PM मोदी ने UCC पर दिया बयान तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग, क्या तय हुआ?
देर रात हुई इस बैठक में AIMPLB ने UCC का विरोध करने का फैसला लिया. बैठक में लॉ कमीशन को सौंपे जाने वाले दस्तावेजों को भी तय किया गया.

समान नागरिक संहिता (UCC) पर एक बार फिर बहस शुरू हो गई. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून को मध्य प्रदेश में UCC को लेकर बहुत कुछ कहा. उन्होंने कहा कि देश दो कानूनों पर नहीं चल सकता और UCC हमारे संविधान का हिस्सा था. प्रधानमंत्री ने आगे कहा,
AIMPLB की आपातकालीन बैठक"आज लोगों को UCC के नाम पर उकसाया जा रहा है. हमारा देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है? संविधान समान अधिकारों की बात करता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी UCC लागू करने के लिए कहा है. विपक्षी पार्टियां वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं."
प्रधानमंत्री के बयान के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई. 27 जून को देर रात हुई इस बैठक में AIMPLB ने UCC का विरोध करने का फैसला लिया. बैठक में लॉ कमीशन को सौंपे जाने वाले दस्तावेजों को भी तय किया गया. इसमें AIMPLB के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, अरशद मदनी और मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली भी शामिल हुए.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि AIMPLB समान नागरिक संहिता का पुरजोर विरोध करता है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में हम लॉ कमीशन के सामने अपनी बात रखेंगे. ये भी कहा कि पिछले कुछ सालों से नेता चुनावों के पहले इसकी बात करते हैं. इस बार भी 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ये मुद्दा सामने आया है.
उन्होंने आगे कहा कि UCC का न केवल मुसलमानों बल्कि हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, पारसी और भारत के सभी अल्पसंख्यकों पर असर पड़ेगा. हमारे देश में हर 100 किलोमीटर पर भाषा बदल जाती है. फिर हम सबके लिए एक जैसे कानून की बात कैसे कर सकते हैं? हर समुदाय के प्रार्थना करने, शादी-ब्याह करने के तरीके अलग हैं. हमें संविधान से अपना धर्म मानने की आजादी मिली है.
विपक्ष ने बताया वोट बैंक की राजनीतिइधर, विपक्ष ने प्रधानमंत्री के इस बयान को वोट बैंक की राजनीति बताया है. AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री से पूछा कि क्या वे UCC के नाम पर भारत को उसकी विविधता और बहुलता से वंचित करना चाहते हैं? उन्होंने कहा,
"भारत के प्रधानमंत्री हमारे देश की विविधता और बहुलता को एक परेशानी समझते हैं. इसलिए वे ऐसी बातें करते हैं. शायद उन्हें आर्टिकल 29 की समझ नहीं है."
वहीं, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता के. सी. वेणुगोपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री को पहले गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी पर बात करनी चाहिए. वे मणिपुर के मुद्दे पर कभी बात नहीं करते. पूरा राज्य पिछले 60 दिनों से जल रहा है. प्रधानमंत्री ने उस पर एक शब्द भी नहीं बोला. न ही उन्होंने लोगों से शांति की अपील की है. वे सिर्फ लोगों को इन मुद्दों से भटका रहे हैं. हम उनके झांसे में आने वाले नहीं हैं.