गोडसे को महिला IAS अधिकारी ने कहा Thank-U, सोशल मीडिया पर लोग भन्नाए
इस 'थैंक यू गोडसे' वाले ट्वीट की सबने अपने हिसाब से संदर्भ सहित व्याख्या की है.

अक्सर एक रीढ़विहीन और चलताऊ सा मुहावरा लोगों से सुनने को मिल जाता है. 'मजबूरी का दूसरा नाम महात्मा गांधी'. इस सुदर्शन सनातन महादेश में महात्मा मजबूर नहीं होगा तो क्या अंगुलिमाल डाकू होगा? लोगों के दिमाग़ों ने मान लिया है कि गांधी मजबूरी का दूसरा नाम है. हमेशा अपनी आत्मा की आवाज़ सुनने वाले मजबूर गांधी को देश पिता मानता है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी. अगर गांधी बच जाते तो शायद गोडसे को जेल से बाहर निकलवाने के लिए भी अनशन करते. लेकिन ये नया भारत है. अहिंसक पिता की वो संतानें हैं जो घर में घुसकर मारती हैं. एक नारा उछालकर भीड़ किसी की भी खाल भरे चौराहे उतार सकती है. इसलिए ऐसे कमज़ोर पिता के हत्यारे को गोली मारने वाले को अगर कोई थैंक-यू बोल दे तो?
# यही हुआ है
ये थैंक-यू बोला है एक महिला अफ़सर निधि चौधरी ने. महाराष्ट्र के म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की बड़ी अधिकारी हैं. 2012 बैच की IAS हैं. अभी BMC में कार्यरत निधि चौधरी ने बाक़ायदा ट्वीट कर थैंक्यू बोला गोडसे को. पहले वो ट्वीट देख लीजिए, जो निधि ने डिलीट कर दिया था. लेकिन स्क्रीनशॉट चल चुके थे.

ये रहा निधि के ट्विटर अकाउंट का वो स्क्रीन शॉट. इसमें निधि ने सरकार को कुछ नरम सुझाव भी दिए हैं जैसे नोटों पर से गांधी की तस्वीर हटा लेनी चाहिए.
निधी ने ट्वीट में कहा है-
हम शानदार रूप से 150वीं जयंती मना रहे हैं, यही मौका है कि हम अपने नोटों से उनका चेहरा हटा दें, दुनिया भर से उनकी मूर्तियां हटा दें, उनके नाम से रखी गई संस्थाएं और सड़कों के नाम बदल दें, ये हम सभी की ओर से उन्हें असली श्रद्धांजलि होगी, 30 जनवरी 1948 के लिए थैंक्यू गोडसे
# और फिर ट्वीट डिलीट कर दिया
निधी ने गोडसे को थैंक-यू कहने के बाद चुप्पे से ट्वीट कर दिया डिलीट. यही आधुनिक लोकाचार है पार्थ. ट्वीट करो, ऐसी तैसी होने लगे तो डिलीट कर दो और जन-साधारण के लिए सूचना पट्ट लगा दो. 'हुआ सो हुआ' टाइप का. क्योंकि अगले को भी पता है कि इस चराचर ट्वीटमय संसार में आत्मा की तरह अजर-अमर हैं स्क्रीनशॉट. एक बार चल जाएं स्क्रीनशॉट तो ट्विटर की अंधी अदालत में ठोस सबूत के तौर पर पेश किए जाते हैं. इसलिए बुद्धि-प्रवीण लोग पहले ही सॉरी हो लेते हैं. जो ढेर सयाना होता है वो 'अकाउंट हैक हो गया था' बोलकर छुट्टी पाता है. लेकिन निधि चौधरी ने ट्वीट डिलीट की जानकारी टाइम लाइन पर चस्पा कर दी.
लिखा है किI have deleted my tweet of 17.05.2019 w.r.t. GandhiJi because some people misunderstood it If only they had followed my timeline since 2011 they would've understood that I would NEVER even dream of insulting GandhiJi I bow before him with deepest regard & will do till last breath pic.twitter.com/CSjaKHF9BJ
— Nidhi Choudhari🕉☪️✝️☸️ (@nidhichoudhari) May 31, 2019
17 मई के अपने ट्वीट को मैंने डिलीट कर दिया, क्योंकि कुछ लोग इसे गलत समझ गए. अगर वो 2011 से मेरे टाइमलाइन को फॉलो किए हुए होते तो वे समझते कि मैं गांधी जी का अनादर करने की सोच भी नहीं सकती हूं, मैं उनके सामने पूरी श्रद्धा से सर नवाती हूं और अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी
इसके बाद निधी ने लगातार ट्वीट किए ताकि लोग उनकी गांधी भक्ति को ठीक से समझ सकें
इसी तरह के ट्वीट और भी आएOnce again a few more tweets from past few months, plz read them. I have not created them now or deleted them. You may check today itself & understand how I feel for GandhiJi My favorite book is My Experiments with Gandhi, my favourite movie is GANDHI Deeply saddened today😭 pic.twitter.com/OIaxQYcQuI
— Nidhi Choudhari🕉☪️✝️☸️ (@nidhichoudhari) June 1, 2019
Here are a few glimpses of my earlier tweets of past few months. Kindly read and understand how I feel for GandhiJi I am a devout follower of GandhiJi and would NEVER insult him The tweet which has been misinterpreted was a sarcasm and not intended to hurt anyone's sentiments pic.twitter.com/YNMeW6xQYf
— Nidhi Choudhari🕉☪️✝️☸️ (@nidhichoudhari) June 1, 2019
सोशल मीडिया पर निधि को तुरंत सस्पेंड करने की मांग उठाई जा रही है. लेकिन सोशल मीडियाई शोर के बीच हमें कुछ और बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत है.
# और वो क्या हैं-
आपने ऊपर वो पढ़ा जो हुआ. जो सबको दिखा साफ़-साफ़. एक ट्वीट, और फ़िर डिलीट करने की सूचना. लेकिन हमारे पास तीन पॉइंट्स हैं जिन पर आप गौर फ़रमाएं तो तस्वीर ज़रा और साफ़ दिखाई देती है.
पहला पॉइंट- निधी चौधरी ने कहा कि वो गांधी का सम्मान करती हैं और उनके ट्वीट को लोगों ने ग़लत समझ लिया. निधि ने बार-बार कहा है कि वो महात्मा गांधी का अपमान करने के बारे में सोच भी नहीं सकतीं. एकबारगी निधि चौधरी के नज़रिए से ट्वीट को देखिए. उसमें गांधी की तस्वीर नोटों से हटाने की बात है. मूर्तियां हटाने की बात है. लेकिन अंत में कहा गया है कि गांधी को यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी. अब मान लीजिए कि आज के दौर में गांधी को बेतरह चाहने वाला शख्स अगर ऐसे नोट से गांधी को हटाने की बात कर रहा है जो गांधी के 'अंतिम जन' के खून पसीने से सना होता है. जो ग़ैर बराबरी का प्रतीक सा बन गया है तो इसे व्यंग के रूप में भी समझा जा सकता है.
दूसरा पॉइंट- हमने निधि के ट्विटर को काफ़ी पीछे तक स्टडी किया. निधि किसी विचार विशेष को प्रमोट करती हुई कभी नहीं पाई गईं. परिवार के साथ या दफ़्तर की तस्वीरें. और गांधी के शब्द और दर्शन दिखाई पड़ते हैं. अचानक सिर्फ़ एक ट्वीट आता है जिसे शायद निधि भी ठीक से जज नहीं कर सकीं. और सोशल मीडिया पर कैच थमा बैठीं.
तीसरा पॉइंट- निधि चौधरी के जिस ट्वीट पर सारा बवाल हुआ उसमें सिर्फ़ तीन शब्द हैं जिसका बचाव कोई नहीं कर सकता. अगर कल को निधि सस्पेंड होती भी हैं तो यही तीन शब्द अपना रोल निभाएंगे. और ये शब्द क्या हैं 'Thank U Godse'. निधि एक बेहद ज़िम्मेदार पद पर हैं. सारी बात सेन्स ऑफ़ सटायर पर नहीं छोड़ी जा सकती. 'अगर' निधि ने व्यंग भी किया था तो वो इतना महीन था, कि उसे समझने के लिए जितना दिमाग़ लगाना चाहिए उतना सोशल मीडिया पर जनता लगाती नहीं है.
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