The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • muslim boy from sangh school tops assam class ten exam

संघ के स्कूल से पढ़े मुस्लिम लड़के ने असम में किया टॉप

पिता हुसैन कहते हैं, हमारे पूर्वज मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़े थे. और हम साथ पढ़ भी नहीं सकते?

Advertisement
Img The Lallantop
सरफराज को कंधे पर उठाए पिता
pic
अविनाश जानू
1 जून 2016 (Updated: 31 मई 2016, 04:31 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
असम के 10वीं के रिजल्ट आ गए हैं. सरफराज हुसैन ने टॉप किया है. उसे दसवीं में 600 में से 590 नंबर मिले हैं. खास ये है कि सरफराज ने अपनी पढ़ाई शंकरदेव शिशु निकेतन से की है. इस स्कूल को आरएसएस से जुड़ी एक संस्था 'विद्याभारती' चलाती है.

घर पहुंचे एजुकेशन मिनिस्टर हेमंत बिस्व सरमा

असम के एजुकेशन मिनिस्टर हेमंत बिस्व सरमा ने उसको घर जाकर बधाई दी. उन्होंने उसे 5 लाख का इनाम दिया और 10 लाख रुपये स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने को दिए. हेमंत बिस्व सर्मा PWD को स्कूल तक एक अच्छी सड़क बनाने का भी आदेश दिया है.असम सरकार 5 लाख रुपये सरफराज के नाम फिक्स डिपाजिट कराएगी.

तगड़ी संस्कृत जानता है लड़का

सरफराज पहले भी संस्कृत निबंध और डिबेट कम्पटीशन जीतता रहा है. दो साल पहले सरफराज ने ऑल गुवाहाटी गीता-पाठ कॉम्पिटीशन भी जीता था. सरफराज कहता है मुझे गीता के श्लोक या गायत्री मन्त्र पढ़ने में कोई परेशानी नहीं है. सरफाज को आठवीं तक संस्कृत में हमेशा 100 में से 100 नंबर मिले हैं.

इंजीनियर बनेगा सरफराज

सरफराज आगे की पढ़ाई वहां के फेमस कॉटन कॉलेज से करना चाहता है. सरकार उसकी सारी पढ़ाई का बोझ उठाएगी. 16 साल का सरफराज आगे चलकर इंजीनियर बनना चाहता है.

पढ़ाई धर्म से ज्यादा जरूरी है

सरफराज के पिता अजमल हुसैन कहते हैं उन्हें कभी नहीं लगा कि उनको अपने बेटे को संघ के स्कूल में डालने में कोई परेशानी है. क्योंकि वहां की पढ़ाई बहुत अच्छी है. बहुत सारे लोग मेरे बेटे के संघ परिवार के स्कूल से पढ़े होने के बारे में बात कर रहे हैं पर मैं पूछता हूं कि इसमें परेशानी क्या है? सबसे पहले हम असमिया हैं. मेरी बेटी ने भी इसी स्कूल से 3 साल पहले ग्रेजुएशन किया है.

कूल हैं पापा, चाहते हैं बस लड़का अच्छा इंसान बने

पहली बार जब मैं अपने दोनों बच्चों को उस स्कूल में लेकर आया था तो यहां हेडमास्टर ने मुझसे पूछा था आप इस कदम के बारे में अच्छे से सोच चुके हैं? क्योंकि यहां पढ़ाई के दौरान कई बार गायत्री मन्त्र या सरस्वती वंदना जैसे श्लोक पढ़वाए जाते हैं. हुसैन कहते हैं मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि मैं अपने बच्चों के लिए अच्छी पढ़ाई चाहता था. ताकि उनका चरित्र अच्छा हो सके.
sankardev-hindustan-premises-sarfaraz-guwahati-examination-position_d97c483e-273c-11e6-a271-92fd27615944

होटल में काम करते हैं पापा

हुसैन गुवाहाटी के एक होटल में काम करते हैं. हुसैन कहते हैं कि वो दर्रांग जिले के पथारूघाट से आते हैं. जहां 1894 में हिंदू और मुसलमान किसानों ने मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था. हुसैन कहते हैं हमारे पूर्वज मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ मिलकर लड़ सकते हैं. तो मुझे कोई कारण नहीं समझ आता, क्यों हम साथ पढ़ भी नहीं सकते? क्या अलग-अलग धर्मों के लोग क्रिश्चियन स्कूलों में नहीं पढ़ते?

स्कूल में क्रिश्चियन और मुस्लिम लड़के और भी हैं

असम एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर निर्मल बरुआ कहते हैं कि सरफराज टॉप करने वाला पहला लड़का नहीं है. इससे पहले भी मुस्लिम और क्रिश्चियन लड़के स्कूल से टॉप करते रहे हैं. इस स्कूल में बहुत से दूसरे धर्मों के स्टूडेंट भी हैं.

धांसू रिकॉर्ड रहा है स्कूल का

इस एग्जाम में 3.8 लाख स्टूडेंट बैठे थे. जिसमें से 2.39 लाख पास हुए हैं. और मात्र 54,197 को ही फर्स्ट डिवीजन मिली है. समिति के असम में 231 स्कूल हैं. टॉप 20 में जो 232 स्टूडेंट हैं. उसमें इस स्कूल से 39 हैं.

Advertisement