'खून का बदला लिया जाएगा', नागालैंड गोलीबारी की घटना पर उग्रवादी संगठन की खुली धमकी
नागालैंड में असम राइफल्स की एक हिंसक कार्रवाई में कई निर्दोषोंं की मौत हुई थी.
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असम राइफल्स के हमले के बाद स्थानीय लोगों ने सुरक्षाबल की गाड़ियों में आग लगा दी थी. (तस्वीर- पीटीआई)
"हमने अभी तक भारतीय सेना के खिलाफ ऑपरेशन चलाने से खुद को रोक रखा था. उस भारतीय सेना के खिलाफ, जिसने नागालैंड में कब्जा जमा रखा है. ऐसा इसलिए किया क्योंकि NSCN नागालैंड के लोगों की शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने की इच्छा का सम्मान कर रहा था."समूह ने अपने बयान में आगे कहा,
"लेकिन इस सबसे आखिर मिला क्या? हमारे लोग जो शांतिपूर्ण तरीके से अपना लक्ष्य हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, आखिर उन्हें बेशर्म कब्जेदारों से मिला क्या? कुछ भी नहीं. सिर्फ समय-समय पर दी जाने वाली प्रताड़ना, बलात्कार, नरसंहार और अनकहे दर्द के अलावा उन्हें (नागालैंड के लोग) कुछ नहीं मिला."संगठन की तरफ से एक और बयान जारी किया गया. इसमें NSCN ने कहा कि चार दिसंबर को जो हुआ है, वो और कुछ नहीं बल्कि भारतीय सेना और भारत सरकार की तरफ से की गई पूर्व की बर्बरताओं का ही अंतहीन सिलिसिला है. संगठन ने आगे कहा,
"भारत सरकार केवल और केवल नागालैंड के राजनीतिक आंदोलन को दबाने के लिए ये सबकुछ कर रही है. संगठन के महिला विंग की तरफ से कमोबेश यही बात कही गई. महिला विंग की तरफ से कहा गया कि चार दिसंबर का नरसंहार नागा विरोधी मानसिकता के तहत किया गया. NSCN समूह नागालैंड के लिए अलग झंडे और संविधान की मांग करता है."

NSCN की तरफ से जारी किया गया बयान.
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस पूरे घटनाक्रम के बारे में 6 दिसंबर को संसद को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मोन जिले में भारतीय सेना के 21 पैरा कमांडों ने उग्रवादियों के लिए एक जाल बिछाया था. पूरा ऑपरेशन चार दिसंबर की शाम को किया जाना था. अमित शाह ने बताया,
"ऑपरेशन की पूरी तैयारी हो गई थी. लेकिन बाद में पता चला कि जवानों को गलत सूचना मिली है. भारत सरकार इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम के लिए माफी मांगती है और मृतक लोगों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना जताती है."AFSPA हटाने को कैबिनेट मंजूरी चार दिसंबर को हुए घटनाक्रम के तुरंत बाद असम राइफल्स ने बयान जारी कर बताया था कि इलाके में उग्रवादियों की हलचल की पक्की सूचना के आधार पर ही ऑपरेशन चलाया गया था. उसने अपने स्तर पर इस पूरे घटनाक्रम की उच्चस्तरीय जांच करने की बात कही. वहीं राज्य सरकार की तरफ से जांच के लिए SIT का तुरंत गठन कर दिया गया था. दूसरी तरफ, इस मामले में मोन जिले के तीजित पुलिस स्टेशन में स्वत: संज्ञान के आधार पर एक FIR दर्ज की गई. इसमें कहा गया कि सैनिक मन बनाकर आए थे कि उन्हें काम से वापस लौट रहे मजदूरों की हत्या करनी है.

बाएं से दाएं. Nagaland के एक कस्बे में AFSPA को हटाने की मांग करते हुए लगाया गया एक पोस्टर और एक आर्मी कैंप के बाहर भारतीय सेना का जवान. (फोटो: PTI/AP)
इस बीच सात दिसंबर को नागालैंड राज्य सरकार की कैबिनेट बैठक हुई. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मीटिंग की जानकारी देते हुए नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफियो रियो ने बताया कि कैबिनेट ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखने का फैसला लिया है. रियो ने आगे बताया कि इस पत्र के जरिए राज्य सरकार केंद्रीय गृह मंत्रालय से अपील करेगी कि नागालैंड से आफस्पा कानून हटा दिया जाए, जो केंद्रीय सुरक्षाबलों को बिना वॉरंट के कार्रवाई करने का अधिकार देता है.
चलते-चलते बता दें कि नागालैंड गोलीबारी और इसके बाद हुई हिंसा में कुल 15 लोगों की जान गई है. इनमें 14 नागरिक और एक सैनिक शामिल हैं.