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महान अब्दुल्ला परिवार की बहू को दरवाजा काटकर बेदखल किया गया

1999 से सरकारी बंगले पर कब्जा जमाए बैठी थीं.

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फोटो - thelallantop
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अविनाश जानू
23 अगस्त 2016 (Updated: 23 अगस्त 2016, 06:08 AM IST) कॉमेंट्स
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सरकारी बंगलों को लेकर हमेशा ऐसे ही मार मची रहती है. एक बार जिसको मिल गया, फिर वो गुड़ से चींटे की तरह चिपक जाता है. अजित सिंह का किस्सा तो अभी भूले होगे नहीं. याद है कैसे दिल्ली का तुगलक रोड वाला बंगला खाली करने से पहले उन्होंने NDMC को पानी पिला दिया था. और जब खाली भी किया, तो उनके समर्थक गुंडागर्दी पर उतर आए थे. आज भी उस बंगले के पीछे पड़े ही हैं. स्मारक बनाना चाहते हैं अपने पिता जी चौधरी चरण सिंह का. खैर ये जिस मामले की खबर है, वो है जम्मू-कश्मीर सरकार का. जो कि है दिल्ली में ताकि यहां जब जम्मू से कोई अफसर आए तो ठहर सके. पर CM रह चुके उमर अब्दुल्ला की बीवी पायल वहां कब्जा जमाए हुए थीं. जब हर तरह से सरकारी कोशिश नाकाम रही, तो पुलिस बुलाई गई तब जाकर बंगला खाली कराया जा सका. उमर अब्दुल्ला की बीवी ने खाली कराते समय भी वो भसड़ काटी कि पूछो मत. पुलिस ने गेट तोड़ा तब तो अंदर घुस पाई. नहीं तो गेट अंदर से बंद था और पायल के ऑर्डर की वजह से लाख कोशिशों के बावजूद वहां तैनात जवानों ने किसी को उसमें घुसने नहीं दिया था. वैसे पायल और उमर का तलाक 2011 में ही हो चुका है, पर पायल अभी भी इस बंगले में रह रही थीं. दिल्ली हाईकोर्ट ने बंगले को खाली करने का ऑर्डर दिया था. तो खाली कराने पहुंचे थे जम्मू-कश्मीर गवर्मेंट के अफसर. पर शायद उनको अंदाजा न रहा होगा कि आज का दिन उनकी जिंदगी का यादगार दिन होने वाला है. जब अफसर लोग बंगले पर पहुंचे और गेट खोलने को कहा तो वहां मौजूद ITBP के जवानों ने गेट खोलने से इनकार कर दिया. तो फिर झंखते हुए अफसर लोग पहुंचे तुगलक रोड थाने. और पुलिस वालों से हेल्प मांगी, चलो हमाए साथ खाली कराने बंगला. एक पुलिस वाले ने ही बताया,
पहले वायरलेस पर मेसेज भेजा गया. और 8 अफसरों को आने को कहा गया. इन आठ में 3 ACP और 2 लेडी अफसर भी थीं.
इस तरह 15 मिनट में ही वहां सारे अफसरों का जमावड़ा लग गया. पर समस्या ये कि बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन. तो एक स्टेट लेवल का अफसर बढ़ा और उसने वहां सिक्योरिटी में लगे जवानों से कहा कि गेट खोलो. पर उन्होंने अनसुना कर दिया. इस पर अफसरों ने उन्हें डराया कि सोच लो आप सरकारी काम में डिस्टर्बेंस पैदा कर रहे हो. पर वो कहां सुनने वाले थे. नहीं खोला तो नहीं खोला. ऐसे कठिन वक्त में हीरो बना एक कारपेंटर. जिसे लेकर आए NDMC यानी नई दिल्ली म्युनिसिपल काउंसिल के अफसर. शाम साढ़े 5 तक उसने एक ओर का गेट काटकर निकाल दिया. उस वक्त तक पायल बंगले में नहीं थीं. पर दरवाजा निकलते ही 5 बजकर 54 मिनट पर वो आ पहुंचीं. उनके आते ही मीडियावाले उनकी ओर लपके, पर पायल ने कुछ भी बात करने से इनकार कर दिया. साढ़े 6 के करीब उनके वकील अमित खेमका वहां पहुंचे. और उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस सामान बाहर फेंक रही है और अंदर बदसलूकी भी कर रही है. फिर तो घंटों ये सारा हंगामा चलता रहा और घर खाली कराया जाता रहा. आखिर रात में 10 बजकर 20 मिनट पर पायल ने अपना सामान दो कारों में लोड किया और चली गईं. 10 बजकर 40 मिनट पर बंगले पर जम्मू कश्मीर सरकार की नई नेम प्लेट लग गई और इस तरह से लंबे वक्त से चले आ रहे इस प्रकरण का समापन लंका कांड से हुआ.
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