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अर्थशास्त्र के नोबेल की घोषणा, जीतने वालों ने बताया देश अमीर और ग़रीब कैसे होते हैं

Nobel Prize 2024 in Economics: डारोन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स ए रॉबिन्सन को इस बार ये सम्मान मिला है. इन तीनों के काम से यह बात निकल कर आती है कि व्यापक भागीदारी और संसाधन के बराबर बंटवारे को बढ़ावा देने वाली संस्थाएं आर्थिक विकास के लिए बहुत ज़रूरी हैं.

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Daron Acemoglu, Simon Johnson and James A. Robinson
डेरॉन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स ए. रॉबिन्सन. (फ़ोटो - नोबेल समीति)
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सोम शेखर
14 अक्तूबर 2024 (Published: 06:56 PM IST) कॉमेंट्स
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साल 2024 का अर्थशास्त्र का नोबेल मेमोरियल अवॉर्ड दिया गया है डारोन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स ए रॉबिन्सन को (Economy Nobel Prize 2024). देशों के बीच समृद्धि और संसाधनों में अंतर पर उनके शोध के लिए. उनके काम ने इस समझदारी को बढ़ाया है कि क्यों कुछ देश समृद्ध हो जाते हैं, जबकि अन्य पिछड़ जाते हैं.

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ़ साइंसेज़ की नोबेल समिति के मुताबिक़, तीनों अर्थशास्त्रियों ने देश की समृद्धि के लिए सामाजिक संस्थाओं की अहमियत बताई है.

किसी भी देश की दीर्घकालिक समृद्धि में किन राजनीतिक और आर्थिक संस्थानों की भूमिका होती है? मसलन क़ानून के ख़राब शासन वाले समाज और जनसंख्या का शोषण करने वाली संस्थाएं, विकास या बेहतरी नहीं लाते.

समिति ने कहा कि उनके काम से यह बात निकल कर आती है कि व्यापक भागीदारी और संसाधन के बराबर बंटवारे को बढ़ावा देने वाली संस्थाएं आर्थिक विकास के लिए बहुत ज़रूरी हैं. इसके उलट वैसे संस्थान, जो आम आबादी की क़ीमत पर कुछ लोगों को फ़ायदा पहुंचाए, वही देशों को ग़रीबी के चक्र में फंसाते हैं.

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कैसे? यह उन्होंने ऐतिहासिक संदर्भ से स्थापित करने की कोशिश की है. देशों की आर्थिक यात्रा पर औपनिवेशिक संस्थानों का क्या असर पड़ता है, यह बताया. इससे समझ आया कि क्यों कुछ गुलाम देश अब समृद्ध हैं, जबकि अन्य ग़रीबी से जूझ रहे हैं.

ऐसमोग्लू और जॉनसन मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में पढ़ाते हैं. वहीं, रॉबिन्सन शिकागो विश्वविद्यालय में शोधकर्ता हैं. इनका काम उनकी चर्चित किताब, 'वाई नेशन्स फ़ेल' में छपा है.

  • डेरॉन ऐसमोग्लू का शोध इस बात पर केंद्रित है कि कैसे राजनीतिक और आर्थिक संस्थाएं किसी देश की समृद्धि पर असर डालती हैं. अपनी किताब 'वाई नेशन्स फ़ेल' में उन्होंने तर्क दिया है कि समावेशी संस्थाएं आर्थिक विकास को बढ़ावा देती हैं.
  • साइमन जॉनसन का काम मुख्यतः इस विषय पर रहा है कि संस्थाओं और प्रौद्योगिकी का आर्थिकी से क्या रिश्ता है. कैसे कुछ टेक्नोलॉजी आर्थिक अवसर पैदा कर सकती हैं और ग़ैर-बराबरी को कम कर सकती हैं.
  • जेम्स ए रॉबिन्सन ने राजनीतिक संस्थाओं पर ध्यान दिया, कि उनका आर्थिक विकास में क्या रोल है. उनका काम इस बात को जांचता है कि औपनिवेशिक संस्थाओं ने किस तरह अलग-अलग आर्थिक परिणामों को जन्म दिया है.

नोबेल समिति ने वैश्विक आय की ग़ैर-बराबरी जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए उनके शोध को ज़रूरी माना है. 

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पिछले साल, हार्वर्ड विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर क्लाउडिया गोल्डिन को नोबेल दिया गया था. उनके काम से यह समझाने में मदद मिली है कि दुनिया भर में जेंडर को लेकर काम पर क्या प्रभाव पड़ता है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं को काम कम क्यों मिलता है? काम के दौरान उन्हें पैसे कम क्यों मिलते हैं? इस तरह के सवालों को जवाब खोजने की कोशिश की थी.

नोबेल के शुद्धतावादी तर्क देते हैं कि अर्थशास्त्र के लिए यह पुरस्कार तकनीकी रूप से नोबेल पुरस्कार नहीं है. हालांकि, इसे हमेशा ही उसी दिन दिया जाता है, जिस दिन (10 दिसंबर) बाक़ी अवॉर्ड्स.

वीडियो: कोरियाई लेखिका हान कांग ने ऐसा क्या लिखा कि उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिल गया?

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