पाकिस्तान का सबसे महान आदमी नहीं रहा
मोदी को एक करोड़ लौटाने वाला एधी. वो नेक पाकिस्तानी जिसकी हर हिंदुस्तानी को इज्जत करनी चाहिए.
Advertisement

फोटो - thelallantop
'11 साल की उम्र में मां को लकवा मार जाता है. दिमाग की नस फट जाती है. बेहतर इलाज न मिलने की वजह से कुछ साल बाद मां की मौत हो जाती है.'आज उसी मां के बेटे की वजह से पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देशों में लोगों का फ्री इलाज हो रहा है. भारत के गुजरात में जन्मे अब्दुल सत्तार खान की 'एधी फाउंडेशन' नेकी की दुनिया का बड़ा नाम है. जानिए कभी खर्च के लिए रोज एक पैसे से गुजारा करने वाले अब्दुल सत्तान खान की मोटिवेशनल कहानी... 1928 में पैदा हुए अब्दुल बंटवारे के बाद पाकिस्तान आ गए थे. कराची में होल-सेल शॉप में काम किया. बाद में कपड़े बेचने के धंधे में एजेंट की तरह भी काम किया. कमाई ठीक हुई तो कुछ साल बाद ही स्थानीय लोगों की मदद से एक डिस्पेंसरी खोली. बाद में महज 5 हजार की रकम से अब्दुल ने एधी ट्रस्ट बनाया. साल था 1951. एधी डिस्पेंसरी में एक नर्स काम करती थीं, बिलकीस. अब्दुल ने बिलकीस से 1965 में शादी की. 'द मदर ऑफ पाकिस्तान' बिलकीस वही लेडी हैं जो पाकिस्तान से लौटी गीता के साथ नजर आती थीं. बिलकीस को 'द मदर ऑफ पाकिस्तान' भी कहा जाता है. बिलकीस और एधी फाउंडेशन ने ही पाकिस्तान में गीता की परवरिश की थी. गीता के वतन लौटने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब एधी फाउंडेशन को एक करोड़ रुपये देने का ऐलान किया, जब एधी फाउंडेशन प्रमुख अब्दुल सत्तार खान ने शुक्रिया के साथ रुपये लेने से इंकार कर दिया था.


बिलकीस और अब्दुल सत्तार की नेकी का अंदाजा इस बात से लगा लीजिए कि ये दोनों अब भी एक अनाथालय में रहते हैं. एधी फाउंडेशन के अनाथालय में 2 कमरों के अपार्टमेंट में अब्दुल अपने परिवार के साथ रहते हैं. एधी अपनी संस्था से कोई सैलेरी नहीं लेते हैं. कहते हैं कि अब्दुल कपड़ों के भी ज्यादा शौकीन नहीं हैं. दो लिबास से ही गुजारा कर लेते हैं.अनगिनत लोगों की बीमारियां दूर करने वाले अब्दुल साल 2013 से बीमार चल रहे थे. अब्दुल की किडनी फेल हो चुकी थी. शुक्रवार, 8 जुलाई 2016 को कराची में उनकी मौत हो गई. वो 92 साल के थे. उनके बेटे ने उनकी मौत की खबर दुनिया को दी. 'दाढ़ी की वजह से करते हैं परेशान' सोशल वर्क और दूसरे देशों में भी ब्रांच होने की वजह से अब्दुल को दूसरे देशों में भी जाना पड़ता था. 1980 में लेबनान में दाखिल होते वक्त इजराइली सुरक्षाबलों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. साल 2006 में टोरंटों में एधी को हिरासत में लेकर 16 घंटे पूछताछ की गई. 2008 में भी न्यूयॉर्क में 8 घंटे पूछताछ की गई.
अब्दुल का पासपोर्ट भी सीज कर दिया गया. लगातार होने वाली इस पूछताछ के बारे में जब अब्दुल सत्तार खान से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि मेरे साथ हर बार ऐसा मेरी दाढ़ी और पहनावे की वजह से होता है.'

'धर्मविशेष से आगे बढ़कर इंसानियत की सेवा करना'