नेपाल में एक प्राइवेट विमान ने अपने निर्धारित डेस्टिनेशन से अलग दूसरे शहर के लिए उड़ान भर ली. नेपाल की बुद्ध एयर के विमान में यात्री जनकपुर जाने के लिए सवार हुए, लेकिन पहुंच गए पोखारा. डेस्टिनेशन से 255 किलोमीटर दूर. इस विमान में 69 यात्री सवार थे. बुद्ध एयर ने अपनी गलती मानी है.
नेपाल के अखबार काठमांडू पोस्ट की वेबसाइट पर छपी खबर के मुताबिक, एयरलाइन के मैनेजिंग डायरेक्टर बीरेंद्र बहादुर बसंत ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई गई है.
नेपाल में कोरोना की वजह से छह महीने तक एयर ट्रैफिक बंद रहा था. 21 सितंबर को विमानों की आवाजाही शुरू हुई. अब विमान करीब-करीब पूरी क्षमता के साथ उड़ान भर रहे हैं.
शुक्रवार, 18 दिसंबर को भी काठमांडू एयरपोर्ट के डोमेस्टिक टर्मिनल पर बहुत हलचल थी. दोपहर का वक्त था. मौसम उड़ानों के लिए अनुकूल नहीं था. इसकी वजह से कुछ फ्लाइट्स पहले ही डिले हो चुकी थीं.
खराब मौसम की वजह से पोखरा जाने वाली फ्लाइट को विजुअल फ्लाइट रूल्स (VFR) के चलते तीन बजे तक उड़ान भरने की मंजूरी दी गई. वैसे ही देरी हो रही थी, ऐसे में बुद्ध एयर के अधिकारियों ने पहले पोखरा के लिए फ्लाइट रवाना करने का फैसला किया. इसी के तहत फ्लाइट्स के नंबर चेंज कर दिए गए. जनकपुर और पोखरा की तरफ जाने वाले उड़ानों में 15-20 मिनट का अंतर था.
शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, फ्लाइट नंबर चेंज करने की वजह से गड़बड़ी हुई. ग्राउंड स्टाफ ने ऑन पेपर तो पोखरा जाने वाले 69 पैसेंजर्स की लिस्ट फ्लाइट U4505 से बदलकर फ्लाइट U4607 कर दी, लेकिन इस स्टाफ ने इस बारे में फ्लाइट कैप्टन और को-पायलट को जानकारी नहीं दी. फ्लाइट अटेंडेंट ने भी प्लेन में अनाउंसमेंट किया कि फ्लाइट जनकपुर के लिए उड़ान भर रही है. लेकिन जब फ्लाइट लैंड हुई तो यात्रियों को पता चला कि ये जनकपुर नहीं पोखारा है. जनकपुर से 255 किलोमीटर दूर.
एयरलाइन ने कहा कि ग्राउंड स्टाफ और पायलट के बीच कम्युनिकेशन गैप था. पायलट्स ने भी पैसेंजर्स को नहीं देखा. उड़ान भरने के बाद पायलटों से बात करने की कोशिश की गई, पर नहीं हो पाई, क्योंकि कंपनी के नियमों के चलते उन्हें बात करने की इजाजत नहीं थी.
एविएशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस तरह की घटनाएं होती तो हैं लेकिन ये बहुत रेयर होता है. काठमांडू पोस्ट को नेपाल के सिविल एविएशन अथॉरिटी के पूर्व डायरेक्टर जनरल त्री रत्न मननधर ने बताया कि पिछले ढाई दशक में नेपाल के विमानन इतिहास में इस तरह की यह दूसरी घटना है. इससे पहले 1993 में इस तरह की घटना हुई थी. तत्कालीन रॉयल नेपाल एयरलाइंस कॉरपोरेशन का एक ट्विन ओटर सिमरा हवाई अड्डे पर उतरा था, जिसे भरतपुर हवाई अड्डे पर उतरना था.