साथी हाथ बढ़ाना: ओलंपिक के ट्रैक पर जीत गई इंसानियत
दो एथलीट दौड़ीं. मगर जीतने के लिए नहीं, उदाहरण सेट करने के लिए.
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फोटो - thelallantop
खेलने वाले ही हारते हैं, वो अजेय रहते हैं जो मात्र स्वाद लेते हैं.
अक्सर पूछा गया है कि मैं खेलों और खेल से जुड़े लोगों को इतना पसंद क्यूं करता हूं. आज मेरे पास इस सवाल के जवाब के लिए ऐसा उदाहरण है कि उसके आगे सारे जवाब फ़ीके ही पड़ जायेंगे. न्यूज़ीलैंड की एथलीट निकी हैम्ब्लिन और यूएसए की एथलीट एबी डेगोस्टीनो. रेस शुरू होते वक़्त दोनों एक दूसरे को जानते भी नहीं थे. रेस ख़तम होने तक दोनों का नाम इतिहास में दर्ज हो चुका था. एक साथ. सोने के अक्षरों में. 5000 मीटर की रेस हो रही थी. पांच हजार. यानी पांच किलोमीटर. रेस चल रही थी. इस रेस में ट्रैक के कुल साढ़े 12 चक्कर लगाने होते हैं. जो जितनी जल्दी दौड़ ले, उसके लिए उतना बेहतर. एथलीटों के झुण्ड में निकी हैम्ब्लिन और एबी डेगोस्टीनो दौड़ रही थीं. ट्रैक के लगभग 8 चक्कर पूरे हो जाने पर एक सिचुएशन ऐसी बनी कि जब ये दोनों एथलीट एक झुण्ड में फंस गईं. एथलीट्स का झुण्ड. उस वक़्त वहां जगह की अचानक कमी सी आ पड़ी. वहां जगह कम और एथलीट्स ज़्यादा हो गए. लम्बी दूरी की रेसों में ये सबसे खतरनाक पल होता है. और उस वक़्त वही हुआ, जिसका डर होता है. निकी हैम्ब्लिन और एबी डेगोस्टीनो एक दूसरे से टकरा गईं. टकरा क्या गईं, दोनों के पैर आपस में टकरा गए. दोनों एथलीट्स अपना-अपना बैलेंस खो बैठीं. हैम्ब्लिन ब्लू ट्रैक पर गिर पड़ीं और वहीं लेटी रहीं. रेस ख़त्म होने के बाद उन्होंने कहा, "मैं वहां सोच रही थी कि मैं ट्रैक पर लेटी क्यूं हूं? मुझे किससे चोट लगी है?" और फिर वो हुआ, जिसने मेरे जैसे तमाम खेल के दीवानों को गर्व से भर दिया. "और तभी मेरे कंधे पे एक हाथ आया. वो कह रही थी - उठो! उठो! हमें ये रेस खतम करनी है," हैम्ब्लिन ने आगे बताया. वो आवाज़ और हाथ था एबी डेगोस्टीनो का. वो हैम्ब्लिन की मदद करने को रुकी हुई थीं. हैम्ब्लिन, एबी डेगोस्टीनो के ठीक पीछे थीं. भिड़ने पर उनके घुटने में भी चोट आई हुई थी. लेकिन डेगोस्टीनो तुरंत ही उठ खड़ी हुईं और हैम्ब्लिन को भी दौड़ने को कहा.


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