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मां ने 26 साल पहले लिखी थी चिट्ठी, अब बेटी को झील के किनारे बोतल में बंद मिली

अमेरिका की एक स्कूल स्टूडेंट को झील के पास एक बोतलबंद चिट्ठी मिली. स्टूडेंट ने जब उस बोतल को खोला और चिट्ठी को निकालकर पढ़ा तो उसके आश्चर्य और खुशी का ठिकाना नहीं रहा. दरअसल, ये चिट्ठी उसकी मां ने 1998 में लिखी थी. जब वो खुद एक स्टूडेंट थीं.

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Mother had written a letter 26 years ago, now daughter found it sealed in a bottle on the lake shore
26 साल पहले लिखी चिट्ठी अब मिली (फोटो साभार: आजतक (प्रतीकात्मक)
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अर्पित कटियार
6 दिसंबर 2024 (Published: 01:02 PM IST) कॉमेंट्स
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कभी-कभी आपके जीवन में ऐसी घटनाएं घटित होती है, जिसकी आपने कभी कल्पना तक ना की हो. कुछ घटनाएं बेहद सुखद और इमोशनल होती हैं. ऐसी ही एक घटना अमेरिका की एक स्कूल स्टूडेंट के साथ हुई. हुआ ये कि स्कूल ट्रिप के दौरान उसे झील के पास एक बोतलबंद चिट्ठी मिली. छात्रा ने जब उस बोतल को खोला और चिट्ठी को निकालकर पढ़ा तो उसके आश्चर्य और खुशी का ठिकाना नहीं रहा. दरअसल, ये चिट्ठी उसकी मां ने 1998 में लिखी थी. जब वो खुद एक स्टूडेंट थीं. अब उनकी बेटी भी उसी स्कूल में पढ़ रही है. स्टूडेंट ने जब वो चिट्ठी अपनी मां को पढ़ने के लिए दी तो वो इमोशनल हो गईं.

26 साल पहले लिखी गई थी चिट्ठी

CBC की खबर के मुताबिक, ‘सेंट जॉन द बैपटिस्ट कैथोलिक एलीमेंट्री स्कूल’ की एक स्टूडेंट ‘स्कारलेट’ फील्ड ट्रिप के दौरान अपने दोस्तों के साथ ग्रेट लेक्स के आसपास घूम रही थीं. तभी अचानक उसकी नजर एक बोतल पर पड़ी. स्टूडेंट्स ने उस बोतल को पानी से बाहर निकाला, जिसमें एक चिट्ठी बंद थी. चिट्ठी को पढ़ने पर पता चला कि इसे 1998 में ‘मैकेन्ज़ी वान मोरिस’ ने लिखा था. जैसे ही स्कारलेट ने अपनी मां का नाम पढ़ा तो वो खुशी से झूम उठी. उसने ये चिट्ठी अपनी मां को पढ़वाई.

चिट्ठी पढ़कर भावुक हुई मैकेंजी

चिट्ठी पढ़ने के बाद मैकेंजी ने बताया कि 1998 के दौरान, जब वो कक्षा 4 की एक स्कूल स्टूडेंट थी. तब क्लास टीचर रोलाण्ड सेंट पियरे ने चिट्ठी लिखने का असाइनमेंट दिया था. जिसमें उन्हें ग्रेट लेक्स के बारे में लिखना था. मैकेंजी ने बताया चिट्ठी लिखने के बाद हमने उसे एक प्लास्टिक की बोतल में बंद किया. मुझे याद है कि मैंने उस बोतल की सील को मोम से बंद किया था. इसके बाद लगभग 30 स्टूडेंट्स ने इन चिट्ठी बंद बोतलों को झील में फेंक दिया. चिट्ठी पढ़ते हुए मैकैंजी की आंखों में आंसू आ गए.

क्या लिखा था चिट्ठी में?

इस चिट्ठी को मैकेंजी ने अपनी बेटी स्कारलेट को पढ़कर सुनाया. जो अब उसी स्कूल में पढ़ रही है, जिसमें कभी उसकी मां पढ़ा करती थीं. पत्र में लिखा था-

“यह पत्र मैकेंजी मॉरिस ने लिखा है और मैं सेंट जॉन द बैपटिस्ट स्कूल में पढ़ती हूं. मैं कक्षा 4 में हूं. मेरा पत्र ग्रेट लेक्स के पानी के बारे में है. हमने पैडल-टू-द-सी नामक एक किताब पढ़ी. यह बहुत अच्छी किताब थी. ये कहानी एक छोटे लड़के के बारे में थी. जिसने लकड़ी से एक चप्पू वाला इंसान बनाया और उसे पानी में डाल दिया. वह लकड़ी वाला इंसान सभी बड़ी झीलों से होकर गुज़रा. क्या आप जानते हैं कि सभी महान और बड़ी झीलों का मतलब घर होता है? मुझे लगा कि यह बहुत बढ़िया है.
मैंने स्कूल में सीखा था कि पानी को सभी खराब चीजों को बाहर निकालने के लिए जल चक्रों से गुजरना पड़ता है, जैसे कीटाणु और बहुत सी दूसरी चीजें. जब से भगवान ने दुनिया बनाई है, तब से पानी मौजूद है. क्या यह सोचना मज़ेदार नहीं है कि आप वही पानी पी रहे होंगे जो यीशु ने पीया था?”

मैकेंजी ने मुताबिक, इस बोतल से ये भी पता चलता है कि प्लास्टिक बहुत खराब और हानिकारक चीज है. जो कभी खराब नहीं होती. 

पिछले साल भी एक ऐसी ही चिट्ठी फ्रांस के समुद्र तट पर मिली थी. जिसे पांचवीं कक्षा के एक छात्र द्वारा 1997 में लिखा गया था. इसे भी 26 साल बाद अच्छी अवस्था में पाया गया और इस चिट्ठी को उसके स्कूल तक पहुंचा दिया गया. 

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