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सूचना आयोग ने पीएम केयर्स फंड की जानकारी देने का आदेश दिया था, दिल्ली HC ने रोक लगा दी

केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा था कि RTI आवेदक ने पीएम केयर्स फंड को दी गई टैक्स छूट के बारे में जो भी जानकारी मांगी है, आयकर विभाग को उन्हें देना चाहिए. विभाग इसके खिलाफ हाई कोर्ट पहुंच गया.

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एक RTI आवेदक ने पीएम केयर्स फंड को दी गई टैक्स छूट के बारे में जानकारी मांगी थी | फाइल फोटो: आजतक
8 जुलाई 2022 (Updated: 8 जुलाई 2022, 18:25 IST)
Updated: 8 जुलाई 2022 18:25 IST
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दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें आयकर विभाग (Income Tax Department) से एक आरटीआई आवेदक को पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) से जुड़ी कुछ जानकारी देने को कहा गया था. CIC ने अपने आदेश में कहा था कि RTI आवेदक ने पीएम केयर्स फंड को दी गई टैक्स छूट के बारे में जो भी जानकारी मांगी है, वो आयकर विभाग को उन्हें देना चाहिए. सूचना आयोग के इस आदेश को ही चुनौती देते हुए आयकर विभाग दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया था. गुरुवार, 7 जुलाई को इसी मामले पर जस्टिस यशवंत वर्मा की सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए सूचना आयोग के आदेश पर रोक लगा दी.

आयकर विभाग ने क्या दलील दी?

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक आयकर विभाग ने अपनी दलील में कहा कि इस मामले में केंद्रीय सूचना आयोग ने आयकर अधिनियम की धारा 138 (एल)(बी) पर विचार नहीं किया है. इस धारा में किसी भी आयकर द्वारा प्राप्त हुई जानकारी को सार्वजनिक होने से रोकने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. आयकर अधिनियम की इस धारा में कहा गया है कि सार्वजनिक हित में किसी जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए या नहीं, यह आयकर विभाग के प्रधान मुख्य आयुक्त, मुख्य आयुक्त, प्रधान आयुक्त या आयकर आयुक्त के विवेक पर निर्भर करता है. यानी यही अधिकारी इससे जुड़ा फैसला ले सकते हैं. 

विभाग के मुताबिक आयकर अधिनियम की धारा 138 (एल)(बी) में ये भी कहा गया है कि इस मामले में अधिकारी का निर्णय ही अंतिम होगा और इसे लेकर किसी भी अदालत में सवाल नहीं उठाया जाएगा. आयकर विभाग ने एक दलील ये भी दी कि RTI के तहत जो जानकारी उससे मांगी गई है, वह एक तीसरे पक्ष - पीएम केयर्स फंड - से जुड़ी है, जो कि एक पंजीकृत ट्रस्ट है. बता दें कि इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी कहा था कि पीएम केयर्स फंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं, बल्कि एक ट्रस्ट है, लिहाजा इससे जुड़ी जानकारी RTI के तहत मुहैया नहीं कराई जा सकती है.

विभाग के मुताबिक आरटीआई अधिनियम की धारा 19 के तहत यह आवश्यक है कि जिस तीसरे पक्ष के संबंध में जानकारी मांगी गई है, उसे पहले सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए, और उसका पक्ष जाने के बाद ही फैसला लिया जाना चाहिए.

हाई कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?

आयकर विभाग की ये दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि RTI कार्यकर्ता गिरीश मित्तल ने आयकर विभाग में पीएम केयर्स फंड द्वारा जमा किए गए सभी दस्तावेजों की प्रतियां और टैक्स में छूट के आवेदनों के दस्तावेज सहित कई विवरण मांगे हैं. अदालत के मुताबिक मित्तल के अनुरोध विरोधाभासी हैं. इसके बाद अदालत ने सूचना आयोग के आदेश पर रोक लगा दी और कहा कि इस मामले पर और विचार-विमर्श करने की जरूरत है. अदालत अब इस मामले की सुनवाई 16 नवंबर को करेगी.

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