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नूंह हिंसा मामले में हरियाणा पुलिस ने कांग्रेस विधायक पर ठोका UAPA

Congress विधायक Mamman Khan को इसी मामले में पिछले साल गिरफ़्तार भी किया गया था. बाद में ज़मानत दे दी गई थी.

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mamman khan uapa
मम्मन ख़ान 2019 में फिरोजपुर झिरका विधानसभा से विधायक बने थे.
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सोम शेखर
22 फ़रवरी 2024 (Updated: 22 फ़रवरी 2024, 09:33 AM IST) कॉमेंट्स
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पिछले साल जुलाई में हरियाणा के नूंह में हिंसा (Nuh Violence) भड़क गई थी, जिसका असर गुरुग्राम (Gurugram) सहित आसपास के इलाक़ों तक फैला था. जुलाई की 31 तारीख़ को विश्व हिंदू परिषद ने एक ‘जुलूस’ निकाला था. जिस पर स्थानीय भीड़ ने हमला कर दिया. झड़प में दो होम गार्ड्स और एक मौलवी समेत कुल छह लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस (Haryana Police) ने अब इस हिंसा के लिए कांग्रेस विधायक मम्मन ख़ान (Mamman Khan) पर ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) लगा दिया है.

मम्मन ख़ान फ़िरोज़पुर झिरका से विधायक (COngress MLA) हैं. साल 2019 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और भाजपा के नसीम अहमद को हराकर विधायक बने थे. 

पुलिस ने पहले उन पर आरोप लगाया था कि वो हिंसा भड़काने वालों और सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट शेयर करने वालों के साथ संपर्क में थे. उनके ख़िलाफ़ नगीना पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था. उन्हें पिछले साल इसी मामले में गिरफ़्तार भी किया गया था. बाद में अदालत ने ज़मानत दे दी थी. अब अन्य आरोपों के साथ पुलिस ने FIR में UAPA भी जोड़ दिया है. 

विधायक मम्मन ख़ान के वकील ताहिर हुसैन रूपारिया ने बताया कि उन्होंने कोर्ट से UAPA की धारा जोड़े जाने की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है.

ये भी पढ़ें - नूह हिंसा मामले में कांग्रेस विधायक मम्मान खान गिरफ्तार, पुलिस ने किए बड़े दावे

हरियाणा विधानसभा (Haryana Assembly) में चल रहे बजट सत्र के दौरान नूंह से कांग्रेस विधायक आफ़ताब अहमद ने UAPA लगाए जाने पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने तर्क दिया कि ये क़ानून आतंकवादियों के लिए है. साथ ही ये भी सवाल किया कि कांग्रेस के एक विधायक पर तो UAPA लगा दिया, लेकिन गुरुग्राम हिंसा वाले केस में - जहां एक इमाम की मौत हो गई थी - UAPA क्यों नहीं लगाया गया?

छह महीने पहले पुलिस ने दो होम गार्ड्स, बजरंग दल के एक सदस्य की हत्या और एक साइबर पुलिस स्टेशन पर हमले से जुड़े केस में आरोपियों के ख़िलाफ़ UAPA लगाया था. हालांकि, प्रारंभिक FIR में ये आरोप शामिल नहीं थे. अदालती दस्तावेज़ से पता चला कि जब आरोपियों ने ज़मानत याचिका लगाई, तब उनके विरोध में जो चालान अदालत में पेश किया गया है, उसमें नए चार्ज जोड़े गए हैं.

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