पाकिस्तानी राजदूत ने कहा, 'पाणिनि-चाणक्य थे प्राचीन पाकिस्तान के बेटे,' लोगों ने मौज ले ली
ट्विटर पर भारत-पाकिस्तान के यूजर्स के बीच जंग छिड़ गई है.
Advertisement

पाकिस्तान के राजदूत ने तक्षशिला का ऐसा इतिहास बताया कि ट्विटर पर हंगामा हो गया.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
खोकर ने ट्विटर पर एक फोटो शेयर करते हुए लिखा,
ये तक्षशिला यूनिवर्सिटी की एक विहंगम तस्वीर है, जो कि प्राचीन पाकिस्तान में 2700 साल पहले आज के इस्लामाबाद के पास हुआ करता था. यहां 16 देशों के तकरीबन 10 हजार 500 स्टूडेंट्स 64 अलग-अलग विषयों की उच्च शिक्षा प्राप्त करते थे और उन्हें पाणिनि जैसे विद्वान पढ़ाया करते थे.
वह इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने प्राचीन पाकिस्तान की सभ्यता को बताने के लिए मोहन जोदाड़ो से लेकर बौद्ध धर्म को भी प्राचीन पाकिस्तान में समेट लिया. उन्होंने कहा कि पाणिनि और चाणक्य प्राचीन पाकिस्तान के बेटे थे.An aerial, reconstructed view of Taxila (Takshashila) University, which existed in ancient #Pakistan
— Qamar Abbas Khokhar (@mqakhokhar) December 13, 2020
2700 years ago near today's #Islamabad
. Over 10,500 students from 16 countries studied 64 different disciplines of higher studies taught by scholars like Panini. @hannan021
pic.twitter.com/xRC5mdkb6g

पाकिस्तान के राजदूत ने चाणक्य और पाणिनि को पाकिस्तान के बेटे तक बता दिया.
लोगों ने मौज ले ली
ट्वीट पर नजर पड़ते ही भारतीय ट्विटर यूजर्स ने उन्हें इतिहास का पाठ पढ़ाना शुरू कर दिया. सबसे पहले तो लोगों ने यह याद दिलाया कि पाकिस्तान को पैदा हुए ही अभी तकरीबन 70 साल हुए हैं तो ये 'प्राचीन पाकिस्तान' क्या बला है?
ये प्राचीन पाकिस्तान सिर्फ एक मजाक है. आपका देश ही 1947 में बना है और आप इसे प्राचीन पाकिस्तान कह रहे हैं.
Ancient pakistan is just a joke . Your country comes in the reality in 1947 and you are saying ancient pakistan. https://t.co/ejhYJgXgWK
— Akhil (@Nikalloopatliga) December 14, 2020
2700 साल पहले का प्राचीन पाकिस्तान ???
कहां है तक्षशिला और ये क्यों प्रसिद्ध हैAncient Pakistan 2700 year ago ??? https://t.co/ZPdcYEvddA
— Vipin Kumar (@vipinkumar_g) December 14, 2020
तक्षशिला विश्वविद्यालय वर्तमान पाकिस्तान के रावलपिंडी से 32 किलोमीटर दूर था. अभी भी इस विश्वविद्यालय के अवशेष खुदाई में मिल जाते हैं. यह जगह यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट की लिस्ट है. जानकार तक्षशिला को विश्व का पहला विश्वविद्यालय मानते हैं. यहां पर आचार्य चाणक्य और पाणिनी ने न सिर्फ पढ़ाई की थी बल्कि पढ़ाने का काम भी किया था.
तक्षशिला शहर प्राचीन भारत में गांधार जनपद की राजधानी और एशिया में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था. माना जाता है कि इसकी स्थापना 6ठी से 7वीं सदी ईसा पूर्व हुई थी. यहां पर भारत सहित चीन, सीरिया, ग्रीस और बेबिलोनिया के छात्र पढ़ते थे. वैसे तक्षशिला का मूल नाम तक्कासिला था. लेकिन यूनानी लेखक इसे तक्षशिला कहने लगे और इस तरह ये इसका नाम पड़ गया. चौथी सदी ईसा पूर्व में सिकंदर के समय से ही यूरोप के लोग इसे तक्षशिला नाम से जानने लगे थे.
इसका जिक्र रामायण और महाभारत में भी है. महाभारत में राजा जमनेजय द्वारा नागों के वध के संबंध में तक्षशिला का उल्लेख मिलता है. रामायण के अनुसार शहर की स्थापना राम के छोटे भाई भरत ने की थी और शहर का नाम भरत के पुत्र तक्ष के नाम पर रखा गया था जो तक्षशिला का पहला शासक था. तक्षशिला पर सदियों तक कई राजाओं का शासन रहा जैसे फ़ारस (ईरानी), मौर्य, इंडो-ग्रीक, शक, पहलवी और कुषाण.

फिलहाल रावलपिंडी में स्थित तक्षशिला भारतीय प्राचीन इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और यूनेस्को की विश्व धरोहर का भी हिस्सा है.
ट्विटर पर पाकिस्तान और भारत के यूजर्स की तक्षशिला पर यह जंग #ancientPakistan और #panini के हैशटैग के साथ जारी है.