'सिनेमा हॉल में आए हो?', हाई कोर्ट जज ने सीनियर IAS को हड़काया, ट्विटर पर बहस हो गई
IAS अफ़सरों की कोई यूनिफ़ॉर्म नहीं होती. हालांकि, उनसे ये उम्मीद की जाती है कि वो फ़ॉर्मल ड्रेस पहनें. IPS या रक्षा अधिकारियों की वर्दी निर्धारित है, लेकिन IAS/IFS अधिकारियों की कोई हार्ड-ऐंड-फ़ास्ट ड्रेस कोड नहीं है.

पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) की सुनवाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में जज एक सीनियर IAS अफ़सर को उनके ‘अनुचित’ ड्रेस कोड के लिए फटकार लगा रहे हैं. ये तक पूछ लिया कि 'सिनेमा हॉल में आए हो?' इसके जवाब में IAS अफ़सर आनंद किशोर ने सफ़ाई देते हुए कहा कि अदालत के ड्रेस-कोड के बारे में वो नहीं जानते.
Viral Video में क्या है?मामला जज पी बी बजंथरी के कोर्ट रूम का है. सुनवाई चल रही थी और बैठने वालों में शामिल थे सीनियर IAS अधिकारी आनंद किशोर. IAS आनंद किशोर बिहार सरकार में आवास और शहरी विकास विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी हैं. जज साहब ने प्रिंसिपल सेक्रेटरी को तलब किया. आनंद किशोर आगे आए. आते ही सबसे पहले जज साहब ने पूछा, 'आप प्रिंसिपल सेक्रेटरी हैं? आपका शुभनाम क्या है?' IAS आनंद ने अपना नाम बताया. इसके बाद जज साहब ने कहा,
"क्या आप नहीं जानते कि आपको अदालत में क्या पहनना है? आप मसूरी में IAS ट्रेनिंग स्कूल नहीं गए थे क्या? ये क्या है? बिहार के आईएस अधिकारियों पता नहीं है कि अदालत में कैसे पेश होना है? फ़ॉर्मल ड्रेस का मतलब कम से कम एक कोट और कॉलर खुला नहीं होना चाहिए."
ये सुनकर IAS अकबका गए. उन्होंने अपने आपको डिफ़ेंड करने की पर्याप्त कोशिश भी की. कहा कि गर्मियों की वजह से उन्होंने कोट नहीं पहना. लेकिन जज साहब माने नहीं. आगे जज बंजथरी ने पूछ लिया,
IAS अफ़सरों को कोर्ट में क्या पहनना होता है?"जब आप अदालत में आएं, तो एक उचित ड्रेस कोड होना चाहिए. क्या आपको लगता है कि ये एक सिनेमा हॉल है?"
इंडिया टुडे से जुड़ीं अनीषा माथुर की रिपोर्ट के मुताबिक, IAS अफ़सरों की कोई यूनिफ़ॉर्म नहीं होती. हालांकि, उनसे ये उम्मीद की जाती है कि वो फ़ॉर्मल ड्रेस पहनें. IPS या रक्षा अधिकारियों की वर्दी निर्धारित है, लेकिन IAS/IFS अधिकारियों की कोई हार्ड-ऐंड-फ़ास्ट ड्रेस कोड नहीं है. न तो 'फ़ॉर्मल' की कोई सर्वमान्य परिभाषा है. आमतौर पर पुरुषों के लिए फ़ॉर्मल का मतलब कोट-पैंट-टाई और महिलाओं के लिए सूट, साड़ी या कोट-पैंट-टाई.
मामले पर सोशल मीडिया में ठीक-ठाक बहस है. कुछ लोग जज की तरफ़ से हैं, कुछ IAS के. जज के तरफ़दारों ने 'उचित फ़ॉर्मल्स' न पहनने के लिए IAS अफ़सर के अनुशासन पर सवाल उठाए और जज के साथ बहस करने के लिए IAS अफ़सर की आलोचना की. वहीं ज़्यादातर लोगों ने कपड़ों पर इतनी बहस करने के लिए जज की आलोचना की है. कहा कि जल ने अदालत का मूल्यवान समय बर्बाद कर दिया.
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