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पाकिस्तान का सबसे महान आदमी नहीं रहा

मोदी को एक करोड़ लौटाने वाला एधी. वो नेक पाकिस्तानी जिसकी हर हिंदुस्तानी को इज्जत करनी चाहिए.

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विकास टिनटिन
27 जनवरी 2016 (Updated: 9 जुलाई 2016, 08:32 AM IST) कॉमेंट्स
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'11 साल की उम्र में मां को लकवा मार जाता है. दिमाग की नस फट जाती है. बेहतर इलाज न मिलने की वजह से कुछ साल बाद मां की मौत हो जाती है.'
आज उसी मां के बेटे की वजह से पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देशों में लोगों का फ्री इलाज हो रहा है. भारत के गुजरात में जन्मे अब्दुल सत्तार खान की 'एधी फाउंडेशन' नेकी की दुनिया का बड़ा नाम है. जानिए कभी खर्च के लिए रोज एक पैसे से गुजारा करने वाले अब्दुल सत्तान खान की मोटिवेशनल कहानी... 1928 में पैदा हुए अब्दुल बंटवारे के बाद पाकिस्तान आ गए थे. कराची में होल-सेल शॉप में काम किया. बाद में कपड़े बेचने के धंधे में एजेंट की तरह भी काम किया. कमाई ठीक हुई तो कुछ साल बाद ही स्थानीय लोगों की मदद से एक डिस्पेंसरी खोली. बाद में महज 5 हजार की रकम से अब्दुल ने एधी ट्रस्ट बनाया. साल था 1951. एधी डिस्पेंसरी में एक नर्स काम करती थीं, बिलकीस. अब्दुल ने बिलकीस से 1965 में शादी की. 'द मदर ऑफ पाकिस्तान' बिलकीस वही लेडी हैं जो पाकिस्तान से लौटी गीता के साथ नजर आती थीं. बिलकीस को 'द मदर ऑफ पाकिस्तान' भी कहा जाता है. बिलकीस और एधी फाउंडेशन ने ही पाकिस्तान में गीता की परवरिश की थी. गीता के वतन लौटने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब एधी फाउंडेशन को एक करोड़ रुपये देने का ऐलान किया, जब एधी फाउंडेशन प्रमुख अब्दुल सत्तार खान ने शुक्रिया के साथ रुपये लेने से इंकार कर दिया था. geeta-with-modiकई सेक्टर्स में एधी कर रही है सोशल वर्क 5 हजार रुपये से शुरू हुई एधी फाउंडेशन अब लाखों डॉलर से लोगों की मदद करती है. पाकिस्तान में भूकंप हो या कोई मेडिकल अभियान. एधी मदद के लिए हर फील्ड में आगे काम करता हुआ नजर आता है. मेडिकल सुविधाएं के मामले में एधी फाउंडेशन का काम काबिल-ए-तारीफ है. दुनिया की सबसे बड़ी एंबुलेंस नेटवर्क का खिताब भी एधी के नाम है. एधी महिलाओं, बच्चों, ड्रग की लत, मानसिक रूप से बीमार लोगों का इलाज करती है. एधी फाउंडेशन को कई मुल्कों से डोनेशन मिली, जिससे फाउंडेशन ने लोगों की मदद करने का दायरा बढ़ाया. एधी फाउंडेशन के पास कई स्कूल, अस्पताल, एनीमन होस्टल मेंटल होम, एधी विलेज हैं. आज अकेले पाकिस्तान में एधी फाउंडेशन के करीब 300 से ज्यादा सेंटर हैं. कराची में एधी फाउंडेशन के 8 बड़े अस्पताल हैं, जहां लोगों का फ्री इलाज किया जाता है. 'बच्चे को मारो मत, पालने में डाल दो' पैदा होते ही या पैदा होने से पहले बच्चों को मारने की घटनाएं दोनों मुल्कों में होती हैं. मारने वाले हैं तो बचाने वाले भी हैं. इंडिया में साध्वी ऋतंभरा के आश्रमों में ऐसी कोशिश की जाती है तो पाकिस्तान में एधी फाउंडेशन ये काम बखूबी करता है. एधी के प्रोजेक्ट 'Jhoolas' के तहत 300 से ज्यादा पालनों का इंतजाम रहता है. जिसमें लोगों से अपील की जाती है कि अपने बच्चे को मारिए मत. यहां आकर छोड़ दीजिए. याद रहे कि कई लोग बच्चे का न पालने की कंडीशन में  या लड़का-लड़की की ख्वाहिश में अनचाहे बच्चे को मार देते हैं या कहीं फेंक देते हैं. Jhoolas Baby Cradle edhi एधी इसके अलावा रोजगार देने के लिए ऑटो रिक्शा रोजगार स्कीम, एनीमल होस्टल, एजुकेशनल सर्विस, बुजुर्गों के लिए वृद्धा आश्रम, ग्रेवयार्ड सर्विस पर भी काम करती है. पाकिस्तान में एधी का इमरजेंसी नंबर 115 है.
बिलकीस और अब्दुल सत्तार की नेकी का अंदाजा इस बात से लगा लीजिए कि ये दोनों अब भी एक अनाथालय में रहते हैं. एधी फाउंडेशन के अनाथालय में 2 कमरों के अपार्टमेंट में अब्दुल अपने परिवार के साथ रहते हैं. एधी अपनी संस्था से कोई सैलेरी नहीं लेते हैं. कहते हैं कि अब्दुल कपड़ों के भी ज्यादा शौकीन नहीं हैं. दो लिबास से ही गुजारा कर लेते हैं.
अनगिनत लोगों की बीमारियां दूर करने वाले अब्दुल साल 2013 से बीमार चल रहे थे. अब्दुल की किडनी फेल हो चुकी थी. शुक्रवार, 8 जुलाई 2016 को कराची में उनकी मौत हो गई. वो 92 साल के थे. उनके बेटे ने उनकी मौत की खबर दुनिया को दी. 'दाढ़ी की वजह से करते हैं परेशान' सोशल वर्क और दूसरे देशों में भी ब्रांच होने की वजह से अब्दुल को दूसरे देशों में भी जाना पड़ता था. 1980 में लेबनान में दाखिल होते वक्त इजराइली सुरक्षाबलों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. साल 2006 में टोरंटों में एधी को हिरासत में लेकर 16 घंटे पूछताछ की गई. 2008 में भी न्यूयॉर्क में 8 घंटे पूछताछ की गई.
अब्दुल का पासपोर्ट भी सीज कर दिया गया. लगातार होने वाली इस पूछताछ के बारे में जब अब्दुल सत्तार खान से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि मेरे साथ हर बार ऐसा मेरी दाढ़ी और पहनावे की वजह से होता है.'
edhi-foundation-abdul-sattar-edhiएधी के नाम कई बड़े सम्मान एथी फाउंडेशन को कई बड़े सम्मान मिल चुके हैं. 1986 का रेमन मेग्सैस अवॉर्ड, लेनिन पीस प्राइज, बेलजन अवॉर्ड, गांधी पीस प्राइज, यूनेस्को का मदनजीत सिंह इस लिस्ट के कई बड़े नाम हैं. एधी फाउंडेशन को कई बड़े भारतीय पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है. 1985 में पाकिस्तान ने अब्दुल को निशान-ए-इम्तियाज पुरस्कार दिया गया था. एधी फाउंडेशन की साइट  edhi.org खोलने पर एक लाइन आती है जो इसके साफ इरादों और नेकी को साफ बताती है.
'धर्मविशेष से आगे बढ़कर इंसानियत की सेवा करना'

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