब चुनाव है तो आया है. जाहिर है पूछेंगे ही, आखिर इतनी देर से ये बयान क्यों? उत्तर है क्योंकि गौरक्षकों की ऐसी मूर्खता के चलते सरकार जाने की नौबत आ गई है और अगले ही साल गुजरात में चुनाव हैं. और BJP अगर गुजरात में चुनाव हार जाती है, यानी BJP अगर मोदी जी के राज्य गुजरात में चुनाव हार जाती है, तो ऐसे में बुरी तरह से BJP की देश और जनता के बीच मिट्टी पलीद होना तय है. गहराई से समझ लो, पॉलिटिक्स है सब. इसलिए बहुत इमोशनल होने और गाते फिरने की जरूरत नहीं है कि प्रधानमंत्री ने गौरक्षकोंं को टिंचर देने वाला बयान दिया है. हालांकि एक तारीफ लायक बात जरूर कही. कि वो खुद अलोचना के बीच बड़े हुए हैं और अपनी आलोचना को निगेटिव नहीं लेते. दरअसल PM मोदी कह रहे थे कि आज टेक्नोलॉजी के चलते ऐसा हो गया है कि PM कोई बयान देता है तो लोग तुरंत ही उसके दस साल पहले के बयान निकाल लाते हैं कि पहले तो आप ऐसा कहा करते थे. जबकि पहले ऐसा नहीं होता था. खैर हम तो आलोचना के बीच ही बड़े हुए हैं. हालांकि आगे PM ने ये भी कहा,
'राय बनाने वाले पंचायत के मामले में भी पीएम को जवाबदेह बना देते हैं, राजनैतिक तौर पर तो यह ठीक है. लेकिन इससे पंचायत अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करती. जो करे उससे जवाब मांगें, नीचे या ऊपर वाले से नहीं, जिसकी जिम्मेदारी हो उसकी जवाबदेही हो. कभी कभी समस्या की जड़ में सरकार होती है. सरकार से बार बार हिसाब मांगना पड़े, ये ठीक नहीं है. आम लोगों को आसानी से जानकारी हासिल हो, यही हमारा लक्ष्य है.'इसमें एक-एक करके क्वेश्चन किए जाते हैं और जवाब दिया जाता है, इन मुद्दों से अलग भी कई मुद्दों पर बात हुई.