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'2050 तक सबसे ज़्यादा मुस्लिम इंडिया में होंगे,' ये कोई नेता नहीं, रिपोर्ट बता रही है

ये किसी भी देश के मुकाबले इंडिया में ज्यादा होगा.

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पंडित असगर
3 मार्च 2017 (Updated: 3 मार्च 2017, 11:17 AM IST) कॉमेंट्स
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'2050 तक दुनिया की पॉपुलेशन 35 फीसदी बढ़ेगी. और अगर मौजूदा ग्रोथ रेट 2050 के बाद भी बरकरार रहती है तो 2070 तक दुनिया में सबसे ज्यादा लोग मुस्लिम धर्म को मानने वाले होंगे.'

ये किसी नेता का नहीं बल्कि 'द फ्यूचर ऑफ वर्ल्ड रिलीजन' रिपोर्ट का दावा है. इस रिपोर्ट को जारी किया है वाशिंगटन के 'प्यू रिसर्च सेंटर' (PEW) ने. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 2050 तक इंडिया दुनिया का सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा. रिपोर्ट का दावा है कि 2010 से 2050 के बीच मुस्लिमों की आबादी में 73 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. रिपोर्ट में कहा गया है, '2010 में दुनिया में 1.6 अरब मुस्लिम और 2.17 अरब क्रिश्चियन थे. अगर दोनों धर्म अपनी मौजूदा ग्रोथ रेट के हिसाब से बढ़ते हैं तो 2070 तक इस्लाम को मानने वालों की तादाद क्रिश्चियन्स से ज्यादा होगी.' 2050 तक मुसलमान कुल आबादी का करीब 30 फीसदी यानी 2.8 अरब होंगे जबकि क्रिश्चियन्स 31 फीसदी यानी 2.9 अरब होंगे. ये रेट पिछले कुछ सालों के मुकाबले लगभग समान ही है. हिंदू तीसरे स्थान पर हैं, जिनकी आबादी 34 फीसदी बढ़ेगी. रिपोर्ट के मुताबिक इसी दर से मुस्लिम आबादी बढ़ी तो 2050 तक इंडिया में मुसलमान 30 करोड़ हो जाएंगे. जो दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले सबसे अधिक होंगे.

दुनिया से कम हो जाएंगे नास्तिक

अगर ओवर ऑल बात की जाए तो अभी सबसे अधिक पॉपुलेशन क्रिश्चियन्स की है. उसके बाद मुसलमान और फिर किसी भी भगवान को न मानने वालों यानी नास्तिकों की. और चौथे नंबर पर हिंदू हैं. लेकिन रिपोर्ट कह रही है कि 2050 तक नास्तिकों की तादाद में गिरावट आएगी, जबकि यूरोप और नार्थ अमेरिका में इनकी तादाद बढ़ेगी. 2050 तक नास्तिकों की तादाद दुनिया की पॉपुलेशन की 13.2 फीसदी रह जाएगी, जो अभी 16.4 फीसदी है.

अमेरिका में बढ़ेंगे मुसलमान

अमेरिका में अभी मुसलमानों की आबादी एक परसेंट है. और 2050 तक ये आंकड़ा 2.1 परसेंट होने की उम्मीद है. मुस्लिम देशों से दूसरे देशों में जाने वाले इमिग्रेंट्स की वजह से यूरोप में भी मुस्लिमों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी. रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि मुसलमानों को लेकर हंगरी, इटली, पोलैंड और ग्रीस जैसे देशों में नेगेटिव सोच ज्यादा है. जबकि फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और नॉर्दर्न-वेस्टर्न देशों में ये सोच कम देखने को मिलती है. हंगरी में 72 फीसदी लोग मुस्लिमों के लिए नेगेटिव सोच रखते हैं, जबकि ब्रिटेन में ये तादाद 28 फीसदी है.
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