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किसान आंदोलन पर कच्छ में PM ने कहा- किसानों को भ्रमित करने की बड़ी साजिश चल रही है

"जो किसानों के कंधे पर बंदूकें फोड़ रहे हैं, उन्हें किसान परास्त करेंगे"

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केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के धऱने के बीच में पीएम मोदी का ये कच्छ दौरा हुआ है. (दाएं) अमृतसर में धरने पर बैठे किसान. (फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट/PTI)
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लालिमा
15 दिसंबर 2020 (Updated: 15 दिसंबर 2020, 07:22 PM IST) कॉमेंट्स
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. आज यानी 15 दिसंबर को गुजरात के कच्छ के दौरे पर हैं. यहां उन्होंने अलग-अलग विकास कार्यों का भूमि पूजन किया है. इनमें दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क (नवीकरणीय ऊर्जा पार्क) और मांडवी में डिसैलिनेशन प्लांट भी है. सहकारी दूध उत्पादन संघ लिमिटेड द्वारा तैयार किए जा रहे डेरी प्लांट का भूमि पूजन भी किया, इसकी लागत 129 करोड़ रुपए है. इसके अलावा, पीएम मोदी ने इस दौरे में जो सबसे खास काम किया, वो है कच्छ के सिख किसानों से मुलाकात. ये मुलाकात उस वक्त हुई, जब दिल्ली की सीमाओं समेत देश के कई हिस्सों में किसान आंदोलन कर रहे हैं. 19 दिन से कड़कड़ाती ठंड में सड़कों पर धरना दे रहे हैं.

कच्छ के सिख किसानों का क्या मामला है, वो भी जानेंगे, लेकिन पहले ये जानिए कि शिलान्यास के कार्यक्रम में पीएम मोदी ने क्या कहा?

पीएम मोदी ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित किया. शुरुआत में तो कच्छ के विकास, वहां के लोगों की तारीफ की. फिर आखिर में दिल्ली और देश के अन्य इलाकों में हो रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर बात की. विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधा. कहा कि विपक्ष में बैठे लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा-

- आजकल दिल्ली के आसपास किसानों को भ्रमित करने की बड़ी साजिश चल रही है. उन्हें डराया जा रहा है कि नए कृषि सुधारों के बाद किसानों की ज़मीन पर दूसरे कब्ज़ा कर लेंगे. मैं आपसे जानता हूं, क्या कोई डेरी वाला आपसे दूध लेने का कॉन्ट्रैक्ट करता है, तो आपसे गाय-भैंस ले जाता है क्या? फल-सब्ज़ी करने का उद्यम करता है, तो क्या आपकी ज़मीन, आपकी प्रॉपर्टी उठाकर ले जाता है क्या? साथियों हमारे देश में डेरी उद्योग का योगदान कृषि अर्थव्यवस्था के कुल मूल्य में 25 प्रतिशत से भी ज्यादा है. ये योगदान करीब-करीब आठ लाख करोड़ रुपए होता है.

- दूध उत्पादन का कुल मूल्य अनाज और दाल के कुल मूल्य से भी ज्यादा होता है. इस व्यवस्था में पशुपालकों को आज़ादी मिली हुई है. आज देश पूछ रहा है कि ऐसी ही आज़ादी अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को क्यों नहीं मिलती? हाल में हुए कृषि सुधारों की मांग बरसों से की जा रही थी. अनेक किसान संगठन भी पहले ही मांग करते थे कि अनाज को कहीं पर भी बेचने का विकल्प दिया जाए. आज जो लोग विपक्ष में बैठकर किसानों को भ्रमित कर रहे हैं, वो भी अपनी सरकार के समय इन कृषि सुधारों के समर्थन में थे, लेकिन अपनी सरकार के रहते वो निर्णय नहीं ले पाए. किसानों को झूठे दिलासे देते रहे. आज जब देश ने एक ऐतिहासिक कदम उठा लिया, तो यही लोग किसानों को भ्रमित करने में जुट गए हैं.

- मैं किसान भाई-बहनों से फिर एक बार कह रहा हूं, बार-बार दोहराता हूं कि उनकी हर शंका के समाधान के लिए सरकार चौबीसों घंटे तैयार है. किसानों का हित पहले दिन से हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रहा है. खेती पर किसानों का खर्च कम हो, उन्हें नए-नए विकल्प मिले, उनकी आय बढ़े, किसानों की मुश्किलें कम हों, इसके लिए हमने निरंतर काम किया है.

- मुझे विश्वास है हमारी सरकार की ईमानदार नीयत, ईमानदार प्रयास और जिसको करीब-करीब पूरे देश ने आशीर्वाद दिया है, देश के हर कोने के किसानों ने आशीर्वाद दिया है, मुझे विश्वास है कि देशभर के किसानों के आशीर्वाद की ये ताकत जो भ्रम फैलाने वाले लोग हैं, जो राजनीति करने पर तुले हुए लोग हैं, जो किसानों के कंधों पर बंदूकें फोड़ रहे हैं, देश के सारे जागरुक किसान उनको भी परास्त करके रहेंगे.


Modi At Kutch
कच्छ में शिलान्यास के कार्यक्रम को संबोधित करते पीएम मोदी. (फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट)

इसके पहले कच्छ के लोगों की तारीफ में शुरुआत में पीएम ने कहा था- 

- कुछ लोग तो ये भी कहते थे कि इस क्षेत्र में विकास कभी हो ही नहीं सकता. ऐसी हालत में कच्छ में भूकंप आया. जो कुछ बचा-खुचा था, भूकंप ने वो भी तबाह कर दिया. लेकिन एक तरफ माता आशापुरा देवी और कोटेश्वर महादेव का आशीर्वाद, तो दूसरी तरफ कच्छ के लोगों का हौंसला. उनकी मेहनत, उनकी इच्छा शक्ति. फिर कुछ ही बरसों में इस इलाके के लोगों ने वो कर दिखाया, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता.

- कच्छ के लोगों ने निराशा को आशा में बदला. मैं समझता हूं कि यही तो माता आशापुरा देवी का आशीर्वाद है, जहां निराशा का नाम नहीं. आशा ही आशा होती है. भूकंप ने भले उनके घर गिरा दिए थे, लेकिन कच्छ के लोगों के मनोबल को नहीं गिरा पाया. कच्छ के मेरे भाई-बहन फिर खड़ हुए. और आज देखिए इस क्षेत्र को उन्होंने कहां से कहां पहुंचा दिया.

भूमि पूजन कार्यक्रम और संबोधन के बाद पीएम मोदी ने विभिन्न समूहों के लोगों से मुलाकात की. इसमें कच्छ के सिख किसान भी शामिल थे.


Kutch
कच्छ में किसानों से मुलाकात करते पीएम. (फोटो- गोपी मनियार)

अब बात कच्छ के सिख किसानों की

दरअसल, तीन कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन करने वाले किसानों में बड़ी संख्या पंजाब-हरियाणा के सिख किसानों की है. इन आंदोलनकारी किसानों के साथ सरकार की अब तक की बातचीत बेनतीजा रही है. ऐसे में कच्छ के सिख किसानों के साथ पीएम की मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है. 'इंडिया टुडे' की गोपी मनियार की रिपोर्ट के मुताबिक, संभावना है कि इस मुलाकात के ज़रिए सिख समुदाय और किसानों को संदेश देने की कोशिश की है.

65 की जंग के बाद शास्त्री ने बसाया था

कच्छ जिले की लखपत तालुका और इसके आस-पास के इलाकों में कुल मिलाकर करीब 5,000 सिख परिवार रहते हैं. इन किसानों को 1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद तत्त्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने यहां बसाया था. 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब-हरियाणा के 245 सिख किसान, जिनकी कच्छ में ज़मीन है, वो पिछले 10 बरसों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. ये लड़ाई साल 2010 से चल रही है. तब जब राज्य सरकार ने उनकी ज़मीन के रिकॉर्ड्स ये कहते हुए फ्रीज़ कर दिए थे कि वो राज्य के मूल निवासी नहीं हैं, ऐसे में गुजरात में वो कृषि भूमि के मालिक नहीं हो सकते. हालांकि गुजरात सरकार के इस आदेश को गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था. लेकिन फिर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी थी. ध्यान दीजिए, 2010 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे नरेंद्र मोदी.

लसमान सिंह बरार, कच्छ में कानूनी लड़ाई लड़ रहे सिख किसान नेता हैं. उनका कहना है-

"गुजरात हाई कोर्ट ने हमारे भूमि के रिकॉर्ड्स को डी-फ्रीज़ करने के आदेश दे दिए थे, इसके खिलाफ गुजरात सरकार ने एक अपील फाइल की थी, जिस पर अब तक फैसले का इंतज़ार है."

एक और सिख किसान नेता सुरेंद्र सिंह भुल्लर का कहना है कि उन्हें इसका आइडिया नहीं है कि किसानों को पीएम के इवेंट में बुलाया गया है या नहीं. वो कहते हैं,

"जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी थी, तो अब पीएम के तौर पर वो हमारी बात सुनेंगे या नहीं, इसकी कोई उम्मीद नहीं है."

अब बात विकास प्रोजेक्ट्स की

पीएम मोदी ने जिस रिन्यूएबल एनर्जी पार्क का भूमि पूजन किया है, उसकी कैपेसिटी 30 हज़ार मेगावाट की होगी. गुजरात सरकार ने इस हाइब्रिड पार्क के लिए सितंबर 2020 में अपनी मंजूरी दी थी. सरकार को इस पार्क से 1.35 लाख करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है. इस पार्क को अगले दो साल में पूरा किया जाना है. इसे कच्छ जिले में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास बंजर जमीन पर बनाया जाएगा. इस पार्क में सौर और पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट के लिए कई कंपनियों को जमीन पहले ही अलॉट की जा चुकी है.

वहीं, डिसैलिनेशन प्लांट कच्छ के मांडवी के समुद्री किनारे पर बनाया जा रहा है. जिसमें 1000 लाख लीटर की कैपेसिटी होगी, जिससे कच्छ के सूखे इलाके में पानी की समस्या हल की जाने की बात की जा रही है.


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