NEET PG में ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है, वो हम सभी को हर हाल में सुनना चाहिए
"पिछड़ेपन को दूर करने में आरक्षण की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता"
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सुप्रीम कोर्ट ने नीट यानी नैशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि सामाजिक न्याय में आरक्षण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जस्टिस DY चंद्रचूड़ और AS बोपन्ना की विशेष पीठ ने कहा कि PG और UG ऑल इंडिया कोटा (AIQ) में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण संवैधानिक रूप से मान्य होंगे.
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने? सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक न्याय का हवाला देते हुए कहाओबीसी और ईडब्ल्यूएस कोटे से NEET PG UG उम्मीदवारों को आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की लगी मुहर! सरकार और लाभार्थी छात्रों को राहत! #ReporterDiary #NEETPGCounselling #Reservation (@mewatisanjoo) pic.twitter.com/nWJZmCjMWD
— AajTak (@aajtak) January 20, 2022
"आरक्षण और मेरिट एक दूसरे के विपरीत नहीं हैं. सामाजिक न्याय के लिए आरक्षण की आवश्यकता होती है. NEET में ओबीसी आरक्षण देना सही है. केंद्र को OBC Reservation संबंधी फैसला लेने से पहले सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है."कोर्ट ने आगे कहा,
"NEET PG और UG प्रवेश के लिए ऑल इंडिया कोटे में OBC आरक्षण मान्य है. अनुच्छेद 15(4) और 15(5) हर देशवासी को मौलिक समानता देते हैं. प्रतियोगी परीक्षाएं उत्कृष्टता, व्यक्तियों की क्षमताओं को नहीं दर्शाती हैं. ऐसे में कुछ वर्गों को मिलने वाले सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक लाभ को प्रतिबिंबित नहीं किया जा सकता. उच्च स्कोर योग्यता के लिए एकमात्र मानदंड नहीं है. सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के संबंध में योग्यता को प्रासंगिक बनाने की आवश्यकता है. पिछड़ेपन को दूर करने में आरक्षण की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता."इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि पहले के फैसलों ने UG और PG एडमिशन में आरक्षण पर रोक नहीं लगाई है. EWS आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मार्च के तीसरे हफ्ते में सुनवाई होनी है. इसको लेकर कोर्ट ने कहा,
"हम अभी भी एक महामारी के बीच में हैं. डॉक्टरों की भर्ती में देरी से स्थिति प्रभावित होती है. आरक्षण योग्यता के विपरीत नहीं है, लेकिन सामाजिक न्याय के लिए यह जरूरी है. 1984 में प्रदीप जैन के फैसले को यह नहीं पढ़ा जा सकता कि AIQ सीटों पर कोई आरक्षण संभव नहीं है.''क्या था 7 जनवरी का फैसला? सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी 2022 को NEET PG में आरक्षण के मुद्दे पर फैसला सुनाया था. कोर्ट ने ऑल इंडिया कोटे में 10 फीसदी EWS यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को और 27 फीसदी OBC कोटे को बरकरार रखने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद NEET PG की काउंसिलिंग का रास्ता साफ हो गया. इसको लेकर लंबे समय से डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे थे. केंद्र सरकार द्वारा काउंसिलिंग शुरू करने के आश्वासन देने के बाद डॉक्टरों की तरफ से विरोध प्रदर्शन समाप्त किया गया. जिसके बाद 6 जनवरी को कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस दौरान कोर्ट ने यह भी कहा था कि देश के हित में काउंसिलिंग शुरू होना जरूरी है. अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि इस सत्र के लिए EWS की आय सीमा 8 लाख रुपए में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि EWS की आय सीमा की समीक्षा के लिए बनाई गई पांडेय कमेटी की रिपोर्ट पर मार्च के तीसरे सप्ताह में सुनवाई होगी. यानी कि अगले सत्र से EWS कोटे के लिए क्या आय सीमा होगी, ये मार्च में तय होगा.